Surakshit Peyjal Aur Swachhta Par Nishkarsh सुरक्षित पेयजल और स्वच्छता पर निष्कर्ष

सुरक्षित पेयजल और स्वच्छता पर निष्कर्ष



GkExams on 25-12-2018

जल और स्वच्छता

हर आठ सेकंड में एक बच्चा पानी से संबंधित बीमारी से मर जाता है। हर साल पचास लाख से अधिक मनुष्यw असुरक्षित पीने के पानी, अशुद्ध घरेलू वातावरण और मलमूत्र का अनुचित ढ़ंग से निपटान करने से जुड़ी बीमारियों से मर जाते हैं।



किसी भी समय, शायद विकासशील विश्‍व में आधे से अधिक लोग जल आपूर्ति और स्वच्छता से संबंधित छह प्रमुख रोगों में से किसी एक या अधिक रोगों (दस्त, एस्‍कैरिस, ड्राकुंकुलियासिस,अंकुषकृमि, सिस्टोसोमियासिस और टेइसके अलावा, स्वास्थ्य बोझ में कर्इ मिलियन से अधिक वार्षिक व्यय, महिलाओं और बालिकाओं द्वारा दूर दराज से अकसर प्रदूषित स्रोतों से पानी लाने में समय बर्बाद करना और मेहनत करना भी शामिल है।



आज भी लगभग एक-चैाथाई मनुष्यब उचित जल और स्वच्छता की सुविधा के बिना रह रहे हैं।



अंतरराष्री राय पेयजल आपूर्ति और स्वच्छता दशक (1981-1990) के दौरान लगभग 1600 मिलियन लोगों को स्वच्छ जल और लगभग 750 मिलियन लोगों को मलमूत्र निपटान की पर्याप्त सुविधाएं उपलब्ध कराई गईं। लेकिन, विकासशील देशों में 800 मिलियन जनसंख्या वृद्धि की वजह से, सन् 1990 तक कुल 1015 मिलियन लोग स्वच्छ जल और 1764 मिलियन लोग पर्याप्त साफ-सफाई के बिना ही रह हरे थे।



जिन लोगों तक सेवा का लाभ नहीं पहुंचा हैं, उन तक सेवाएं पहुचाने का कार्य 1990 के बाद बहुत धीमा रहा है। दुनिया भर में लगभग एक बिलियन लोगों को अभी भी स्वच्छ जल नहीं मिल रहा है और दो बिलियन से भी अधिक लोगों के पास मलमूत्र निपटान की पर्याप्त सुविधा नहीं है। तेजी से बढ़ती जनसंख्या और सुविधाओं के विस्तार की कमी से 1990 की तुलना में आज ज्यादा लोग बुनियादी स्वच्छता की सुविधाओं से जूझ रहे हैं।



अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचने के लक्ष्य की दूसरी समस्या इन लक्ष्यों को प्राप्त करने लिए आवश्यगक संसाधनों की उपलब्धता की मात्रा की है। 1990 के दशक के लिए सुरक्षित जल और स्वच्छता पर नई दिल्ली में आयोजित विश्वक परामर्श सम्मेलन में यह कहा गया था कि सन् 2000 तक समस्त विश्वा में इन सुविधाओं को प्रदान करने के लिए प्रति वर्ष 50 बिलियन अमेरिकी डालर की जरूरत होगी, जो मौजूदा निवेश के स्तर से पांच गुना अधिक है।



सन् 1992 में विश्वा स्वास्थ्य संगठन ने दशक की अपनी निगरानी पूरी की। इसमें यह आकलन किया गया कि वर्ष 1981-1990 की अवधि में जल और स्वच्छता पर 133.9 बिलियन अमेरिकी डॅालर का निवेश किया गया, जिसमें से 55 प्रतिशत जल पर और 45 प्रतिशत स्वच्छता पर खर्च किया गया। कुल व्यगय का शहरी क्षेत्रों पर 74 प्रतिशत और ग्रामीण क्षेत्रों पर केवल 26 प्रतिशत व्यय किया गया। व्यापक धारणा के विपरीत, सभी निधियों का लगभग दो-तिहाई राष्ट्रीयय स्रोतों द्वारा और केवल एक-तिहाई बाहरी संगठनों द्वारा प्रदान किया गया।



वि. स्वा. सं. (डब्ल्यूएचओ) का अनुमान है कि शहरी क्षेत्रों मे जल की आपूर्ति उपलब्ध कराने पर औसतन प्रति व्यक्ति 105 अमेरिकी डालर और ग्रामीण क्षेत्रों में 50 अमरीकी डालर का खर्चा आता है, जबकि स्वच्छता पर शहरी क्षेत्रों में औसतन 145 अमेरिकी डालर और ग्रामीण क्षेत्रों पर 30 अमरीकी डालर की लागत आती है।



जल आपूर्ति और स्वच्छता को तीन परस्पर सक्रिय (इंटरैक्टिव) तत्वों की प्रक्रिया के रूप से देखा जा सकता है। इन तत्वों का सबसे महत्वपूर्ण पक्ष सुरक्षित पेय जल की उपलब्धता और मलमूत्र निपटान की स्वच्छ व्यवस्था है। इसका मतलब यह है कि प्रति व्यक्ति प्रतिदिन 20 से 40 लीटर पानी घर से उचित दूरी पर उपलब्ध होना आवश्योक है। सुरक्षित पानी में जल स्रोतों के संरक्षण के साथ-साथ इसकी समुचित परिवहन व्यवस्था और घर में भंडारण का उचित बंदोबस्तन शामिल है। इसका तात्पर्य स्नान, कपड़े और रसोई के बर्तन धोने की सुविधाओं से भी है, जिन्हें स्वच्छ और समुचित नालीदार होना चाहिए। मलमूत्र निपटान और वयस्क और बच्चों दोनों के मल का दूर स्थान पर निपटान किया जाना चाहिए जिससे वह जल स्रोतों, भोजन या लोगों के संपर्क में न आ सके। मूत्र से संबंधित रोगों के संचरण की श्रृंखला को तोड़ने के लिए व्यक्तिगत और घरेलू स्वच्छता के अच्छे मानकों का होना अनिवार्य है, जो शौच के बाद अच्छी तरह से हाथ धोने के साथ शुरू होते हैं।



जल और स्वच्छता के विकास की प्रक्रिया में दूसरा तत्व पानी और स्वच्छता सुविधाओं का उपयोग करना और उनकी देखभाल करना है। लोगों को इनमें निहित स्वास्थ्य लाभों को प्राप्त करने के लिए इन सुविधाओं को ठीक ढंग से इस्तेमाल करना चाहिए। इसका अर्थ है कि लोगों को यह जानना चाहिए कि किस प्रकार पानी को सुरक्षित रूप से संरक्षित किया जाए और उसका भंडारण किया जाए, व्यक्तिगत और घरेलू सफाई देखरेख की जाए, मलमूत्र निपटान सुविधाओं की किस प्रकार से देखरेख की जाए और किस प्रकार अस्वच्छ पर्यावरण की दशाओं से बचा जाए अथवा इनको कम से कम किया जाए। ज्ञान हस्तांतरण, व्यवहार परिवर्तन और व्यक्तिबगत जिम्मेदारी इसके महत्वपूर्ण कारक हैं।



परस्पर सक्रिय (इंटरैक्टिव) तत्वों में तीसरा तत्व समुदायों, विकास एजेंसियों और सरकार की नीतियों से प्राप्त संस्थागत सहायता है, जो पानी और स्वच्छता में सुधार के लिए एक रूपरेखा प्रदान करती है। अनुभवों से पता चला है कि समुदाय आधारित प्रयास, चाहे वे एक छोटे से गांव में किए गए हों अथवा किसी बड़े महानगर में, लोगों की जरूरतों की वे पहचान करने और उन्हेंट पूरा करने में सबसे अधिक प्रभावी होते हैं। सरकारें, विशेष रूप से क्षेत्रीय और राष्ट्री्य स्तर पर, पानी और स्वच्छता में सुधार करने वाले संगठन की तुलना में विकास की प्रक्रिया में सहायता प्रदान करने वाले संगठन के रूप में अधिक प्रभावी होती हैं।



मनुष्यर में रासायनिक अथवा औद्योगिक अपशिष्टभ से दूषित पानी पीने अथवा इस प्रकार के जल के साथ शारीरिक संपर्क होने से अनेक संचारी रोग फैल सकते हैः



जल जनित रोग मानव अथवा पशु मल अथवा रोगजनक बैक्टीरिया अथवा वायरस युक्त मूत्र से दूषित पानी को पीने के कारण हो सकते हैं। इनमें हैजा, टाइफाइड, अमीबीय और जीवाणु दस्त एवं अन्यत अतिसारीय रोग शामिल हैं।



धुलार्इ से संबंधित रोग: ये रोग अचछी तह से व्यक्तिगत स्वचछता का ध्यान न रखने और दूषित पानी से त्वचा या आंख धोने के कारण उत्पहन्न होते हैं। इनमें खुजली, ट्रेकोमा और पिस्सू, लाइस और टिक-जनित रोग शामिल हैं।



जल आधारित रोग: ये रोग पानी में रहने वाले मध्यवर्ती जीवों में पाए जाने वाले परजीवी के कारण होते हैं। इनमें ड्राकुनकुलियासिस, शिस्टोरसोमियासिस शामिल और अन्यो रोगाणु शामिल हैं।



जल से संबंधित रोग: ये रोग पानी में प्रजनन करने वाले रोगवाहकों से फैलते हैं! इनमें डेंगू, फाइलेरिया, मलेरिया, आनकोसेरसियासिस, ट्रिपैनोसोमाइसिस और पीत ज्वर (येलो फीवर) रोग शामिल हैं।



सुरक्षित पेय जल और मानव मल के समुचित निपटान के प्रावधान की तुलना में किसी भी प्रकार के हस्तक्षेप का राष्ट्री य विकास और सार्वजनिक स्वास्थ्य पर अधिक समग्र प्रभाव नहीं पड़ा है। परिष्कृेत जल और स्वच्छता सेवाओं का स्वास्थ्य पर प्रत्यतक्ष्ार प्रभाव जल से संबंधित रोगों के मामलों में देखा जा सकता है, जिनका जन्मस संदूषित जल अथवा भोजन में शामिल कीटाणुओं अथवा जल से संबंधित अन्य रोगों से होता है। बेहतर या शुद्ध परिष्कृनत जल और स्वच्छता से इनमें से अधिकतर रोगों से होने वाली रुग्णता और मृत्यु दर को 20 प्रतिशत से 80 प्रतिशत तक कम किया जा सकता हैं।



जल से संबंधित बीमारियों से अस्वस्थता और मृत्यु दर का आकलन



रोगअस्वस्थतामृत्यु दर
(मृत्यु/वर्ष)
जल आपूर्ति और स्वच्छता से बीमारी का संबंधदस्त संबंधी रोग1,000,000,0003,300,000यह मलमूत्र के अस्वच्छतापूर्ण तरीके से निपटान करने, निम्न निजी और घरेलू साफ-सफाई, असुरक्षित पेय जल से संबंधित है।आंत्र कृमि से संक्रमण1,500,000,000100,000यह मलमूत्र के अस्वच्छतापूर्ण तरीके से निपटान करने, निम्न निजी और घरेलू साफ-सफाई, से संबंधित है।शिस्टोतसोमियासिस200,000,000200,000यह मलमूत्र के अस्वच्छतापूर्ण तरीके से निपटान करने और नजदीकी स्थान पर स्वच्छ पेय जल सुविधा के उपलब्ध न होने से संबंधित है।ड्राकुंकुलियासिस100,000-यह असुरक्षित पेय जल से संबंधित है।ट्रेकोमा150,000,000-यह हाथ-मुंह धोने की सुविधा के अभाव और आमतौर पर नजदीकी स्थान पर स्वच्छ पेय जल सुविधा के उपलब्ध न होने से संबंधित है।मलेरिया400,000,0001,500,000यह निम्न कोटि के जल प्रबंधन, जल भंडारण, जल स्रोतों/बिंदुओं के प्रचालन और नाली व्यवस्था से संबंधित है।डेंगू ज्वर1,750,00020,000यह निम्न कोटि के ठोस अप अपशिष्टय प्रबंधन, जल भंडारण, जल स्रोतों/बिंदुओं के प्रचालन और नाली व्यवस्था से संबंधित है।पोलियो114,000-यह मल-मूत्र के अस्वच्छ ढंग से निपटान, निम्न कोटि की व्यक्तिगत साफ-सफाई, असुरक्षित पेय जल व्यवस्था से संबंधित है।ट्र्रिपैनोसोमियासिस275,000130,000यह घर के नजदीक सुरक्षित जल स्रोत के उपलब्ध न होने से संबंधित है।बैंक्रोफटियन फाइलेरियासिस72,800,000-यह निम्न कोटि के जल प्रबंधन, जल भंडारण, जल स्रोतों/बिंदुओं के प्रचालन और नाली व्यवस्था से संबंधित है।आनकोसेरसियासिस17,700,00040,000यह बडे़ आकार की परियोजनाओं में निम्न कोटि के जल प्रबंधन, जल भंडारण से संबंधित है




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