गुड़हल Ke Pushp Ki Sanrachana गुड़हल के पुष्प की संरचना

गुड़हल के पुष्प की संरचना



GkExams on 24-03-2022


गुड़हल के फूल का हिंदी नाम जवाकुसुम है, कुछ लोग इसे गुड़हल के नाम से जानते है, और कुछ लोग इसके जवाकुसुम के नाम से जानते है।


गुड़हल-Ke-Pushp-Ki-Sanrachana


गुड़हल के फूल का वानस्पतिक नाम - “हीबीस्कूस् रोज़ा साइनेन्सिस” है।


इसका फूल कई रंगों का होता है - यह लाल, पीला, और सफ़ेद रंगो में होता है। यह कई शानदार फूलो में से एक है। गुड़हल के फूल का आकार तुरही की तरह होता है, यह प्रत्येक रंग में होता है, इसकी कुछ प्रजातियां तो भारत में भी पायी जाती है, जो की अनेक रंगो की होती है।


गुड़हल के पौधे के बारें में :


  • इसका पौधा एक बड़ी झाड़ी की तरह होता है। यह पौधा एक लम्बे समय तक जीवित रहने वाला पौधा है l
  • गुड़हल के पौधे के आकर लगभग 10-15 फिट तक हो जाता है।
  • इसके पत्तो का रंग गहरा हरा होता है, जिनका आकर सामान्य, भालाकार, और अंडाकार होता है।
  • इसके पत्तियों के किनारो पर दांते होते है।
  • गुड़हल के फूल के आकार की बात करें, तो इनका सामान्य आकर तुरही की तरह होता है, जिनका व्यास
  • लगभग पांच से सात इंच का होता है, यह ऊपर से बड़े होते है।

  • गुड़हल के फूल के बारें में :


  • इसके फूलो का सामान्य रंग पीला, लाल, और सफ़ेद होता है।
  • इसके प्रत्येक फूल में 7 या इससे ज्यादा पंखुड़ियां होती है, जो की एक दूसरे के साथ जुड़ी होती है।
  • फूल की चौड़ाई पांच सेंटीमिटर तक की होती है।
  • जब यह फूल फल में बदल जाता है, तो इसके ऊपर फल लगता है, जो की पांच भुजाओ वाला होता है।
  • इसकी प्रत्येक फांक में बीज पाए जाते है।
  • जब इसका फल पक जाता है तब इसके बीज अपने आप बहार आ जाते है।



  • पुष्प की संरचना :


    पुष्प पौधे की जनन संरचना है और लैंगिक जनन से सम्बन्धित सभी प्रक्रियाएँ पुष्प में ही संपन्न होती है। इस प्रकार पुष्प की अनुपस्थिति में भ्रूण , बीज और फल का विकास सम्भव नहीं है। आकारिकी दृष्टि से पुष्प एक रूपांतरित प्ररोह है जिसमें पर्व और पर्वसन्धियां सुसंहत रूप से व्यवस्थित होती है। पर्वसन्धियों पर बन्ध्य और उर्वर उपांग अर्थात पुष्पी पत्र उपस्थित होते है।


    प्रारूपिक पुष्प में उपांगों के चार चक्र उपस्थित होते है , जिन्हें क्रमशः बाह्यदलपुंज , दलपुंज , पुमंग और जायांग कहते है। सभी उपांग पात्र पर एक निश्चित क्रम में व्यवस्थित होते है। उपांगों की पुष्पासन पर स्थिति के आधार पर पुष्प निम्नलिखित प्रकार के हो सकते है....


  • जायांगधर : इसमें उपांग जायांग के आधार पर निविष्ट होते है अर्थात अण्डाशय उधर्ववर्ती होता है।
  • जायागोंपरीक : इनमें उपांग जायांग के ऊपर अर्थात शीर्ष पर निविष्ट होते है। ऐसी स्थिति में अंडाशय अधोवर्ती होता है।
  • परिजायांगी : यह जायांगधर और जायांगोपारिक के मध्य की स्थिति है , जिसमें पुष्पासन अवतल अथवा प्यालेनुमा होता है। इसमें जायांग प्याले के केंद्र पर और अन्य उपांग प्याले की परिधि पर संलग्न होते है।



  • 1. बाह्यदलपुंज : यह पुष्पीय उपांगों का सबसे बाह्य चक्र है। यह सामान्यतया अनेक पत्तीनुमा हरी संरचनाओं से बना होता है , जिन्हें बाह्यदल कहते है।


    2. दलपुंज : यह पुष्पी उपांगों का दूसरा चक्र है जो बाह्यदलपुंज के अन्दर की तरफ स्थित होता है। यह अनेक दलपत्रों से बना होता है जो बड़े , आकर्षक और रंगीन होते है। दलपुंज का प्रमुख कार्य परागण क्रिया के लिए कीटों और पक्षियों को आकर्षित करना है।


    3. पुमंग : यह पुष्पी उपांगों का तृतीय चक्र है और पुष्प के नर जननांग को निरुपित करता है। यह अनेक पुंकेसरों या लघुबीजाणुपर्ण से बना होता है।


    4. जायांग : यह पुष्पी उपांगों का चतुर्थ और अंतिम चक्र है और पुष्प के स्त्री जननांग को निरुपित करता है। जायांग एक अथवा अधिक अंडपों या गुरुबीजाणुपर्ण से मिलकर बना होता है। एक प्रारूपिक जायांग में तीन भाग - वर्तिकाग्र, वर्तिका और अंडाशय विभेदित होते है।




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    Comments Rohit Sharma on 28-12-2023

    Neem ke ped ko English me kya kahate he

    Lokendra Likendra on 29-10-2023

    Gudhal ka pusp

    Vinay patidar on 20-02-2023

    Goodhal ke Pushp dwara Pushpa ke vibhinn bhagon ka adhyayan karna


    anu singh on 30-11-2022

    gudahal ka push ka schtra varnan kijiye

    Ruchi on 14-09-2020

    gudhal ke pusp ki sanracna

    Pradip on 24-02-2020

    Gudhal k pusp k pratyek part ki jankari

    Anami Question on 07-01-2020

    Pushp




    Barkha dhurvey on 26-04-2019

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    Structure of hibiscus flower on 03-01-2020

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