Agra Ka Moti Masjid आगरा का मोती मस्जिद

आगरा का मोती मस्जिद



GkExams on 12-05-2019



भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के आगरा में स्थित मोती मस्जिद का निर्माण शाहजहां ने करवाया था। मुग़ल सम्राट शाह जहां के शासन काल के दौरान कई वास्तु अजूबों का निर्माण हुआ था। जिनमे से सबसे प्रसिद्ध ताज महल है। मोती मस्जिद को “Pearl Mosque” की उपाधि दी गयी है जो बिलकुल मोती की तरह चमकती है। ऐसा माना जाता है की इस मस्जिद का निर्माण शाहजहाँ ने अपने शाही दरबार के सदस्यों के लिए करवाया था।

निर्माण :

मोती मस्जिद का निर्माण कार्य सं 1648 में प्रारम्भ हुआ था, जिसे समाप्त होने में छः वर्ष का समय लगा। दीवान-ऐ-आम मस्जिद के बायीं तरफ स्थित है, ये स्थान वे स्थान है जहां सम्राट अपनी राज्य की आम जनता से भेंट करने के लिए दरबार आयोजित करते है। इस मस्जिद के फर्श का ढलान पूर्व से पश्चिम की और नीचे की तरफ जाता है। मोती मस्जिद का निर्माण लाल बलुआ पत्थर द्वारा किया गया है और इसके शीर्ष पर स्थित तीन गुम्बंद का निर्माण सफ़ेद संगमरमर से किया गया है जो देखने में अति आकर्षक लगते है। मुग़ल युग में बनी सभी इमारतों की ही तरह इस स्थान को भी सममित डिजाइन में बनाया गया है। यहाँ गुम्बंददार खोखो से बनी एक श्रृंखला है जिनका निर्माण मुख्य तौर हिन्दू वास्तुकला से प्रेरित होकर किया गया था।
मोती मस्जिद में सात खण्ड है जिनको खंडदार मेहराब और खम्बो ने सहारा दे रखा है, आगे प्रत्येक को फिर से तीन गलियारों में विभाजित किया गया है। इन इक्कीस खण्डों में से तीन में गुबंददार छत है। मोती मस्जिद के आँगन के केंद्र से एक संगमरमर टैंक देखा जा सकता है और साथ ही एक पारम्परिक धुप घड़ी जो दरबार के एक कोने पर स्थित अष्टकोणीय संगमरमर के स्तंभ पर स्थापित की गयी है की भी देखा जा सकता है। इबादत कक्ष को मोती मस्जिद परिसर के पश्चिमी कोने पर बनाया गया है और पूर्वी, उत्तरी और दक्षिणी तरफ छोटे छोटे मठ है जिन्हे सुन्दर मेहराबों से सजाया गया है।

मोती मस्जिद में तीन द्वार है, जिनमे से सबसे बड़ा और अति सुन्दर द्वार परिसर की पूर्वी तरफ स्थित है जिसे मुख्य द्वार भी कहा जाता है। दक्षिणी और उत्तरी छोर पर बाकी दो अतिरिक्त द्वार है। इन द्वारों को शाही और सुन्दर मेहराबों से सजाया गया है और इनमे कुछ वर्गाकार की छतरियां भी है, जो राजाओ और महाराजाओ के युग से चली आ रही है। मुख्य द्वार तक दो सीढ़ियों द्वारा जाया जाता है जिनका निर्माण पूर्णतः लाल बलुआ पत्थर द्वारा किया गया है और परिसर के आंतरिक भाग का निर्माण सफ़ेद संगमरमर से किया गया है। इबादत कक्ष में महराबदार रास्ते है जिन्हे सात मनोहर मेहराबों से सजाया गया है।


दक्षिणी दिवार में स्थित आंतरिक मेहराब को छः आलो से उत्कीर्ण किया गया है जो उन मेहराबों के अनुरुप है। मोती मस्जिद के मुख्य इबादत कक्ष के एक हिस्से जालियों से ढक दिया है जिससे मुग़ल महिलाएं भी इस इबादत खाने में इबादत कर सके। इन जालियों को सफ़ेद संगमरमर से बनाया गया है। वर्गाकार दीवार को बड़ी ही खूबसूरती के साथ अष्टकोणीय मीनारों का आकार दिया गया है जिनके शीर्ष पर सात छतरियां लगायी गयी है। वर्ग के प्रत्येक कोने पर एक गुबन्द-आकार की संरचना है जिसे पूरी तरह सफ़ेद संगमरमर से बनाया गया है। विश्व में स्थित सभी मस्जिदो के मंच में तीन सीढ़िया होती है परन्तु ये एकमात्र ऐसी मस्जिद है जिसमे चार सीढ़िया है।


मोती मस्जिद, मुग़ल युग में बनी सबसे महँगी वास्तुकला परियोजना में से एक है। इसकी निर्माण लागत कुल एक लाख साठ हज़ार रूपए थी। मोती मस्जिद मुग़ल राजवंश के वास्तुकारों की उत्तम कौशल को स्पष्ट रूप से दर्शाती है।



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