Patsun Udyog Kya Hai पटसन उद्योग क्या है

पटसन उद्योग क्या है



GkExams on 25-04-2022


पटसन के बारें में : पटसन, पाट या पटुआ एक द्विबीजपत्री, रेशेदार पौधा है। इसका (jute plant) तना पतला और बेलनाकार होता है। इसके तने से पत्तियाँ अलग कर पानी में गट्ठर बाँधकर सड़ने के लिए डाल दिया जाता है।


इसके बाद रेशे को पौधे से अलग किया जाता है। इसके रेशे बोरे, दरी, तम्बू, तिरपाल, टाट, रस्सियाँ, निम्नकोटि के कपड़े तथा कागज बनाने (jute fabric) के काम आता है।


आपकी बेहतर जानकारी के लिए बता दे की 'जूट' शब्द संस्कृत के 'जटा' या 'जूट' से निकला समझा जाता है। यूरोप में 18वीं शताब्दी में पहले-पहल इस शब्द का प्रयोग मिलता है, यद्यपि वहाँ इस द्रव्य का आयात 18वीं शताब्दी के पूर्व से "पाट" के नाम से होता आ रहा था।


जूट के रेशे साधारणतया छह से लेकर दस फुट तक लंबे होते हैं, पर विशेष अवस्थाओं में 14 से लेकर 15 फुट तक लंबे पाए गए हैं। तुरंत का निकाला रेशा अधिक मजबूत, अधिक चमकदार, अधिक कोमल और अधिक सफेद होता है। खुला रखने से इन गुणों का ह्रास होता है।


जूट के रेशे का विरंजन कुछ सीमा तक हो सकता है, पर विरंजन से बिल्कुल सफेद रेशा नहीं प्राप्त होता। रेशा आर्द्रताग्राही होता है। 6 से लेकर 23% तक नमी रेशे में रह सकती है।


जूट के उपयोग :


यहाँ हम निम्नलिखित बिन्दुओं द्वारा आपको जूट के उपयोगों (jute products) से रूबरू करा रहे है, जो इस प्रकार है...


  • बोरे बनाने में।
  • तिरपाल बनाने में।
  • टाट बनाने में।
  • दरी बनाने में।
  • तम्बू बनाने में।
  • रस्सियाँ बनाने में।
  • कागज बनाने में।



  • जूट की खेती (Jute Crop) कैसे करें?




    जूट की खेती गर्मी और बरसात दोनों मौसम में की जाती है लेकिन असामान्य बारिश पैदावार को नुक्सान पहुँचा सकता है। इसकी खेती के लिए खेत तैयार करने हेतु सबसे पहले हल से अच्छी गहरी जुताई कर कुछ दिन खुला छोड़ उसमे अच्छे से धूप लगने दे।


    फिर उसमे खाद डालकर उसे कल्टीवेटर से 2-3 तिरछी जुताई कर पहली सिंचाई कर दे। जब खेत में खरपतवार निकलने लगे तब खेत की रोटावेटर से जुताई कर दें जिससे खरपतवार नष्ट हो जाये और मिट्टी नमी युक्त और भुरभुरी हो जाये।


    खेत की जुताई के वक्त 25 से 30 टन सड़ी हुई पुरानी गोबर मिट्टी में डालकर अच्छे से मिला दें। जैविक खाद के अलावा आखिरी जुताई के वक्त प्रति हेक्टेयर के हिसाब से 2:1:1 के अनुपात में नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश की 90 किलो खेत में डाल दें।


    उसके बाद नाइट्रोजन की आधी मात्रा को 2 बार पौधों की सिंचाई के समय दें। इसके बाद जब तक फसल तैयार नही हो जाती तब तक इसका ख्याल रखें। और सिंचाई समय समय पर करते रहें।


    ध्यान रहे की जूट के पौधों की कटाई सही समय पर करना बहुत जरुरी है। समय से पहले काटने पर सूत्र छोटे बनते हैं और देर से काटने पर मोटे और कमजोर होते हैं। कटाई के बाद जूट के पौधों को उसके लम्बाई के आधार पर अलग अलग बंडल बनाया जाता है। पत्तियों के सूखने तक बंडलों को 2-3 दिन तक खेत में छोड़ देते हैं और सूखने के बाद उन्हें झाड़ देते है। कटाई के 2-3 दिन बाद लगभग 20 से 25 दिनों तक पानी में डुबोकर रखा जाता है जिससे यह सड़ जाते है।


    जिसके बाद सूत्र को निकालकर उन्हें धोकर साफ़ कर लिया जाता हैं और 4-5 दिन तक तेज़ धूप में सूखाते हैं। सूखने के बाद इन्हें बंडल बनाकर रखते है क्योंकि ज्यादा समय तक बिखरे हुए होने से सूत्र कमजोर हो जाते है।




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    Comments aditi on 30-09-2022

    patSan udhyog kya ha?

    Lll on 12-12-2021

    Patasan udyog ki samasya

    DEVENDRA on 25-09-2021

    पटसन उद्योग क्या है






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