मेहंदीपुर बालाजी का इतिहास
मेहंदीपुर में यहाँ घोर जंगल था। घनी झाड़ियाँ थी, शेर-चीता, बघेरा आदि जंगल में जंगली जानवर पड़े रहते थे। चोर-डाकूऒ का इस गांव में डर था। जो बाबा महंत जी महाराज के जो पूर्वज थे, उनको स्वप्न दिखाई दिया और स्वप्न की अवस्था में वे उठ कर चल दिए उन्हें ये पता नही था कि वे कहाँ जा रहे हैं। स्वप्न की अवस्था में उन्होंने अनोखी लीला देखी एक ऒर से हज़ारों दीपक जलते आ रहे हैं। हाथी घोड़ो की आवाजें आ रही हैं। एक बहुत बड़ी फौज चली आ रही है उस फौज ने श्री बालाजी महाराज जी, श्री भैरो बाबा, श्री प्रेतराज सरकार, को प्रणाम किया और जिस रास्ते से फौज आयी उसी रास्ते से फौज चली गई। और गोसाई महाराज वहाँ पर खड़े होकर सब कुछ देख रहे थे। उन्हें कुछ डर सा लगा और वो अपने गांव की तरफ चल दिये घर जाकर वो सोने की कोशिश करने लगे परन्तु उन्हे नींद नही आई बार-बार उसी स्वप्न के बारे में विचार करने लगे। जैसे ही उन्हें नींद आई। वो ही तीन मूर्तियाँ दिखाई दी, विशाल मंदिर दिखाई दिया और उनके कानों में वही आवाज आने लगी और कोई उनसे कह रहा बेटा उठो मेरी सेवा और पूजा का भार ग्रहण करो। मैं अपनी लीलाओं का विस्तार करूँगा। और कलयुग में अपनी शक्तियाँ दिखाऊॅंगा। यह कौन कह रहा था रात में कोई दिखाई नही दिया।
गोसाई जी महाराज इस बार भी उन्होंने इस बात का ध्यान नही दिया अंत में श्री बालाजी महाराज ने दर्शन दिए और कहा कि बेटा मेरी पूजा करो दूसरे दिन गोसाई जी महाराज उठे मूर्तियों के पास पहुंचे उन्होंने देखा कि चारों ओर से घण्टा, घडियाल और नगाड़ों की आवाज़ आ रही है किंतु कुछ दिखाई नही दिया इसके बाद गोसाई महाराज नीचे आए और अपने पास लोगों को इकट्ठा किया अपने सपने के बारे में बताया जो लोग सज्जन थे उन्होने मिल कर एक छोटी सी तिवारी बना दी लोगों ने भोग की व्यवस्था करा दी बालाजी महाराज ने उन लोगों को बहुत चमत्कार दिखाए। जो दुष्ट लोग थे उनकी समझ में कुछ नही आया। श्री बाला जी महाराज की प्रतिमा/ विग्रह जहाँ से निकली थी, लोगों ने उन्हे देखकर सोचा कि वह कोई कला है। तो वह मूर्ति फिर से लुप्त हो गई फिर लोगों ने श्री बाला जी महाराज से क्षमा मांगी तो वो मूर्तियाँ दिखाई देने लगी। श्री बाला जी महाराज की मूर्ति के चरणों में एक कुंड है। जिसका जल कभी ख़त्म नही होता है। रहस्य यह है कि श्री बालाजी महाराज के ह्रदय के पास के छिद्र से एक बारिक जलधारा लगातार बहती है। उसी जल से भक्तों को छींटे लगते हैं।
जोकि चोला चढ़ जाने पर भी जलधारा बन्द नही होती है। इस तरह तीनों देवताओं की स्थापना हुई , श्री बाला जी महाराज जी की, प्रेतराज सरकार की, भैरो बाबा की और जो समाधि वाले बाबा हैं उनकी स्थापना बाद में हुई। श्री बालाजी महाराज ने गोसाई जी महाराज को साक्षात दर्शन दिए थे। उस समय किसी राजा का राज्य चल रहा था। समाधि वाले बाबा ने ही राजा को अपने स्वपन की बात बताई। राजा को यकीन नही आया। राजा ने मूर्ति को देखकर कहा ये कोई कला है। इससे बाबा की मूर्ति अन्दर चली गयी। तो राजा ने खुदाई करवायी तब भी मूर्ति का कोई पता नही चला। तब राजा ने हार मानकर बाबा से क्षमा मांगी और कहा हे श्री बाला जी महाराज हम अज्ञानी हैं मूर्ख हैं हम आपकी शक्ति को नही पहचान पाये हमें अपना बच्चा समझ कर क्षमा कर दो। तब बालाजी महाराज की मूर्तियाँ बाहर आई। मूर्तियाँ बाहर आने के बाद राजा ने गोसाई जी महाराज की बातों पर यकीन किया, और गोसाई जी महाराज को पूजा का भार ग्रहण करने की आज्ञा दी। राजा ने श्री बाला जी महाराज जी का एक विशाल मन्दिर बनवाया। गोसाई जी महाराज ने श्री बाला जी महाराज जी की बहुत वर्ष तक पूजा की, जब गोसाई जी महाराज वृद्धा अवस्था में आये तो उन्होंने श्री बालाजी महाराज की आज्ञा से समाधि ले ली। उन्होंने श्री बाला जी महाराज से प्रार्थना की, कि श्री बाला जी महाराज मेरी एक इच्छा है कि आपकी सेवा और पूजा का भार मेरा ही वंश करे। तब से आज तक गोसाई जी महाराज का परिवार ही पूजा का भार सम्भाल रहे हैं। यहाँ पर लगभग 1000 वर्ष पहले बाला जी प्रकट हुए थे। बालाजी में अब से पहले 11 महंत जी सेवा कर चुके हैं। इस तरह से बालाजी की स्थापना हुई। ये तो कलयुग के अवतार हैं संकट मोचन हैं मेहंदीपुर के आस-पास के इलाके में संकट वाले आदमी बहुत कम हैं। क्योंकि लोगों के मन में बालाजी के प्रति बहुत आस्था है। कहते हैं- जिनके मन में विश्वास है, बालाजी महाराज उन्ही के संकट काटते हैं।
Meri maa ki kidney me ganth h wo bhut bimar koi dwa nhi kaam kr rhi kya mai bina unko laye unki jagah khud aau to kya unki arji lg skti h
Kya mahndipur bala ji ko purnima ke din arji lagti h
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