- पहली पंचवर्षीय योजना 1 अप्रैल, 1951 से प्रारंभी की गई। यह योजना डोमर संवृद्धि मॉडल पर आधारित थी।
- इस योजना के मुख्य उद्देश्यों में युद्ध एवं विभाजन से उत्पन्न असंतुलन को दूर करता, खाद्यान्न आत्मनिर्भरता प्राप्त करना, स्फीतिकारक प्रवृत्तियों को रोकना था।
- इस योजना के तहत-
- कृषि एवं सिंचाई को प्राथमिकता दी गई।
- इसी योजना में 1952 में सामुदायिक विकास कार्यक्रम एवं 1953 में राष्ट्रीय प्रसार सेवा को प्रारंभ किया गया था। ध्यातव्य है कि भाखड़ा नांगल, दामोदर घाटी एवं हीराकुंड जैसी बहूद्देशीय परियोजनाएँ इसी योजना की देन थी।
मूल्यांकन
इस योजना का प्राप्ति लक्ष्य से अधिक था। इस योजना में 2.1 प्रतिशत वृद्धि दर प्राप्त की गई। इसके साथ ही कृषि सिंचाई और सामुदायिक विकास के क्षेत्र में महत्वपूर्ण सफलता प्राप्त हुई।
द्वितीय पंचवर्षीय योजना, 1656-61 (Second five year plan, 1956-61)
- यह योजना पी.सी. महालनोबिस मॉडल पर आधारित थी। इस योजना में भारी उद्योगों की स्थापना पर जोर दिया गया था।
- इस योजना के मुख्य उद्येश्यों में समाजवादी समाज की स्थापना, राष््रीय आय में 25 प्रतिशत की वृद्धि, तीव्र गति से औद्योगीकरण एवं पूंजी निवेश की दर को 11 प्रतिशत करने का लक्ष्य था।
- इस योजना के दौरान राउरकेला, भिालाई तथा दुर्गापुर में लौह-इस्पात संयंत्र स्थापित किये गये। चितरंजन लोकोमोटिव एवं सिंदरी उर्वरक कारखाना भी इसी योजना की देन हैं।
मूल्यांकन
इस योजना में कृषि के स्थान पर उद्योगों को प्राथमिकता देने के परिणामस्वरूप खाद्यान्न तथा अन्य कृषि उत्पादों में भारी कमी हुई। मुद्रास्फीति बढ़ी और इस कारण विदेशी मुद्रा का संकट पैदा हो गया। सार्वजनिक क्षेत्र, औद्योगिक क्षेत्र में उत्प्रेरक के रूप में उभरा। परिवहन एवं ऊर्जा क्षेत्र में विस्तार हुआ। प्रति व्यक्ति आय की वृद्धि दर 1.9 प्रतिशत रही।
तृतीय पंचवर्षीय योजना, 1661-66 (Third five year plan, 1961-66)
- तृतीय योजना में कृषि एवं उद्योगों पर बल दिया गया था। इस योजना का मुख्य उद्देश्य भारतीय अर्थव्यवस्था को आत्मनिर्भर व स्वत:स्फूर्त बनाना था।
- भारत-चीन युद्ध (1962), भारत-पाक युद्ध (1965) और 1965-66 के दौरान सूखा पड़ जाने से तीसरी योजना पूरी तरह असफल रही।
- इस योजना में रुपये का अवमूल्यन किया गया।
- रूस के सहयोग से बोकारो (झारखण्ड) में बोकारो ऑयरन एवं स्टील इंडस्ट्री की स्थापना की गई।
- पहली, दूसरी और तीसरी पंचवर्षीय योजना में सरकार ने ‘ट्रिकल डाउन थियरी’ का अनुसरण किया।
- देश की श्रम शक्ति का अधिकतम उपयोग तथा रोजगार के अवसरों में वृद्धि करना।
मूल्यांकन
खाद्यान्न अत्पादन में 6 प्रतिशत की औसत वार्षिक वृद्धि के स्थान पर 2 प्रतिशत की वृद्धि प्राप्त की जा सकी तथा औद्योगिक उत्पादन में 14 प्रतिशत वार्षिक वृद्धि की जगह यह बहुत कम प्राप्त हुई। राष्ट्रीय आय की वृद्धि दर 5.6 प्रतिशत के विरुद्ध 2.4 प्रतिशत रही, प्रति व्यक्ति आय की व्द्धि दर मात्र 0.2 प्रतिशत ही रही।
तीन वार्षिक योजनाएँ/योजना अवकाश, 1966-69 (Three Annual plans/plan leave, 1966-69)
- नरीमन समिति की सिफारिश पर 1969 में लीड बैंक योजना की शुश्रुआत की गई।
- चीन से पराजित होने के बाद देश का मनोबल थोड़ा कमजोर हुआ जिसका प्रभाव यह हुआ जिसका प्रभाव यह हुआ कि 1966-67 के लिये एक वर्षीय योजना का निर्णय लिया गया। सरकार ने आगामी दो वर्षों में इसी योजना नीति को अपनाया।
- रुपये का अवमूल्यन दूसरी बार 1966 में किया गया।
- निर्यात वस्तुओं की मांग की लोच में कमी के कारण अवमूल्यन का कुछ खास प्रभाव नहीं पड़ा। इस प्रकार इस दौरान कोई नियमित नियोजन नहीं किया गया, इसलिये इसे योजनावकाश कहा जाता है।
चतुर्थ पंचवर्षीय योजना, 1969-74 (Fourth five year plan, 1969-74)
- चतुर्थ पंचवर्षीय योजना का प्रमुख उद्देश्य स्थिरता के साथ आर्थिक विकास, आत्मनिर्भरता की अधिकाधिक प्राप्ति, अर्थव्यवस्था का न्यायपूर्ण विकास तथा संतुलित क्षेत्रीय विकास करना था।
- इस योजना का प्रारूप योजना आयोग के उपाध्यक्ष डी.आर.गाडगिल द्वारा तैयार किया गया था।
- इस योजना के अंतर्गत जुलाई 1969 में 14 वाणिज्यिक बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया गया।
- लियोंटिफ के आगत-निर्गत मॉडल को इस योजना के अंतर्गत लागू किया गया था।
- अर्थव्यवस्था में (राष्ट्रीय आय में) 5.7 प्रतिशत की दर से आर्थिक विकास।
- निर्यात में 7 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि दर प्राप्त करना व सार्वजनिक क्षेत्र का विकास करना।
- मूल्य स्तर में स्थायित्व प्राप्त करने के उद्देश्य को प्रोत्साहित करना।
- कृषि उत्पादन में वृद्धि की ओर ध्यान दिया गया और बफर स्टॉक का निर्माण किया गया ताकि कृषि पदार्थ की निरंतर आपूर्ति सुनिश्चित की जा सके।
- जनसंख्या वृद्धि पर नियंत्रण लगाने तथा जीवन स्तर में सुधार लाने के लिये परिवार नियोजन के कार्यक्रमों को लागू करना।
- सूखा प्रवण क्षेत्र कार्यक्रम की 1973-74 में प्रारंभ किया गया।
मूल्यांकन
इस योजना में विकास दर लक्ष्य 5.7 प्रतिशत रखा गया, जबकि वास्तविक प्राप्ति केवल 3.3 प्रतिशत ही रही। प्रति व्यक्ति आय में 1.1 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई। औद्योगिक उत्पादन 4 प्रतिशत की दर से ही बढ़ा जो निर्धारित लक्ष्य से कम थी।
पाँचवी पंचवर्षीय योजना, 1974-79 (Fifth five year plan, 1974-79)
- इस योजना का मुख्य उद्देश्य गरीबी उन्मूलन के साथ आत्मनिर्भरता प्राप्त करना था।
- इस योजना को डी.पी. धर मॉडल के आधार पर तैयार करना था।
- इस योजना में न्यूनतम आवश्यकता कार्यक्रम की शुरुआत की गई।
- 2 अक्टूबर, 1975 में क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक की स्थापना की गई।
- वर्ष 1975 में 20-सूत्री कार्यक्रम की शुरुआत हुई।
- काम के बदले अनाज कार्यक्रम इसी योजना में प्रारंभ किया गया।
- उत्पादन व रोजगार के अवसरों का विस्तार करना एवं सामाजिक न्याय का विस्तृत कार्यक्रम बनाना।
- प्राथमिक शिक्षा, पेयजल, ग्रामीण सेवाएँ, पोषण, ग्रामीण आवास, ग्रामीण सड़क, ग्रामीण विद्युतीकरण जैसे कार्यक्रमों पर विशेष ध्यान दिया गया।
- आयात प्रतिस्थापन एवं निर्यात संबर्द्धन की ओर ध्यान केंद्रित।
- अनावश्यक उपभोग पर रोक लगा दी गई।
- न्यायपूर्ण मज़दूरी कीमत नीति की व्यवस्था।
- सामाजिक, आर्थिक एवं क्षेत्रीय असमानता को कम करना।
- खाद्यान्न भंडार एवं सार्वजनिक वितरण प्रणाली को बढ़ावा दिया गया।
- जनता सरकार के सत्ता में आने के बाद इस योजना को एक वर्ष पहले 1978 में ही बंद कर दी गई।
मूल्यांकन
खाद्यान्न और सूती वस्त्र के क्षेत्र में उत्पादन में तो संतोषजनक वृद्धि हुई किंतु अन्य लक्ष्यों को प्राप्त करने में यह योजना सफल नहीं हुई। सकल घरेलू उत्पाद (Gross Domestic Product-GDP) में 4.9 प्रतिशत की वृद्धि हुई जबकि प्रतिव्यक्ति आय में 0.75 प्रतिशत की वृद्धि रही। सरकार द्वारा इस योजना को एक वर्ष पूर्व ही (1977-78 में) समाप्त घोषित कर दिया गया।
अनवरत योजना, 1978-80 (Rolling plan, 1978-80)
- जनता पार्टी द्वारा पाँचवी पंचवर्षीय योजना को एक वर्ष पहहले समाप्त करके एक नई योजना को 1 अप्रैल, 1978 में प्रारंभ किया गया, जिसे ‘अनवरत योजना’ की संज्ञा दी गई। अनवरत योजना का प्रतिपादन गुन्नार मिर्डल ने किया था तथा इसे भारत में लागू करने का श्रेय डी.टी. लकड़ावाला को जाता है।
- 1979 में ग्रामीण युवा स्वरोज़गार प्रशिक्षण कार्यक्रम (ट्रायसेम) की शुरुआत की गई, जिसे 1999 में स्वर्ण जयंती ग्राम स्वरोजगार योजना में शामिल किया गया।
- काले धन की मात्रा को कम करने के लिये उच्च मूल्य की मुद्राओं (1000 के नोट) की वैधता समाप्त कर दी गई।
- पूरे देश में श्राब के उत्पादन, व्यापार, विक्रय एवं उपभाग पर पाबंदी लगा दी गई।
- सार्वजनिक बीमा योजना शुरू की गई।
छठी पंचवर्षीय योजना, 1980-85 (Sixth five year plan, 1980-85)
- 1 अप्रैल 1979 से 31 मार्च 1980 तक को भारत में योजनावकाश माना जाता है। छठी योजना में गरीबी निवारण तथा रोज़गार सृजन पर बल दिया गया।
- इस योजना का मुख्य लक्ष्य गरीबी निवार, आर्थिक विकास, आधुनिकीकरण, आत्मनिर्भरता तथा सामाजिक न्याय स्थापित करना था।
- घरेलू ऊर्जा क्षेत्रों का तेजी से विकास करना तथा ऊर्जा संरक्षण (Conservation of enerty) के कुशल उपयोग पर बल दिया गया।
- योजना आयोग के कार्यदल द्वारा ‘गरीबी निर्देशंक’ अर्थात् ग्रामीण क्षेत्रों में 2400 कैलोरी और शहरी क्षेत्रों में 2100 कैलोरी प्रतिदिन उपभोग गरीबी रेखा के रूप में परिभाषित किया गया।
- इसी योजना में 1980 में 6 वैंकों का राष्ट्रीयकरण किया गया, 12 जुलाई, 1982 को नाबार्ड की स्थापना, 1982 में ही एक्जिम बैंक स्थापित किया गया।
मूल्यांकन
इस योजना में 5.2 प्रतिशत वृद्धि दर पर लक्ष्य निर्धारित किया गया था, जबकि वास्तविक उपलद्धि 5.7 प्रतिशत रही। मुद्रास्फीति की दर 16.7 प्रतिशत से घटकर 5 प्रतिशत रह गई। प्रति व्यक्ति आय में 3 प्रतिशत वृद्धि हुई।
सातवी पंचवर्षीय योजना, 1985-90 (Seventh five year plan, 1985-90)
- सातवीं योजना का मुख्य उद्देश्य आर्थिक वृद्धि (Economic growth) आधुनिकीकरण, आत्मनिर्भरता और सामाजिक न्याय पर बल दिया गया। इस लक्ष्य को पूरा करने के लिये खाद्यान्न उत्पादन में वृद्धि, उत्पादकता व रोज़गार अवसरों में वृद्धि पर विशेष ध्यान दिया गया।
- इस योजना में इंदिरा आवास योजना (1985-86), जवाहर रोज़गार योजना (1989) और नेहरू रोज़गार योजना (1989) को लागू किया गया।
- इस योजना में 1986 में स्पीड पोस्ट व्यवस्था, 1986 में नई दिल्ली में ‘कपार्ट’ की स्थापना की गई।
- प्रो. राजकृष्णा ने सातवीं योजना को हिन्दू वृद्धि दर के रूप में वर्णित किया है।
- इस योजना का लक्ष्य 5 प्रतिशत वार्षिक विकास दर प्राप्त करना तथा खाद्यान्नों के उत्पादन में पर्याप्त वृद्धि करना है।
मूल्यांकन
सातवीं योजना में सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में वृद्धि का लक्ष्य 5 प्रतिशत था, जबकि वास्तविक वृद्धि 6 प्रतिशत रही। प्रतिव्यक्ति आय में भी 3.6 प्रतिशत की वृद्धि हुई।
वार्षिक योजनाएँ, 1990-92 (Annual plans, 1990-92)
- राजनीतिक अस्थिरता के कारण वर्ष 1990-92 में दो वार्षिक योजनाएँ चलाई गई।
- इसी दौरान 1991 में नई आर्थिक सुधार की घोषणा की गई।
- सरकार ने नघु उद्योंगो के विकास के लिये वर्ष 1990 में सिडवी (SIDBI) की स्थापना की।
आठवी पंचवर्षीय योजना, 1992-97 (Eighth five year plan, 1992-97)
- इस योजना में सर्वोच्च प्राथमिकता ‘मानव संसाधन का विकास’ अर्थात् रोज़गार, शिक्षा व जनस्वास्थ्य को दिया गया।
- यह योजना उदारीकरण के बाद लागू की गई थी।
- इस योजना में जॉन डब्ल्यू मुलर मॉडल को स्वीकार किया गया।
- इस योजना में लक्षित विकास दर 5.6 प्रतिशत की तुलना में वास्तविक उपलब्धि 6.8 प्रतिशत दर्ज की गई।
- प्रारंभिक शिक्षा को सर्वव्यापक बनाना तथा 15 और 35 वर्ष की आयु के लोगों में निरक्षरता को पूर्णत: समाप्त करना।
- विकास प्रक्रिया को स्थायी आधार पर समर्थन देने के लिये आधार भूत ढाँचे, ऊर्जा, परिवहन, संचार, सिंचाई आदि को मज़बूत करना।
मूल्यांकन
इस योजना में भी ऊर्जा क्षेत्र को प्राथमिकता दी गई तथा सार्वजनिक परिव्यय का 26.6 प्रतिशत इस मद में उपलब्ध कराया गया। कृषि क्षेद्ध में भी लक्ष्य 3.1 प्रतिशत से अधिक वृद्धि दर (3.6 प्रतिशत) प्राप्त की गई। औद्योगिक क्षेत्र में वार्षिक वृद्धि इर 8.1 प्रतिशत जो निर्धारित लक्ष्य 8.5 प्रतिशत से कम रही।
नौवीं पंचवर्षीय योजना, 1997-2002 (Nineth five year plan, 1997-2002)
- नौवी पंचवर्षीय योजना का मुख्य उद्देश्य सामाजिक न्याय और समानता के साथ आर्थिक संवृद्धि था। इस लक्ष्य को पूरा करने के लिये जीवन स्तर, रोज़गार सृजन, आत्मनिर्भरता और क्षेत्रीय संतुलन जैसे क्षेत्रों पर विशेष बल दिया गया।
- मूल्य स्थिरता को बनाये रखते हुए आर्थिक विकास की गति को तेज़ करना।
- पंचायती राज संस्थाओं, सहकारिताओं एवं स्वयंसेवी संस्थाओं को बढ़ावा देना।
- स्वच्छ पेयजल, प्राथमिक स्वास्थ्य देख-रेख सुविधाएँ, सार्वभौमिक प्राथमिक शिक्षा एवं आवास जैसी मूलभूत न्यूनतम सेवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करना।
- इस योजना में ‘स्वर्ण जयंती शहरी रोजगार योजना, जवाहर ग्राम समृद्धि योजना, स्वर्ण जयंती ग्राम स्वरोज़गार योजना, प्रधानमंत्री ग्रामोदय योजना’ को शामिल किया गया।
- भुगतान संतुलन की स्थिति को सुनिश्चित करना।
- विदेशी ऋण भार को बढ़ने से रोकना तथा उसमें कमी लाना।
- खाद्यान्न के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता प्राप्त करना।
- प्राकृतिक संसाधनों का समुचित उपयोग तथा संरक्षण करना।
मूल्यांकन
प्रारंभ में इस योजना के लिये वार्षिक विकास दर 7 प्रतिशत निर्धारित की गई, किंतु बाद में इसे संशोधित करके 6.5 प्रतिशत कर दिया गया; जबकि वास्तविक वृद्धि दर 5.5 प्रतिशत रही। कृषि क्षेत्र में 3.9 प्रतिशत, उद्योग क्षेत्र में 8.5 प्रतिशत, खनन क्षेत्र में 7.2 प्रतिशत, विनिर्माण क्षेत्र में 8.2 प्रतिशत, विद्युत क्षेत्र में 9.3 प्रतिशत तथा सेवा क्षेत्र में 6.5 प्रतिशत वार्षिक वृद्धि प्राप्त करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया।
दसवीं पंचवर्षीय योजना, 2002-07 (Tenth five year plan, 2002-07)
- यह योजना व्यापक आगत-निर्गत मॉडल पर आधारित थी।
- इस योजना में कृषि पर सर्वाधिक बल दिया गया जबकि सर्वाधिक व्यय ऊर्जा पर किया गया।
- मौद्रिक तथा राजकोषीय नीति को और लचीला बनाने पर ज़ोर दिया गया।
- सामाजिक क्षेत्र एवं आधारिक संरचना पर बल दिया गया।
- देश में क्षेत्रीय असंतुलन दूर करने के उद्देश्य से राज्य स्तर पर विशेष लक्ष्य निर्धारित किये गए।
- उन क्षेत्रों में तेज़ी से विकास किया जाना, जिनमें रोज़गार प्रदान करने की संभावनाएँ हैं। इनमें कृषि, निर्माण, पर्यटन, लघु उद्योग, खुदरा, सूचना प्रौद्योगिकी और संचार क्षेत्र में संबंधित सेवाएँ आदि हैं।
मूल्यांकन
इस योजना में लक्षित विकास दर 8 प्रतिशत थी, जबकि वास्तविक उपलब्धि लगभग 7.6 प्रतिशत रही, जो कि लक्ष्य के काफी नज़दीक रही। इस योजना में निवेश की दर सकल घरेलू उत्पाद का 32.1 प्रतिशत रही है, जबकि लक्ष्य 28.41 प्रतिशत का था। सकल घरेलू बचत जी.डी.पी. का 23.31 प्रतिशत रखने का लक्ष्य था, जबकि वास्तव में उपलब्धि लक्ष्य जी.डी.पी. का 31.9 प्रतिशत रही है। ।
ग्यारहवी पंचवर्षीय योजना, 2007-12 (Eleventh five year plan, 2007-12)
- ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना का उद्देश्य विकास को और अधिक पूर्णता बढ़ाते हुए इसकी तीव्र गति प्राप्त करना है। इसका मुख्य उद्देश्य तीव्रतर और अधिक समावेशी विकास करना है।
- 7 वर्ष से अधिक आयु वर्ग में साक्षरता दर को 80 प्रतिशत करना।
- मातृत्व मृत्यु दर को घटाकर 1 प्रति हज़ार जीवित जन्म के स्तर पर लाना।
- कुल प्रजनन दर को 2.1 प्रतिशत तक नीचे लाना।
- ग्रामीण क्षेत्र में निर्धनता रेखा से नीचे रहने वाले सभी परिवारों तक बिजली की पहुँच सुनिश्चित करना।
- कृषि क्षेत्र में औसत वृद्धि दर 3.6 प्रतिशत (लक्ष्य 4.0 प्रतिशत) प्रतिवर्ष। इसके अतिरिक्त कृषि क्षेत्र में लगभग 58.2 प्रतिशत लोगों को रोज़गार प्राप्त हुआ।
- योजना लक्ष्य 9.0 प्रतिशत निर्धारित किया गया था, बाद में इसे 8.1 कर दिया गया किंतु वास्तविक प्राप्ति 8 प्रतिशत दर्ज की गई।
बारहवीं पंचवर्षीय योजना, 2012-17 (Twellfth five year plan,2012-17)
- 12वीं पंचवर्षीय योजना का मुख्य उद्देश्य तीव्र धारणीय एवं अधिक समावेशी विकास था।
- इस योजना में ऊर्जा एवं सामाजिक क्षेत्र को प्राथमिकता दी गई।
- 12वीं पंचवर्षीय योजना के आर्थिक क्षेत्रक में कृषि, उद्योग, ऊर्जा, परिवहन, संचार, ग्रामीण विकास एवं शहरी विकास को शामिल किया गया तथा सामाजिक क्षेत्रक में स्वास्थ्य, शिक्षा, रोज़गार और कौशल विकास, महिला अभिकरण, बाल अधिकार एवं सामाजिक समावेशन को शामिल किया गया। जिसकी व्याख्या निम्नलिखित है-
सामाजिक क्षेत्रक (Social sector)
शिक्षा (Education)
- योजना के अंत तक शिक्षा प्राप्त करने की माध्य आयु बढ़ाकर सात वर्ष करना।
- कौशल को ध्यान में रखते हुए प्रत्येक आयु वर्ग को उसके अनुरूप शिक्षा की व्यवस्था करना तथा उच्च शिक्षा के लिक्ष्य प्राप्त करने के लिये 20 लाख रोज़गार के अतिरिक्त अवसरों का सृजन करना।
- योजना के अंत तक बालक-वालिकाओं, अनुसूचित जाति/जनजाति, अल्पसंख्यकों एवं अन्य लोगों के बीच असमानता समाप्त करना।
स्वास्थ्य (Health)
- योजना के अंत तक शिशु मृत्यु दर को घटाकर 25 एवं मातृत्व मृत्यु दर को घटाकर 100 (प्रत्येक 100000 जीवित जन्म में) के स्तर पर लाना तथा कुल प्रजनन दर को 2.1 प्रतिशत करना।
कौशल विकास (Skill development)
- बेरोजगारी दूर करने के उपायों में विभिन्न क्षेत्रों में वृद्धि का लक्ष्य रखा गया जिससे उन क्षेत्रों में रोज़गार सृजन होगा परंतु इसमें अकुशल लोगों की ही नहीं कुशल लोगों की भी आवश्यकता होगी।
आर्थिक क्षेत्रक(Economic sector)
कृषि (Agriculture)
- कृषि क्षेत्र में विकास दर का लक्ष्य 4 प्रतिशत रखा गया।
- 12वीं योजना में कृषि से संबंधित कुछ नई पहलें अपनाईगई जो निम्नलिखित है-
- राष्ट्रीय कृषि शिक्षा परियोजना
- राष्ट्रीय कृषि उद्यमशीलता परियोजना
- किसान पहलें
- कृषि के प्रति युवाओं को आकर्षित करना।
उद्योग (Industry)
- 12वी पंचवर्षीय योजना में विनिर्माण क्षेत्र में विकास दर का लक्ष्य 10 प्रतिशत रखा गया।
खाद्य प्रसंस्करण उद्योग (Food processing industry)
- भारत खाद्यान्न, दूध, फल व सब्जियों में आत्मनिर्भर है जिससे खद्य सुरक्षा सुनिश्चित होती है, यहाँ तक कि निर्यात हेतु अधिशेष भी होता है। भारत में ग्रामीण अर्थव्यवस्था के विकास के संदर्भ में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग अत्यन्त महत्व रखता है।
ऊर्जा (Energy)
- अमेरिका और चीन के बाद भारत ऊर्जा का तीसरा सबसे अधिक उपयोग करने वाला देश है, परंतु भारत के पास ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के संसाधन नहीं हैं। यह अपनी जरूरतों को कोयला, पेट्रोलियम, यूरेनियम, जल और अनय नवीकरणीय संसाधनों अर्थात् सभी उपलब्ध घरेलू संसाधनों का उपयोग करता है और आयात द्वारा घरेलू उत्पादन की पूर्ति करता है।
ग्रामीण आधारभूत संरचना (Rural Infrastructure)
- योजना के अंत तक आधारभूत संरचना पर व्यय को सकल घरेलू उत्पाद के 9 प्रतिशत के स्तर पर लाना।
- योजना के अंत तक सभी गाँवों तक बिजली एवं सड़क की पहुँच सुनिश्चित करना।
- योजना के अंत तक देश के समस्त राष्ट्रीय एवं राजकीय राजमार्गों को कम से कम दो लेन का बनाना।
- योजना के अंत तक ग्रामीण दूरसंचाल कबे घनत्व को बढ़ाकर 70 प्रतिशत कर दिया गया है।
- देश के 50 प्रतिशत जनसंख्या के 40 प्रतिशत पेयजल की आपूर्ति नलों के माध्यम से सुनिश्चित करना तथा 50 प्रतिशत ग्राम पंचायतों को निर्मल ग्राम का दर्जा प्रदान करना।
स्थिर मूल्यों (2004-2005) पर मूल उद्योग द्वारा जी.डी.पी. की वार्षिक विकास दर |
बारहवीं योजनावधि |
| | 2012-13 | 2013-14 | 2014-15 | 2015-16 | 2016-17 | औसत |
1. | कृषि, वानिकी एवं मत्स्य पालन | 2.0 | 4.5 | 4.5 | 4.5 | 4.5 | 4.0 |
2. | खनन एवं उत्खनन | 1.0 | 5.0 | 7.0 | 7.0 | 8.5 | 5.7 |
3. | विनिर्माण | 2.2 | 6.0 | 8.5 | 9.5 | 9.5 | 7.1 |
4. | विद्युत गैस और जलापूर्ति | 5.2 | 7.5 | 8.0 | 8.0 | 8.00 | 7. |
5. | निर्माण | 8.0 | 8.0 | 8.5 | 10.0 | 11.0 | 9.1 |
6. | व्यापार, होटल एवं रेस्तराँ | 5.5 | 6.0 | 8.0 | 8.7 | 8.7 | 7.4 |
7. | परिवहन, भंडारण एवं संचार | 7.3 | 11.1 | 13.0 | 13.6 | 14.1 | 11.8 |
8. | वित्तपोषण, वीमा, रियल एस्टेट और व्यापार सेवाएँ | 9.8 | 9.5 | 10.0 | 10.0 | 10.0 | 9.9 |
9. | सामुदायिक, सामाजिक एवं वैयक्तिक सेवाएँ | 7.3 | 7.2 | 7.2 | 7.2 | 7.2 | 7.2 |
| कुल जी.डी.पी. | 5.8 | 7.3 | 8.5 | 9.0 | 9.2 | 8.0 |
पंचवर्षीय योजना
पंचवर्षीय योजना पंचवर्षीय योजनायोजनावधिलक्षित वृद्धि दरप्राप्त वृद्धि (प्रतिशत में)मॉडलमहत्वपूर्ण बिन्दुपहली1951-562.13.6होरॉड-डोमर मॉडलकृषि विकास को प्राथमिकतादूसरी 1956-614.54.3महालनोबिस का मॉडलआधारभूत एवं भारी उद्योगों का विकासतीसरी1961-665.62.8जे.सैंडी, सुखमय चक्रवर्तीआत्मतनर्भरता एवं स्वत: स्फूर्त अर्थव्यवस्थाचौथी1969-745.73.3आशेक रुद्र एवं एलन एस.मान्ने का ओपन कन्सिस्टेंसी मॉडलस्थिरता के साथ आत्मनिर्भरतापाँचवी1974-794.44.8डी.पी. धरनिर्धनता उन्मूलन एवं आत्मनिर्भरताछठी1980-855.25.7आगत-निर्गतगरीबी निवारण एवं रोज़गार सृजनसातवीं1985-905.06.0आगत-निर्गत मॉडल का विस्तारकृषि, विकास प्रेरित समृद्धि रणनीतिआठवीं1992-975.66.8जॉन डब्ल्यू मुलर मॉडलमानव संसाधन पर बलनौवीं1997-026.55.4आगत-निर्गत मॉडलसामाजिक न्याय और असमानता के साथ आर्थिक संवृद्धिदसवीं2002-078.07.6व्यापक आगत-निर्गत मॉडलसामाजिक न्याय तथा समता के साथ आर्थिक विकासग्यारहवीं2007-12वास्तविक लक्ष्य 9 प्रति. संशोधित लक्ष्य 8.1 प्रति.8.0योजना आयोग का पत्रतीव्रतर और अधिक समावेशी विकासबारहवीं2012-178.0–त्वरित, सतत् और