जिन व्यक्तियों के खून में फाइलेरिया के कीटाणु होतें है, पर डी.ई.सी की खुराक खाने पर फाइलेरिया के कीटाणुओं के मरने के कारण उन्हें हल्का बुखार, सर में दर्द, उल्टीया चक्कर की शिकायत हो सकती है।
इससे घबराएं नहीं। ये लक्षण कुछ समय के बाद स्वयं समाप्त हो जाते हैं।
अगर पर डी.ई.सी की खुराक खाने से कोई परेशानी हो तो तुरंत नजदीकी स्वास्थ्य कर्मी/स्वास्थ्य केंद्र से संपर्क करें।
यदि आप हाथी पांव से पीड़ित है, आपको क्या करना चाहिए?
कृपया ध्यान दें: -
- यदि आप तीव्र दर्द अथवा बुखार से पीड़ित है तो तुरंत अपने निकटतम स्वास्थ्य केंद्र से सम्पर्क करें। अगर तेज बुखार और दर्द हो तो व्यायाम न करें, क्योंकि यह हानिकारक हो सकता ही, अगर आप हृदय रोगी हैं तो व्यायाम से पूर्व डॉक्टर से सपंर्क कर्रें।
आयु | खुराक |
2 से 5 वर्ष तक | 1 गोली 100 मिलीग्राम |
6 से 14 वर्ष तक | 2 गोली 100 मिलीग्राम |
14 वर्ष व् इससे अधिक | 3 गोली 100 मिलीग्राम |
कृपया खाली पेट दवा न खाएं । दो साल से कम उम्र के बच्चों, गर्भवती महिलाओं, गंभीर रोगों से ग्रसित लोगों को एम्.डी.ए. के तहत दवा न दें। दवा के दुष्प्रभाव सिरदर्द, बदन दर्द, मिलती एवं उल्टी आदि के रूप में प्रकट हो सकते हैं। सामान्य उपचार एक या दो दिनों में या मामूली एवं क्षणिक दुष्प्रभाव ठीक हो जाते हैं।
इस बीमारी को अंग्रेजी में फाइलेरिया और हिंदी में हाथी पाँव कहते हैं। क्या आप जानते हैं कि भारत में इसके रोगियों की संख्या सबसे अधिक है?
फाइलेरिया बीमारी का संक्रमण आमतौर से बचपन में होता है। मगर इस बीमारी के लक्षण 7 से 8 वर्ष के उपरान्त ही दिखाई देते हैं।
फाइलेरिया बिमारी फाइलेरिया संक्रमण मच्छरों के काटने से फैलती है। ये मच्छर फ्युलेक्स एवं मैनसोनाइडिस प्रजाति के होते हैं। जिसमें मच्छर एक धागे समान परजीवी को छोड़ता है। यह परजीवी हमारे शरीर में प्रवेश कर जाता है।
प्रत्येक मादा वयस्क फाइलेरिया परजीवीन नर कृमि से जुड़ने के बाद, लाखो सूक्ष्मफाइलेरिया नामक भ्रूणों की पीढ़ियों को जन्म देती है, जो बाह्य रक्त में विशेषकर रात्रि में, बड़ी संख्या में प्रभावित होते रहते हैं।
सामान्यता यह संक्रमण शुरूआती बचपन में ही जाता है, यद्यपि यह बीमारी वर्षों बाद स्पष्टतः प्रकट होती है। इस प्रकार, सामान्य एवं स्वस्थ दिखनेवाले व्यक्ति को कुछ सालों बाद टांगों, हाथों एवं शरीर के अन्य रोगों में अत्यधिक सूजन उत्पन्न होने लगती है।
इन प्रभावित अस्वस्थ चमड़ों पर विभिन्न प्रकार के जीवाणु तेजी से पनपने लगते हैं। साथ ही प्रभावित अंगों की लसिका ग्रंथियां इन अधिकाधिक संख्या में पनपें जीवाणुओं को छान नहीं पाते है। और इसके कारण प्रभावित अंगों में दर्द, लालपन एवं रोगी को बुखार हो जाता है।
हाथ-पैर, व शरीर के अन्य अंगों में सुजन के लक्षण होते हैं। प्रारंभ में या सूजन अस्थायी हो सकता है, किन्तु बाद में स्थायी और लाइलाज हो जाता है।
हाथी पाँव खानदानी रोग नहीं है, मगर जैसा कि कई लोग विश्वास करते हैं इससे मनुष्य की प्रजनन शक्ति पर कोई असर नहीं पड़ता है। अन्य रोगों की तरह हाथी पांव की भी रोकथाम की जा सकती है तथा इसका उपचार संभव है।
रात में खून की जाँच अवश्य करवाएं तभी तो सब फाइलेरिया से मुक्ति पाएं - रात के समय रक्त की बूंद लेकर उसका परीक्षण ही एक मात्र ऐसा निश्चित उपाय है जिससे इस बात पता चल सकता है कि किसी व्यक्ति में हाथी पाँव रोग के कीटाणु है अथवा नहीं। यह इसलिए क्योंकि रात को ही फाइलेरिया कीटाणु रक्त-परिधि में दिखाई पड़ते हैं। जिस व्यक्ति में ये कीटाणु पाए जाते हैं, उनमें साधारणतः रोग के लक्षण व चिन्ह प्रकट रूप में दिखाई नहीं देते। उन्हें अपने रोग का अहसास नहीं होता। ऐसे व्यक्ति इस रोग के अन्य लोगों में फैलाने का श्रोत बनते हैं। यदि इन व्यक्तियों का समय पर उपचार कर दिया जाता है तो इसे न केवल इस रोग की रोकथाम होगी बल्कि हाथी पाँव रोग को फैलने से भी रोका जा सकता है।
फाइलेरिया चिकित्सालय फाइलेरिया कीटाणु वाहकों की खोज व् ओनक उपचार करते हैं। फाइलेरिया चिकित्सालयों के कर्मचारी सायं 7 से 12 बजे रात तक प्रत्येक परिवार में जाते हैं। वे परिवार के प्रत्येक सदस्य की अँगुलियों में सुई चुभोकर रक्त की कुछ बूँदे लेते हैं। अगले दिन इस कर्मचारी फिलपांव रोग के कीटाणु पाए जाने वाले व्यक्तियों को औषधि देते हैं।
भारत सरकार ने बिमारी के उन्मूलन के लिए फाइलेरिया उन्मूलन नाम का कार्यक्रम चलाया है। इसके तहत सार्वजनिक दवा सेवन (एम्.डी.ए.) किया जाता है, जिसमें डी.ई.सी. दवा की एक खुराक साल में एक बार खिलाई जाती है।
इसलिए फाइलेरिया रोग वाले सभी क्षेत्रों में सब लोग डी.ई. सी. दवा की सालाना खुराक लें, यह अति आवश्यक है। क्योंकि फाइलेरिया परजीवी की औसतन आयु 4 से 6 वर्ष की होती, है, इसलिए 4 से 6 साल तक डी. ई. सी. एक एकल सालाना खुराक यानि, सार्वजानिक दवा सेवकं (MDA) सेवन कराकर इस संक्रमण के प्रसार को प्रभावी तौर पर समाप्त किया जा सकता है।
डाइ-इथाइल कार्वोमिजाइन साइट्रेट (हैटराजन, बनोसाइड) औषधि हाथी पाँव रोग के उपचार के लिए सुरक्षित एवं प्रभावकारी औषधि मानी गई है। यह मच्छरों द्वारा काटने से रक्त में आने पर फाइलेरिया के कीटाणुओं को मार देती है।
आयु | खुराक |
2 से 5 वर्ष तक | 1 गोली 100 मिलीग्राम |
6 से 14 वर्ष तक | 2 गोली 100 मिलीग्राम |
14 वर्ष व् इससे अधिक | 3 गोली 100 मिलीग्राम |
नोट: दवा खाने से पहले डॉक्टर से अवश्य मिलें और अधिक जानकारी प्राप्त करें।
यह दवा आपके क्षेत्र में मुप्त दी जाती है अधिक जानकारी के लिए अपने नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र से सम्पर्क करें।
फाइलेरिया के चिन्ह एवं लक्षण पाए जाने वाले प्रत्येक व्यक्ति के विषय में निकटवर्ती स्वास्थ्य केंद्र को सुचना देनी चाहिए। लोगों को राष्ट्रीय वैक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम के अधीन कार्यरत टोली तथा खोज व् उपचार करने वालों दलों को सहयोग देना चाहिए।
डी. ई. सी दवा की दवा इन्हें न खिलाएं :-
- दो साल से कम उम्र के बच्चे
- गर्भवती महिलाएं
- गंभीर रोगों से ग्रसित लोग
डी. ई. सी दवा सेवन से फाइलेरिया की कीटाणुओं मरते हैं तभी यह लक्षण दिखते हैं :-
दवा के दुष्प्रभाव सिरदर्द, बदन दर्द, मितली एवं उल्टी आदि के रूप मेंप्रकट हो सकते हैं। सामान्य उपचार से एक या दो दिनों में ये मामूली एवं क्षणिक दुष्प्रभाव ठीक हो जाते हैं।
यदि आप तीव्र दर्द अथवा बुखार से पीड़ित है तो तुरंत अपने निकटतम स्वास्थ्य केंद्र से सम्पर्क करें।
विकलांगता से बचने के लिए फाइलेरिया का करें आसान उपचार
कृपया ध्यान दें: -
यदि आप तीव्र दर्द अथवा बुखार से पीड़ित है तो तुरंत अपने निकटतम स्वास्थ्य केंद्र से सम्पर्क करें।
कृपया ध्यान दें:
अगर तेज बुखार और दर्द हो तो व्यायाम न करें, क्योंकि यह हानिकारक हो सकता है। अगर आप हृदय रोगी हैं तो व्यायाम से पूर्व अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
नीचे दिए गए विषय पर सवाल जवाब के लिए टॉपिक के लिंक पर क्लिक करें Culture Current affairs International Relations Security and Defence Social Issues English Antonyms English Language English Related Words English Vocabulary Ethics and Values Geography Geography - india Geography -physical Geography-world River Gk GK in Hindi (Samanya Gyan) Hindi language History History - ancient History - medieval History - modern History-world Age Aptitude- Ratio Aptitude-hindi Aptitude-Number System Aptitude-speed and distance Aptitude-Time and works Area Art and Culture Average Decimal Geometry Interest L.C.M.and H.C.F Mixture Number systems Partnership Percentage Pipe and Tanki Profit and loss Ratio Series Simplification Time and distance Train Trigonometry Volume Work and time Biology Chemistry Science Science and Technology Chattishgarh Delhi Gujarat Haryana Jharkhand Jharkhand GK Madhya Pradesh Maharashtra Rajasthan States Uttar Pradesh Uttarakhand Bihar Computer Knowledge Economy Indian culture Physics Polity
Mujhe filerya hai eski dada Kaya hai