कृषि एवं उद्यानिकी-लहसुन की विभिन्न किस्में

Lahsun Ki Vibhinn Kismein

लहसुन की विभिन्न किस्में



इन दिनों लहसुन की जी-1 और जी-17 प्रजाति प्रमुख हैं। जी-17 का प्रयोग ज्यादातर हरियाणा और उत्तर प्रदेश के किसान कर रहे हैं। यह दोनों प्रजातियां ही 160 से 180 दिनों में पककर तैयार हो जाती हैं। इसके बाद अप्रैल-मई महीने में इसकी खुदाई होती है। एक हेक्टेयर में लगभग 8 से 9 टन पैदावार आसानी से हो जाती है।इसके इलावा प्रमुख किस्मे निचे दी हुई है

टाइप 56-4:लहसुन की इस किस्म का विकास पंजाब कृषि विश्वविद्यालय की ओर से किया गया है। इसमें लहसुन की गांठे छोटी होती हैं और सफेद होती हैं। प्रत्येक गांठ में 25 से 34 पुत्तियां होती हैं। इस किस्म से किसान को प्रति हेक्टेयर 15 से 20 टन तक उपज मिलती है।

आईसी 49381:इस किस्म का विकास भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान की ओर से किया गया है। इस किस्म से लहसुन की फसल 160 से 180 दिनों में तैयार हो जाती है। इस किस्म से किसानों को अधिक उपज मिलती है।

सोलन:लहसुन की इस किस्म का विकास हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय की ओर से किया गया है। इस किस्म में पौधों की पत्तियां काफी चौड़ी व लंबी होती हैं और रंग गहरा होता है। इसमें प्रत्येक गांठ में चार ही पुत्तियां होती हैं और काफी मोटी होती हैं। अन्य किस्मों की तुलना में यह अधिक उपज देने वाली किस्म है।

एग्री फाउंड व्हाईट (41 जी) :लहसुन की इस किस्म में भी फसल 150 से 160 दिनों में तैयार हो जाती है। इस किस्म से लहसुन की उपज 130 से 140 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होती है। यह किस्म गुजरात, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक आदि प्रदेशों के लिए अखिल भारतीय समन्वित सब्जी सुधार परियोजना के द्वारा संस्तुति की जा चुकी है।

यमुना (-1 जी) सफेद: लहसुन की यह किस्म संपूर्ण भारत में उगाने के लिए अखिल भारतीय सब्जी सुधार परियोजना के द्वारा संस्तुति की जा चुकी है। इस किस्म में फसल से 150 से 160 दिनों में तैयार हो जाती है और प्रति हेक्टेयर उपज 150 से 175 क्विंटल होती है।

यमुना सफेद 2 (जी 50) : यह किस्म मध्य प्रदेश के लिए उत्तम पाई जाती है। इस किस्म में 160 से 170 दिन फसल तैयार हो जाती है और प्रति हेक्टेयर उपज 150 से 155 क्विंटल तक होती है। यह किस्म बैंगनी धब्बा और झुलसा रोग के प्रति सहनशील होती है।

जी 282:इस किस्म में शल्क कंद सफेद और बड़े आकार के होते हैं। इसके साथ ही 140 से 150 दिनों में फसल तैयार हो जाती है। इस किस्म में किसान को 175 से 200 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उपज मिल जाती है।

आईसी 42891:लहसुन की इस किस्म का विकास भारतीय कृषि अनुसन्धान संस्थान, नई दिल्ली की ओर से किया गया है। यह किस्म किसानों को अधिक उपज देती है और फसल 160-180 दिन में तैयार हो जाती है।


सम्बन्धित महत्वपूर्ण लेख
लहसुन की विभिन्न किस्में
मिट्टी और जलवायु
खेती की तैयारी
ऐसे करें बुवाई और सिंचाई
कितना आता है खर्च

Lahsun, Ki, Vibhinn, Kismein, In, Dino, Ji, 1, Aur, 17, Prajati, Pramukh, Hain, Ka, Prayog, Jyadatar, Hariyana, Uttar, Pradesh, Ke, Kisaan, Kar, Rahe, Yah, Dono, PraJatiyan, Hee, 160, Se, 180, Me, पककर, Taiyaar, Ho, Jati, Iske, Baad, April, May, Mahine, Iski, Khudai, Hoti, Hai, Ek, Hectare, Lagbhag, 8, 9, Ton, Paidawar, Asani, इलावा, Kisme, Niche, Dee, Hui, Type, 56, 4, Is, Kism, Vikash, Punjab, Krishi, VishwaVidyalaya, Or, Kiya, Gaya, Isme, गांठे, Chhoti, Safed, Pratyek, Ganth, 25, 34, पुत्तिय