मोबाइल के दुष्परिणाम
हम इस कदर इस डिवाइस के जाल में फंस चुके हैं कि हमारी जिंदगी से स्वाभाविकता ही लुप्त हो चली है हम मैकेनिकल होते जा रहे हैं अब हम मोबाइल को ऑपरेट नहीं करते वो ही हमें ऑपरेट करने लगा है, इस तरह वो हम पर हावी हो गया है अब हमारा खुद से कंट्रोल खत्म हो गया है.
छोटी- छोटी बातों के लिए हम सेलफोन पर निर्भर हैं नित नये नये तरह केे मोबाइल मार्केट में आ रहे हैं जिनमें अनगिनत फीचर्स मिलेंगे आकर्षण का केंद्र बने ये अपने में एक पूरी दुनिया समेटे हैं.
मोबाइल के रिश्तों पर दुष्प्रभाव
मोबाइल रिश्तों को पुख्ता नहीं कर रहा है जैसा कि कुछ लोगों का कहना है यह रिश्तों पर आरी ही चला रहा है आज यही आपका बेस्ट फ्रैंड है इसके बगैर आपकी जिंदगी ही आपके लिए अर्थहीन है.
इसकी देखभाल हिफाजत की चिंता आपकी सब से बड़ी चिंता है नेटवर्क, सिंगनल, बैटरीलाइफ चार्जर शब्द आपके शब्दकोश के सबसे ज्यादा रिपीट होने वाले शब्द हैं.
मोबाइल चार्ज रहना सबसे बड़ा सुकून है आप इससे कितना कॉनफिडेंट रहते हैं ये आप ही जानते हैं ये आपका इतना ब़ड़ा सपोर्टर बन गया है कि इसके आगे आपका सपोर्ट सिस्टम भी इतना अहम नहीं रह गया लेकिन समझने वाली बात है कि रिश्तों से जो अपनापन और मिठास मिल सकती है वो इस डिवाइस से नहीं बल्कि मिलने जुलने व अपनेपन से होती है.
मोबाइल और किशोर- Effects Of Mobile Phones On Teenagers
इनफॉर्मेशन टेक्नॉलॉजी के इस युग में आज हर कोई इनफॉर्मेशन से अपडेट रहना चाहता है आगे बढ़ने अपने सपनों को पूरा करने का यही रास्ता है मोबाइल से ये आसानी से सुलभ हैं इनफॉर्मेशन शेयर करनी हो या स्टोर करनी हो, मोबाइल यह काम बखूबी कर लेता है.
आपके विचार हों तो सेल्फी हो या घरवालों की पिक्चर्स फेसबुक व्हाइट्सअप पर डालकर प्रतिक्रिया देखने का तो मानोे लगा जुनून ही पाल लेते हैं जो फैमिली सेलिब्रेशन बन गए हैं जितनी ज्यादा लाइक्स होंगी आपका टेंपों भी उसी मात्रा में हाई होगा कम लाइक्स आने पर आपका सारा मूड ही चौपट हो जाएगा मैसेज चैक करना एक दूसरा बड़ा काम है जो आपको सैलफोन पर व्यस्त रखता है.
side effects of social media and gadgets
मोबाइल से नुकसान होने के बावजूद आप अब इससे निजात नहीं पा सकते इसे इस्तेमाल न करें, इस बात में कोई दम नहीं हालांकि सभी जानते हैं कि यह सोसायटी को कितना स्ट्रैस दे रहा है, हैर्ल्थ हैजर्ड है, लोगों को वर्चुअल लाइफ का एडिक्ट बना रहा है, जिंदगी से दूर ले जा रहा है- ऐसे में क्या किया जाए कि ये नुकसान कम से कम हो?
-अपने को सचेत रखें कुछ वक्त के लिए फोन स्विच आफ भी करने की आदत डालें.
-जरूरी काम करते समय मैसेज टोन को साइलेंट कर दें.
-सैलफोन के ज्यादा इस्तेमाल से ऐसा भी होता है कि कान बजने लगते हैं अर्थात अक्सर ही फोन की रिंगटोन सुनाई देने लगती है ये भ्रम की स्थिति होती है जिसका ट्रीटमेंट जरूरी है इसे इग्नोर न करें.
-फोन की दुनिया में इतने मसरूफ न हो जाएं कि सामने वाला आप से क्या कह रहा है आप समझ ही न पाएं इसे रिएलाइज करें वरना ये आदत आपकी छवि बिगाड़ सकती है.
Mobil che tote
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