बाज (Baaj) = Eagle
Category: bird
बाज ^1 संज्ञा पुं॰[अ॰ बाज]
1. एक प्रसिद्ध शिकारी पक्षी जो प्रायः सारे संसार में पाया जाता है । विशेष—यह प्रायः चील से छोटा, पर उससे अधिक भयंकर होता है । इसका रंग मटमैला, पीठ काली और आँखें लाल होती हैं । यह आकाश में उड़ती हूई छोटी मोटी चिड़ियों और कवूतरों आदि को झपटकर पक्ड़ लेता है । पुराने समय में आखेट और युद्ध में भी इसका प्रयोग होता था जिसके उल्लेख ग्रंथों में मिलते हैं । प्रायः शौकीन लोग इसे दूसरे पक्षियों का शिकार करने के लिये पालते भी है । इसकी कई जातियाँ होती हैं ।
2. एक प्रकार का बगला ।
3. तीर में लगा हुआ पर । शरपुंख । बाज ^2 प्रत्य॰ [फारसी बाज] एक प्रत्यय जो शब्दों के अंत में लगकर रखने, खेलने, करने या शौक रखनेवाले आदि का अर्थ देता है । जैसे,—दगाबाज, कबूतरबाज, नशेबाज, दिल्लगीबाज, आदि । बाज ^3 वि॰ [फ़ा॰ बाज] वंचित । रहित । मुहावरा—बाज आना = (1) खोना । रहित होना । जैसे,—हम दस रुपए से बाज आए । (2) दूर होना । अलग होना । पास न जाना । जैसे,—तुमको कई बार मना किया पर तुम शरारत मे बाज नहीं आते हो । बाज करना = रोकना । मना करना । वंचित करना । उ॰—देखिबे ते अँखियान को बाज के लाज के भाजि के भीतर आई । —रघुनाथ (शब्द॰) । बाज रखना = रोकना । मना करना । बाज रहना = दूर रहना । अलग रहना । बाज ^4 वि॰ [अ॰ बअज] कोई कोई । कुछ विशिष्ट । जैसे,—(क) बाज आदमी बड़े जिद्दी होते हैं । (ख) बाज मौकों पर चुप से भी काम बिगड़ जाता है । (ग) बाज चीजें देखने में तो बहुत अच्छी होती हैं पर मजवूत बिलकुल नहीं होतीं । बाज ^5 क्रि॰ वि॰ बगैर । बिना । (क्व॰) । उ॰—अब तेहि वाज राँक भा डोलौं । होय सार दो बरगों बोलों । —जायसी (शब्द॰) । बाज ^6 संज्ञा पुं॰ [सं॰ वाजिन्] घोड़ा । उ॰—इततें सातो जात हरि उतते आवत राज । देखि हिए संशय कह्यो गह्यो चरन तजि बाज । —विश्राम (शब्द॰) । बाज ^7 संज्ञा पुं॰ [सं॰ बाद्य]
1. वाद्य । बाजा । उ॰—महा मधुर बहु बाज बजाई । गावहिं रामायन सुर छाई । — रघुराज (शब्द॰) ।
2. बजने या बाजे का शब्द ।
3. बजाने की रीति ।
4. सितार के पाँच तारों में से पहला जो पक्के लोहे का होता है । बाज ^8 संज्ञा पुं॰ [देश] ताने के सूतों के बीच में देने की लकड़ी । बाज पु ^9 वि॰ [सं॰ बाज] गति । वेग । —अनेकार्थ॰, पृ॰ 98 ।
बाज ^1 संज्ञा पुं॰[अ॰ बाज]
1. एक प्
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