पत्र और आत्मकथा में असमानता
Pradeep Chawla on 31-10-2018
आत्मकथा और जीवनी दोनों ही साहित्य की नई विधाएं हैं। दोनों ही व्यक्ति विशेष के जीवन की विविध घटनाओं एवं प्रसंगों के वर्णन की विधा है। आत्मकथा व्यक्ति के द्वारा स्वयं के जीवन के सन्दर्भ में लिखी गई कथा होती है जबकि व्यक्ति विशेष के जीवन पर जब कोई दूसरा व्यक्ति लिखता है तो उसे जीवनी कहते हैं। आत्मकथा और जीवनी में यही मूल अंतर है, परन्तु इसी अंतर के कारण और अनेक अंतर सामने आ जाते हैं।
जीवनी जहाँ किसी दूसरे व्यक्ति द्वारा लिखी जाती है, वहाँ आत्मकथा में लेखक स्वयं अपनी जीवनी प्रस्तुत करता है। आत्मकथा में लेखक निजी जीवन से जुड़ी गहराईयों से जुड़ा होता है परन्तु जीवनी में लेखक चरित नायक के जीवन से शायद उतनी गहराई से नहीं जुड़ पाता है। आत्मकथा जीवनी की अपेक्षा अधिक विश्वसनीय होता है। आत्मकथा में लेखक अपना जीवनवृत स्वयं प्रस्तुत करता है और लेखक जितना स्वयं अपने बारे में जानता है उतना कोई दूसरा नहीं जानता। इसके विपरीत जब जीवनी लेखक किसी के बारे में कोई बात कहता है तो यह आशंका बनी रहती है कि शायद कुछ बात गोपनीय रह गई है, सत्य का कुछ अंश ढंका रह गया है।
आत्मकथा अपनी जीवनी अपने जीवन-काल में ही लिखता है, जबकि जीवनी का लेखन आवश्यक नहीं कि चरित नायक के जीवन काल में ही हो। आत्मकथाकार के पास अपने जीवन संबंधी सारी जानकारी अपने दिमाग में ही रहती है, वहीं जीवनीकार को यही सामग्री विभिन्न श्रोतों से इकट्ठी करनी पड़ती है। यदि चरित नायक इतिहास-पुरुष है तो जीवनीकार को उसके जीवन को लेकर व्यापक शोध करना पड़ता है।
जीवनी जहाँ वस्तुनिष्ठ होती है वहाँ आत्मकथा आत्मिक, आत्मनिष्ठ होती है। जीवनी में लेखक बाहर से भीतर की ओर प्रविष्ट होता है, जबकि आत्मकथा में लेखक अपने आतंरिक जीवन को बाहर लोगों के सामने प्रकट करता है। जीवनी में जहाँ बहुत-सी बातें अनुमान आश्रित रहती है वहाँ आत्मकथा में सब कुछ सत्य पर आश्रित होता है, स्वानुभव पर आधारित होता है।
कहा जा सकता है कि जीवनी एक ऐसी साहित्यिक विधा है जिसमें किसी व्यक्ति विशेष के जीवन की कथा किसी अन्य लेखक के द्वारा तटस्थ भाव से प्रस्तुत की गई कलात्मक रचना होती है। जबकि आत्मकथा स्वयं व्यक्ति के द्वारा अपनी ही जीवन-गाथा की वह प्रस्तुति है जो पूर्णतया निष्कपटपूर्ण गुण-दोषों पर प्रकाश डालते हुए बिना किसी कल्पना के कलात्मक ढंग से लिखी जाती है।
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Comments
Deepak on 27-07-2023
पत्र में आत्माभिव्यक्ति का क्या महत्व है ?
Shikha on 11-03-2020
Patre or aatmkatha me ky ky asmantae hoti hai patre me abhivyakti ka ky mahtav hai
पत्र जीवनी को कहते हैं क्या?? on 24-11-2019
पत्र जीवनी को ही कहते हैं क्या
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ओमे on 07-06-2019
Vinod jadhav on 10-10-2018
Patr or aatmkatha me kya asmanta he
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