ऊष्मा एक प्रकार की ऊर्जा है जो दो पदार्थओं के बीच तापान्तर को व्यक्त करती है. ऊष्मा हमेशा एक स्थान से दूसरे स्थान को स्थान्तरित होती है और यह स्थानान्तरण हमेशा अधिक ताप वाली पदार्थ से कम ताप वाली पदार्थ के बीच होता है.
ऊष्मा=दो पदार्थओं के बीच तापान्तर
ताप
ताप एक प्रकार की ऊर्जा है जो किसी पदार्थ के अंदर, उसके परमाणुओं व अणुओं कि गति के कारण उत्पन्न होती है.
यदि पदार्थ अत्यधिक तापयुक्त है, तो इसका अर्थ है कि- पदार्थ के अणु अत्यधिक क्रियाशील हैं. (बर्फ का पिघलना)
यदि पदार्थ कम तापयुक्त है तो इसका अर्थ है कि पदार्थ के अणुओं की गति बहुत कम है, अर्थात अणु कम क्रियाशील हैं.
ताप=पदार्थओं के ठन्डे व गर्म होने का माप
क्या होगा जब दो अलग अलग ताप की पदार्थएं संपर्क में लायी जाती हैं.
ऊष्मा हमेशा अधिक ताप वाली पदार्थ से कम ताप वाली पदार्थ के बीच होता है. ऊष्मा का यह स्थानान्तरण तब तक होता है जब तक दोनों पदार्थएं सामान तापमान ना प्राप्त कर लें, इस नियम को कैलोरीमिति का नियम कहते हैं.
और कैलौरीमिति के सिद्धांत से
गर्म पदार्थ द्वारा खोयी गई ऊष्मा = ठंडी पदार्थ द्वारा अर्जित की गई ऊष्मा
ऊष्मा का मापन
एक पदार्थ द्वारा प्राप्त की गई ऊष्मा उसके द्रव्यमान के अनुक्रमानुपाती होती है.
एक पदार्थ द्वारा प्राप्त की गई ऊष्मा उसको दिए गए ताप के अनुक्रमानुपाती होती है.
एक पदार्थ द्वारा प्राप्त की गई ऊष्मा पदार्थ की प्रकृति पर निर्भर करती है.
ऊष्मा का मात्रक
ऊष्मा को कैलोरी, किलोकैलोरी, या जूल में मापा जाता है.
1 कैलोरी-: 1 ग्राम पानी का तापमान 1०C बढ़ाने के लिए आवश्यक ऊष्मा की मात्रा
1 किलोकैलोरी 1 किलोग्राम पानी का तापमान 1०C बढ़ाने के लिए आवश्यक ऊष्मा की मात्रा आपेक्षित ऊष्मा
एक पदार्थ द्वारा ग्रहण की गई ऊष्मा पदार्थ की प्रकृति पर निर्भर करती है. उदाहरण के लिए यदि एकसमान मात्र के जल व रेट को एकसमान स्रोत से एकसमान समय के लिए ऊष्मा प्रदान की जाए तो हम देखते हैं कि रेत द्वारा ली गई ऊष्मा, पानी की तुलना में अधिक होती है.
कारण-: विभिन्न वस्तुओं की ऊष्मा ग्रहण करने की विभिन्न क्षमता.
परिभाषा
अर्थात किसी पदार्थ की ऊष्मा ग्रहण करने की क्षमता को उस पदार्थ की आपेक्षित ऊष्मा कहते हैं. अर्थात किसी पदार्थ की एकांक द्रव्यमान को 1०C तक बढ़ाने के लिए आवश्यक ऊष्मा, उस पदार्थ की आपेक्षित ऊष्मा कहलाती है.
पदार्थ की आपेक्षित ऊष्मा= पदार्थ द्वारा ली गई ऊष्मा की मात्रा
उदाहरण
पानी की आपेक्षित ऊष्मा सबसे अधिक होती है.
पानी की आपेक्षित ऊष्मा=4.2 जूल/ग्राम-०C होती है. अर्थात पानी के एक ग्राम द्रव्यमान को 1०C बढाने के लिए 4.2 जूल ऊष्मा ऊर्जा की आवश्यकता होती है.
किरोसीन तेल की आपेक्षित ऊष्मा= 2.1 जूल/ग्राम-०C
पारे की आपेक्षित ऊष्मा= 1.39 जूल/ग्राम-०C
विधुतरोधी पदार्थो की आपेक्षित ऊष्मा = बहुत अधिक होती है
विधुतचालक पदार्थो की आपेक्षित ऊष्मा = बहुत कम होती है.
आपेक्षित ऊष्मा के दैनिक अनुप्रयोग
पानी की आपेक्षित ऊष्मा की क्षमता सबसे अधिक होती है, अर्थात पानी अत्यधिक ऊष्मा को अवशोषित करके रख सकता है, और इस ऊष्मा को अवशोषित करने के लिए अत्यधिक समय भी लेता है. इसके ठीक विपरीत पानी ताप को मुक्त करते समय अत्यधिक ऊष्मा प्रदान करता है, व एक लंबे समयांतराल में ठंडा होता है.
स्थलीय समीर व समुद्री समीर का निर्माण
पानी एक इसी गुण के कारण पानी का उपयोग शिकाई के लिए ‘हॉट बैग’ में किया जाता है.
पानी का उपयोग कूलरों व मशीनों में शीतलन के रूप में किया जाता है.
ठन्डे शहरों में जूस व शराब की बोतलें पानी के नीचे रखी जाती हैं. पानी के अंदर का ताप अधिक समय तक बना रहता है, इसलिए पानी बोतलों में रखे द्रव को जमने नहीं देता है.
किसान सर्दियों में अपनी फसल को पाले से बचाने के लिए अपने खेतों में पानी भर देते हैं. पानी के अंदर का आपेक्षित ताप, पौधों को आवश्यक ऊष्मा प्रदान करता है.
घरों में बनाने वाले बर्तन को बनाने के लिए धातुओं का उपयोग किया जाता है. धातुओं की आपेक्षित ऊष्मा कम होती है, और वे जल्दी गर्म हो जाते हैं.
menka chauhan
ऊष्मा और तापमान में अंतर
उष्मा तथा ताप में अंतर
Usma or tapmaan main antr
उष्मा और तापमान में अतर
Usma or tapmaan main antar
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