Padmavat Book In Hindi PDF पद्मावत बुक इन हिंदी पीडीएफ

पद्मावत बुक इन हिंदी पीडीएफ



GkExams on 27-11-2022


मलिक मोहम्मद जायसी के बारें में : मलिक मोहम्मद जायसी एक भारतीय सूफी कवि और पीर महात्मा थे। जायसी को 15 वीं शताब्दी में आम लोगों द्वारा समर्थित अवधी भाषा में लिखना पसंद था। वैसे आपकी बेहतर जानकारी के लिए बता दे की मलिक अपने महाकाव्य कविता पद्मावत (1540) के लिए मशहूर है।

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मलिक मोहम्मद जायसी की पद्मावत :




'पद्मावत' काव्य के रूप में एक प्रेम कथा है किन्तु उसमें आत्मा-परमात्मा का मधुर सम्बन्ध तथा सूफी उपासना-पद्धति की विविध मान्यताएँ प्रतीकात्मक रूप में वर्णित हैं। 'पद्मावत' के रूपक-पक्ष को स्वयं कवि ने स्पष्ट किया है...


तन चितउर मन राजा कीन्हा। हिय सिंहल बुधि पद्मिनि चीन्हा॥
गुरु सुआ जेहि पंथ दिखावा। बिन गुरु जगत् को निरगुन पावा॥


भँवर केस वह मालति रानी। बिसहर लुरहिं लेहिं अरघानी॥
ससि-मुख, अंग मलयगिरि बासा। नागिन झाँपि लीन्ह चहुँ पासा॥


कातिक सरद चंद उजियारी। जग सीतल हौं बिरहै जारी॥
भा बैसाख तपनी अति लागी। चोआ चीर चँदन भा आगी।


बरसै मेघ चुवहिं नैनाहा। छपर छपर होइ रहि बिनु नाहा॥
कोरौं कहाँ ठाट नव साजा। तुम बिनु कंत न छाजनि छाजा॥


कला पक्ष :


जायसी की रचनाओं में विविध रसों का समावेश बड़ी ही सफलता के साथ किया गया है। श्रृंगार के अतिरिक्त वीर, रौद्र, वीभत्स रसों का मार्मिक चित्रण भी जायसी की कविता में उपलब्ध है।


भाषा :


जायसी की भाषा ठेठ अवधी है। उन्होंने उसके व्याकरण सम्मत स्वरूप पर विचार न करके उसमें माधुर्य और मृदुलता के संवर्द्धन पर ही अधिक ध्यान दिया है। यही कारण है कि उसमें व्याकरण-सम्बन्धी अशुद्धियाँ हैं परन्तु श्रुति-माधुर्य और हृदय को छूने की अद्भुत शक्ति है।


शैली :


जायसी ने प्रबन्ध शैली को अपने उद्देश्य के अधिक अनुकूल समझा। उन्होंने लोक-प्रचलित भारतीय प्रेमकथाओं का आधार लेकर महाकाव्य की रचना की और साथ ही विदेश मसनव्बी शैली को भी स्थान दिया। काव्य-रचना में आपने आलंकारिक शैली, प्रतीकात्मक शैली, शब्द चित्रात्मक शैली तथा अतिशयोक्ति-प्रधान शैलियों का प्रयोग किया है।


छंद :


जायसी ने दोहा-चौपाई, छंदों का प्रयोग किया है। इसी छंद-योजना का चरम विकास तुलसी के 'रामचरितमानस' में प्राप्त होता है।


अलंकार :


जायसी ने अलंकारों के प्रयोग में पूर्ण उदारता से काम लिया है। रूप-वर्णन, युद्ध, प्रकृति-चित्रण तथा आध्यात्मिक तत्वों की रहस्य-योजना में अलंकारों की पूरी सहायता ली गई है। आपके प्रिय अलंकारों में उपमा, रूपक, उत्प्रेक्षा, रूपकातिशयोक्ति आदि का विशेष रूप से प्रयोग हुआ है।


Pradeep Chawla on 30-10-2018


Check link below -



https://docs.google.com/uc?export=download&id=1mvbyTYIX5uYMgVRR5GjYIZg71XTJVohR



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Comments Sugandha on 22-03-2022

पद्मावत का प्रबंधन

Ashok Kumar on 16-04-2021

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padmavat prabandh saushtav on 19-09-2020

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Any yadav on 24-10-2019

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Sumit Sharma on 28-09-2018

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