गिर गाय के बारें में (About Gir Cow In Hindi) : इस नस्ल की गाय भारत में अपने दुग्ध के लिए काफी प्रसिद्द है। आमतौर पर भारत में यह गुजरात राज्य के गिर वन क्षेत्र और महाराष्ट्र तथा राजस्थान के आसपास के जिलों में पायी जाती है। इसके दूध को अमृत के सामान माना जाता है। क्योकि यह स्वास्थ्य के लिए काफी लाभदायक होता है। जिसकी कीमत काफी महंगी होती है।
आपको बता दे की गिर गाय के दूध में औषधीय गुण होने की वजह से बाजार में इसकी कीमत 100 रूपये से लेकर 300 रूपए (gir cow milk per day) तक रहती है। इसलिए आम गायों से इसका दूध काफी महंगा जाने के कारण जो इस गाय को पालता है उसे भी काफी मुनाफा होता है।
इस गाय के प्रतिदिन की दूध उत्पादन (gyr cattle price) क्षमता 12 लीटर होती है और इस गाय के दूध में वसा की मात्रा लगभग 4.5 प्रतिशत होती है। आपको बता दे की गिर नस्ल की गाय 3 वर्ष की आयु में पहली बार बछड़े को जन्म दे देती है। और अपने पूरे जीवन काल में यह गाय 6 से 12 बछड़ो को जन्म देने में सक्षम होती है।
गिर गाय की पहचान :
अगर आप भी गिर गाय खरीदने की सोच रहे है और आपको पता नही है की ये गाय कैसी होती है
(gir cattle characteristics) तो आप ध्यान में रखें की इस गाय के शरीर का रंग सफेद, गहरे लाल या चॉकलेट भूरे रंग के धब्बे के साथ या कभी कभी चमकदार लाल रंग में भी पाया जाता है।
जैसा की आप उपरोक्त तस्वीर में देख रहे है की इसके कान काफी लम्बे तथा नीचे की ओर लटके हुए होते है। इसके लंबे और घुमावदार सींग और पीट पर छोटा सा-कूबड़ इसकी पहचान को और भी साफ बनाते हैं। वैसे आपको बता दे की मादा गिर गाय का औसत वजन 385 किलोग्राम तथा ऊंचाई 130 सेंटीमीटर होती है।
गाय की नस्ल का नाम :
यहाँ हम आपको भारत में आमतौर पर पाई जाने वाली गाय की प्रमुख नस्लों
(Cow Types) के नामों से अवगत करा रहे है, जो इस प्रकार है...
अमृतमहल (कर्नाटक) बचौर (बिहार) बर्गुर (तमिलनाडु) डांगी (महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश) गिर (गुजरात) हल्लीकर (कर्नाटक) कंगायम (तमिलनाडु) केनकथा (उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश) गओलाओ (महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश) खेरिगढ़ (उत्तर प्रदेश) कृष्णा वैली (कर्नाटक) मालवी (मध्य प्रदेश) मेवाती (राजस्थान, हरयाणा और उत्तर प्रदेश) नागोरी (राजस्थान) निमरी (मध्य प्रदेश) अंगोल (आंध्रप्रदेश) पोंवर (उत्तर प्रदेश) पुन्गानुर (आंध्रप्रदेश) राठी (राजस्थान) रेड कंधारी (महाराष्ट्र) साहीवाल (पंजाब और राजस्थान) सीरी (सिक्किम और भूटान) गंगातीरी (उत्तर प्रदेश और बिहार) थारपारकर (राजस्थान) उम्ब्लाचेरी (तमिलनाडु) वेचुर (केरल) मोतू (उड़ीसा,छत्तीसगढ़ और आंध्रप्रदेश) घुमुसरी (उड़ीसा) बिन्झार्पुरी (उड़ीसा) खरिअर (उड़ीसा) कोसली (छत्तीसगढ़) बद्री (उत्तराखंड)गाय का पाचन तंत्र :
जैसा की हम सब जानते है की गाय एक शाकाहारी है जो केवल पौधे सामग्री खाती है। और इसका पेट चार भागों में विभाजित होता है, अगर हम मानव से इसके पाचन तंत्र की तुलना करें तो गाय और मानव की पाचन प्रणाली में दांत, मुंह, अन्नप्रणाली, पेट, छोटी और बड़ी आंत शामिल हैं। मुख्य अंतर गाय और मानव के बीच पाचन तंत्र है गाय एक अग्रगामी किण्वक पाचन का प्रदर्शन करती है, जबकि मानव एक सरल मोनोगैस्ट्रिक पाचन का प्रदर्शन करता है।
गाय चारा-सानी के समय गाय जल्दी-जल्दी आहार को पेट में भर लेती है और बाद में इसे वापस मुँह में लाकर चबाती है। ध्यान रहे की इस प्रक्रिया को आम भाषा में
"जुगाली" कहते हैं और इसकी अवधि 6 से 8 घंटे तक होती है। गाय के पाचन तंत्र के अंगों के नाम इस प्रकार है...
आहार-नाल मुखगुहा ग्रसनी ग्रसिका आमाशय छोटी आंत बड़ी आंत मलाशय मलद्वारगर्भवती गाय के लक्षण :
दोस्तों वैसे तो गाय / भैंस का गर्भ की जांच करना एक बहुत बड़ी चुनौती है। वर्तमान समय में गाय / भैंस के गर्भ का पता लगाने के लिए 60 से 70 दिनों
(cow pregnancy) तक इंतजार करना पड़ता है। यह एक बहुत बड़ी प्रक्रिया है। यदि इस दौरान गाय / भैंस गर्भवती ना हुई तो पशुपालकों
(cow semens for sale in india) को काफी नुकसान उठाना पड़ता है और उन्हें फिर से 21 दिन तक पशुपालकों को इंतजार करना पड़ता है।
इसका मतलब ये हुआ की आगामी कुल पिछले 4 महीनों के इंतजार करना पड़ता है वो भी बेवजह। और इस निराशा से दोस्तों सच आजकल ये भी हो गया है की लोग गाय / भैंस पालना भी कम कर रहे है। इसका परिणाम ये हो रहा है की हमारे देश में डेयरी उत्पादों का आयात भी बढ़ गया है, जिसका सीधा असर हमारे देश की अर्थव्यवस्था पर पड़ता है।
यहाँ हम निम्नलिखित बिन्दुओं द्वारा जो गाय गर्भवती
(Signs a Cow Is Pregnant) नही होती है उसके लक्षण बता रहे है इन्हें समझकर आप जान सकते है, की गाय गर्भवती है या नही....
बार-बार चीखना शरीर के तापमान में मामूली सी वृद्धि होना दूध कम हो जाना भूख कम हो जाना बेचैन मालूम पड़ना दूसरी गाय के ऊपर चढ़ना बार-बार पेशाब करना भगोष्ठ में सूजन आनायदि आपको उपरोक्त लक्षणों में से कोई भी लक्षण अपनी गाय में दिखता है तो आपको अपनी गाय को फिर से सिमन लगवाने या सांड के पास ले जाने की जरूरत है ताकि वह समय पर दूध देने के लायक बन जाए।
गाय का गर्भाधान कब कराएं?
ध्यान रहे की गाय या भैंस सुबह में गर्म होती है तो उसी दिन शाम में गर्भाधान कराना चाहिए। अगर कोई गाय या भैंस एक दिन से ज्यादा गर्म रहती है तो उसे करीब बारह घंटे के अंतर पर दो बार गर्भाधान कराना लाभदायक होता है।