Jawareey Parikalpna Ke Pratipadak Kaun The ज्वारीय परिकल्पना के प्रतिपादक कौन थे

ज्वारीय परिकल्पना के प्रतिपादक कौन थे

GkExams on 10-12-2018

ज्वारी सिद्धांत पर आधारित यह परिकल्पना जींस द्वारा 1919 मैं प्रस्तुत की गई जिसे हैंड्सफ्री ने 1926 में संशोधित किया सूर्य से कई गुना बड़ा तारा किसी कारणवश सूर्य के निकट आ गया इस विशाल तारे कि गुरुत्वाकर्षण शक्ति के प्रभाव दिन सूर्य से एक ज्वार उठा जो जो यह विशाल तारा सूर्य के निकट आता गया क्यों त्यों त्यों ज्वार का आकार बढ़ता गया जब जब यह तारा सूर्य के निकट आ गया तो ज्वारीय भाग का पदार्थ सूर्य से अलग हो गया सूर्य से अलग हुए इस पदार्थ पर एक ओर से सूर्य तथा दूसरी ओर से विशाल तारे के गुरुत्वाकर्षण का प्रभाव पड़ा जिससे इसने एक सिगार का रूप धारण कर लिया अर्थात या बीच में मोटा तथा किनारे पर टकरा हो गया तारे के दूर जाने पर तारे का आकर्षण शक्ति कम हो गई और यह जवाली पदार्थ तारे के पीछे अधिक दूर तक नहीं जा सका सूर्य से दूर होने के कारण यह सूर्य में भी वापस आ जा सका आकर्षण सिद्धांत के अनुसार यह ज्वारीय पदार्थ सूर्य के चारों ओर परिक्रमा करने लगा कार के अंदर एक पदार्थ तीव्रता से ठंडा हुआ और इसमें कई गांठे बन गई यह गांठे बाद में ग्रहों के रूप में परिवर्तित हो गई


ग्रहों में पदार्थ पर सूर्य के आकर्षण का प्रभाव पड़ा और उसमें ज्वार उत्पन्न हो गए ग्रहों के इतवारी पदार्थ से ग्रहों की उत्पत्ति हुई


विवेचना


1. सूर्य के समीप आने वाले सितारे कि गुरुत्वाकर्षण शक्ति से सूर्य पर जो ज्वार उत्पन्न हुआ उसने शिकार का रूप धारण कर लिया जो बीच में मोटा और दोनों किनारों पर पतला था अतः सौरमंडल के बीच वाले काले ग्रह बड़े तथा किनारे पर स्थित ग्रह छोटे होने लगे ग्रहों की वर्तमान अवस्था लगभग इसी प्रकार की है
2. बड़े ग्रहों के उपग्रहों की संख्या अधिक तथा छोटे ग्रहों के उपग्रहों की संख्या कम हो जो इस परिकल्पना के अनुसार है
3. उपग्रहों का क्रम भी लगभग ग्रहों के क्रम के समान ही है अर्थात उपग्रहों का आकार बीच में बड़ा तथा किनारों पर छोटा है
4. सभी ग्रहों में एक ऐसा पदार्थ पाया जाता है क्योंकि इन सभी कुलपति शुरू से अलग हुए ज्वारी पदार्थ से हुई है
5. इस परिकल्पना में पृथ्वी को द्रव अवस्था में स्वीकार किया गया है जो आधुनिक विचारधारा के अनुकूल है


आपत्तियां


1. लेविन का मत है कि अंतरिक्ष में तारों के बीच इतनी अधिक दूरियां हैं कि किसी भी तारे कि सूर्य के निकट आकर उस में ज्वार उत्पन्न करने की संभावना नहीं है
2. सूर्य के धरातल पर जवाब तभी हो सकता है जब सूर्य के आंतरिक भाग का तापमान का इलाज डिग्री सेल्सियस को ऐसी अवस्था में ज्वारी पदार्थों के रूप में गणित होने की वजह आकाश मिसाइल जाएगा
3. सौरमंडल के ग्रहों के बीच दूरियां बहुत अधिक हैं जिन्हें प्रमाणित करने में यह परिकल्पना सफल नहीं है इसकी के अनुसार इतनी दूरियां इस परिकल्पना के अनुसार संभव नहीं है उदाहरण बृहस्पति कथा वरुण की सूर्य से दूरियां सूर्य का व्यास से क्रमशः 500 तथा 3200 गुनी है
4. मंगल ग्रह सूर्य से पृथ्वी की अपेक्षा अधिक दूरी पर है और इस परिकल्पना के अनुसार इसे पृथ्वी से बड़ा होना चाहिए जबकि वास्तव में मंगल पृथ्वी से छोटा है
5. ग्रहों से अधिक कोड़ी संवेग है जो इस परिकल्पना के अनुकूल नहीं है 6.जिस तारे के कारण सूर्य में ज्वार उत्पन्न हुआ उसका बाद में क्या हुआ इस प्रश्न का उत्तर परिकल्पना में नहीं दिया गया



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Comments Sonuyadav on 28-09-2021

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