Sona Banane Ki RahasyaMay Vidya सोना बनाने की रहस्यमय विद्या

सोना बनाने की रहस्यमय विद्या



GkExams on 03-02-2019


र्ण विधि गुरु के मार्गदर्शन से ही सिद्ध की जा सकती है इसलिए ये विद्या गुप्त रहती है ..ताकि समाज के स्वार्थी और लोलुप लोगो के हाथ में न पद जाये ....

प्राचीनकाल में रसायनज्ञ पारद या पारे से सोना बनाने की विधि जानते थे.यह बात आज कपोल कल्प्ना या मिथ सरीखी लगती है जबकी इसके कई प्रमाण मौज़ूद हैं.सच्चाई यह है कि य प्रकिया बेहद कठिन और अनुभव सिद्ध है.तमाम कीमियाग़र सोना बनाने में नाकामयाब रहे, कुछ थोडे से जो सफल रहे उन्होने इस विद्या को गलत हाथों में पडने के डर से इसे बेहद गोपनीय रखा.


राक्षस दैत्य दानवों के गुरू भृगु ऋषि जिन्हें शुक्राचार्य के नाम से भी संबोधित किया जाता है, उन्होंने ऋग्वेदीय उपनिषद श्रीसूक्त के माध्यम से सोना बनाने का तरीका बताया है. श्रीसूक्त के मंत्र व प्रयोग बहुत गुप्त व सांकेतिक भाषा में बताया गया है. संपूर्ण श्रीसूक्त में 16 मंत्र हैं.
भारत के नागार्जुन, गोरक्षनाथ आदि ने इन मत्रों की रसायनिक दृष्टि से सोना बनाने की कई विचित्र विधियाँ, कई स्थानों और कई ग्रंथों में बताई गयी हैं. अर्थात, श्रीसूक्त के पहले तीन मंत्रों में सोना बनाने की विधि, रसायनिक व्याख्या और उनका गुप्त भावार्थ, आपके समक्ष प्रस्तुत किया जा रहा है.
श्रीसूक्त का पहला मंत्र
ॐ हिरण्य्वर्णां हरिणीं सुवर्णस्त्र्जां।
चंद्रां हिरण्यमणीं लक्ष्मीं जातवेदो मआव॥
शब्दार्थ – हिरण्य्वर्णां- कूटज, हरिणीं- मजीठ, स्त्रजाम- सत्यानाशी के बीज, चंद्रा- नीला थोथा, हिरण्यमणीं- गंधक, जातवेदो- पाराम, आवह- ताम्रपात्र.
विधि – सोना बनाने के लिए एक बड़ा ताम्रपात्र लें, जिसमें लगभग 30 किलो पानी आ सके. सर्वप्रथम, उस पात्र में पारा रखें. तदुपरांत, पारे के ऊपर बारीक पिसा हुआ गंधक इतना डालें कि वह पारा पूर्ण रूप से ढँक जाए. उसके बाद, बारीक पिसा हुआ नीला थोथा, पारे और गंधक के ऊपर धीरे धीरे डाल दें. उसके ऊपर कूटज और मजीठ बराबर मात्रा में बारीक करके पारे, गंधक और नीले थोथे के ऊपर धीरे धीरे डाल दें और इन सब वस्तुओं के ऊपर 200 ग्राम सत्यानाशी के बीज डाल दें. यह सोना बनाने का पहला चरण है.
श्रीसूक्त का दूसरा मंत्र
तां मआवह जातवेदो लक्ष्मीमनपगामिनीं।
यस्या हिरण्यं विन्देयं गामश्वं पुरुषानहं॥
शब्दार्थ – तां- उसमें, पगामिनीं- अग्नि, गामश्वं- जल, पुरुषानहं- बीस.
विधि – ऊपर बताए गए ताँबे के पात्र में पारा, गंधक, सत्यानाशी के बीज आदि एकत्र करने के उपरांत, उस ताम्रपात्र में अत्यंत सावधानीपूर्वक जल इस तरह भरें कि जिन वस्तुओं की ढेरी पहले बनी हुई है, वह तनिक भी न हिले. तदनंतर, उस पात्र के नीचे आग जला दें. उस पात्र के पानी में, हर एक घंटे के बाद, 100 ग्राम के लगभग, पिसा हुआ कूटज, पानी के ऊपर डालते रहना चाहिए. यह विधि 3 घंटे तक लगातार चलती रहनी चाहिए.
श्रीसूक्त का तीसरा मंत्र
अश्व पूर्णां रथ मध्यां हस्तिनाद प्रमोदिनीं।
श्रियं देवीमुपह्वये श्रीर्मा देवीजुषातम॥
शब्दार्थ – अश्वपूर्णां- सुनहरी परत, रथमध्यां- पानी के ऊपर, हस्तिनाद- हाथी के गर्दन से निकलने वाली गंध, प्रमोदिनीं- नीबू का रस, श्रियं- सोना, देवी- लक्ष्मी, पह्वये- समृद्धि, जुषातम- प्रसन्नता.
विधि – उपरोक्त विधि के अनुसार, तीन घंटे तक इन वस्तुओं को ताम्रपात्र के पानी के ऊपर एक सुनहरी सी परत स्पष्ट दिखाई दे तो अग्नि जलाने के साथ ही उस पात्र से हाथी के चिंघाड़ने जैसी ध्वनि सुनाई देने लगेगी. साथ ही हाथी के गर्दन से निकलने वाली विशेष गंध, उस पात्र से आने लगे तो समझना चाहिए कि पारा सिद्ध हो चुका है, अर्थात सोना बन चुका है. सावधानी से उस पात्र को अग्नि से उतारकर स्वभाविक रूप से ठंडा होने के लिए कुछ् समय छोड़ दें. पानी ठंडा होने के पश्चात, उस पानी को धीरे धीरे निकाल दें. तत्पश्चात्, उस पारे को निकालकर खरल में सावधानी से डालकर, ऊपर से नींबू का रस डालकर खरल करना चाहिए. बार बार नींबू का रस डालिए और खरल में उस पारे को रगड़ते जाइए, जब तक वह पारा सोने के रंग का न हो जाए.
विशेष सावधानी
· इस विधि को करने से पहले, इसे पूरी तरह समझ लेना आवश्यक है.
· इसे किसी योग्य वैद्याचार्य की देख रेख में ही करना चाहिए.
· इसके धुएँ में मौजूद गौस हानिकारक हैं, जिससे कई असाध्य रोग उत्पन्न हो सकते हैं अतः, कर्ता को अत्यंत सावधान रहते हुए, उस जगह खड़े या बैठे रहना चाहिए, जहाँ इससे निकलने वाला धुआँ, न आए.




सम्बन्धित प्रश्न



Comments Pradeshi Thakur on 19-08-2022

Hme deske gribo ke liye sirf 5yers keliye bhut bra admi bnna he koi bidhi ya totka btaye

Sunil on 12-05-2019

Sona banana ki vidhi





नीचे दिए गए विषय पर सवाल जवाब के लिए टॉपिक के लिंक पर क्लिक करें Culture Current affairs International Relations Security and Defence Social Issues English Antonyms English Language English Related Words English Vocabulary Ethics and Values Geography Geography - india Geography -physical Geography-world River Gk GK in Hindi (Samanya Gyan) Hindi language History History - ancient History - medieval History - modern History-world Age Aptitude- Ratio Aptitude-hindi Aptitude-Number System Aptitude-speed and distance Aptitude-Time and works Area Art and Culture Average Decimal Geometry Interest L.C.M.and H.C.F Mixture Number systems Partnership Percentage Pipe and Tanki Profit and loss Ratio Series Simplification Time and distance Train Trigonometry Volume Work and time Biology Chemistry Science Science and Technology Chattishgarh Delhi Gujarat Haryana Jharkhand Jharkhand GK Madhya Pradesh Maharashtra Rajasthan States Uttar Pradesh Uttarakhand Bihar Computer Knowledge Economy Indian culture Physics Polity

Labels: , , , , ,
अपना सवाल पूछेंं या जवाब दें।






Register to Comment