प्रायश्चित (Prayschit) = Atonement
हिन्दू धर्म में, प्रायश्चित्त शास्त्रानुसार विहित वह कृत्य है जिसके करने से मनुष्य के पाप छूट जाते हैं। दूसरे शब्दों में, जिस अनुष्ठान के द्वारा किए हुए पाप का निश्चित रूप से शोधन हो उसे प्रायश्चित्त कहते हैं। जैसे क्षार से वस्त्र की शुद्धि होती है वैसे ही प्रायश्चित्त से पापी की शुद्धि होती है। धर्म की व्याख्या करते हुए जैमिनि ने बतलाया है कि वेद द्वारा विहित धर्म एवं उससे विरुद्ध अधर्म है। धर्म के आचरण से पुण्य तथा अधर्म के आचरण से पाप होता है। पुण्य से इष्टसाधन एवं पाप से अनिष्ट की प्राप्ति होती है। शास्त्रों में भिन्न भिन्न प्रकार के कृत्यों का विधान है। किसी पाप में व्रत का, किसी में दान का, किसी मे व्रत और दान दोनों का विधान है। लोक में भी समाज के नियमविरुद्ध कोई काम करने पर मनुष्य को समाज द्वारा निर्धारित कुछ कर्म करने पड़ते हैं जिससे वह समाज में पुनः व्यवहार योग्य होता है। इस प्रकार के कृत्यों को भी प्रायश्चित कहते हैं। पाप इस प्रकार कहे गए हैं -पातकी प्रायश्चित्त का भागी होता है। सर्वप्रथम उसे किए हुए पाप के निमित्त पश्चात्ताप होना चाहिए। अपने पाप क प्रायश्चित्त जानने के लिए उसे परिषद् में उपस्थित होना चाहिए। मीमांसा, न्याय और धर्मशास्त्र के जानकार तीन विद्वानों की परिषद् कही गई है। महापातक का प्रायश्चित्त बतलाते समय राजा की उपस्थित भी आवश्यक है। देश, काल और पातकी की परिस्थिति के अनुकूल प्रायश्चित्त होना चाहिए। बालक, वृद्ध, स्त्री और आतुर को आधा प्रायश्चित्त विहित हैं। पाँच वर्ष की अवस्था तक नहीं है। पाँच से पौने बारह वर्ष तक चौथाई प्रायश्चित्त है और यह प्रायश्चित्त बालक के पिता या गुरु को करना चाहिए। बारह से सोलह वर्ष तक आधार और सोलह से अस्सी वर्ष तक पूरा प्रायश्चित्त अनुष्ठेय है। ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र को क्रमश: पूरा, आधा, तीन भाग और चौथाई प्रायश्चित्त कर्तव्य है। ब्रह्मचारी को द्विगुणित, वानप्रस्थी को त्रिगुणित और यति को चतुर्गुणित प्रायश्चित्त करना चाहिए। प्रायश्चित्त करने में विलंब करना अनुचित है। आरंभ के पूर्वदिन सविधि क्षौर, स्नान और पंचगव्य का प्राशन करना चाहिए। पाप की निवृत्ति के लिए प्रायश्चित्त रूप में जप, तप, हवन, दान, उपवास, तीर्थयात्रा तथा प्राजापत्य, चांद्रायण, कृच्छ और सांतपन प्रभृति व्रत करने का विधान है
Hindi Dictionary. Devnagari to roman Dictionary. हिन्दी भाषा का सबसे बड़ा शब्दकोष। देवनागरी और रोमन लिपि में। एक लाख शब्दों का संकलन। स्थानीय और सरल भाषा में व्याख्या।