गौ (Gau) = Cow
गौ ^१ संज्ञा स्त्री॰ [सं॰] गाय । गैया । वि॰ दे॰ 'गो' । गौ ^२ पु क्रि॰ अ॰ [हिं॰ गा = गया] दे॰ 'गया' । उ॰—एक बाट गौ सिंघल दोसर लंकल सदीप । —जायसी ग्रं॰, (गुप्त), पृ॰ २१३ ।
गौ ^१ संज्ञा स्त्री॰ [सं॰] गाय । गैया । वि॰ दे॰ 'गो' ।
गाय एक महत्त्वपूर्ण पालतू जानवर है जो संसार में प्राय: सर्वत्र पाई जाती है। इससे उत्तम किस्म का दूध प्राप्त होता है। हिन्दू, गाय को 'माता' (गौमाता) कहते हैं। इसके बछड़े बड़े होकर गाड़ी खींचते हैं एवं खेतों की जुताई करते हैं। भारत में वैदिक काल से ही गाय का विशेष महत्त्व रहा है। आरंभ में आदान प्रदान एवं विनिमय आदि के माध्यम के रूप में गाय उपयोग होता था और मनुष्य की समृद्धि की गणना उसकी गोसंख्या से की जाती थी। हिन्दू धार्मिक दृष्टि से भी गाय पवित्र मानी जाती रही है तथा उसकी हत्या महापातक पापों में की जाती है। भारत में गाय की ३० नस्लें पाई जाती हैं। रेड सिन्धी, साहिवाल, गिर, देवनी, थारपारकर आदि नस्लें भारत में दुधारू गायों की प्रमुख नस्लें हैं। लोकोपयोगी दृष्टि में भारतीय गाय को तीन वर्गों में विभाजित किया जा सकता है। पहले वर्ग में वे गाएँ आती हैं जो दूध तो खूब देती हैं, लेकिन उनकी पुंसंतान अकर्मण्य अत: कृषि में अनुपयोगी होती है। इस प्रकार की गाएँ दुग्धप्रधान एकांगी नस्ल की हैं। दूसरी गाएँ वे हैं जो दूध कम देती हैं किंतु उनके बछड़े कृषि और गाड़ी खींचने के काम आते हैं। इन्हें वत्सप्रधान एकांगी नस्ल कहते हैं। कुछ गाएँ दूध भी प्रचुर देती हैं और उनके बछड़े भी कर्मठ होते हैं। ऐसी गायों को सर्वांगी नस्ल की गाय कहते हैं। भारत की गोजातियाँ निम्नलिखित हैं:सायवाल गायों में अफगानिस्तानी तथा गीर जाति का रक्त पाया जाता है। इन गायों का सिर चौड़ा, सींग छोटी और मोटी, तथा माथा मझोला होता है। ये पंजाब में मांटगुमरी जिला और रावी नदी के आसपास लायलपुर, लोधरान, गंजीवार आदि स्थानों में पाई जाती है। ये भारत में कहीं भी रह सकती हैं। एक बार ब्याने पर ये १० महीने तक दूध देती रहती हैं। दूध का परिमाण प्रति दिन १०-१६ लीटर होता है। इनके दूध में मक्खन का अंश पर्याप्त होता है। इनका मुख्य स्थान सिंध का कोहिस्तान क्षेत्र है। बिलोचिस्तान का केलसबेला इलाका भी इनके लिए प्रसिद्ध है। इन गायों का वर्ण बादामी या गेहुँआ, शरीर लंबा और चमड़ा मोटा होता है। ये
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