Khanan Ke Prakar खनन के प्रकार

खनन के प्रकार



GkExams on 12-05-2019

सरलीकृत विश्व खनन मानचित्र

पृथ्वी के गर्भ से धातुओं, अयस्कों, औद्योगिक तथा अन्य उपयोगी खनिजों को बाहर निकोलना खनिकर्म या खनन (mining) हैं। आधुनिक युग में खनिजों तथा धातुओं की खपत इतनी अधिक हो गई है कि प्रति वर्ष उनकी आवश्यकता करोड़ों टन की होती है। इस खपत की पूर्ति के लिए बड़ी-बड़ी खानों की आवश्यकता का उत्तरोत्तर अनुभव हुआ। फलस्वरूप खनिकर्म ने विस्तृत इंजीनियरों का रूप धारण कर लिया है। इसको खनन इंजीनियरी कहते हैं।



संसार के अनेक देशों में, जिनमें भारत भी एक है, खनिकर्म बहुत प्राचीन समय से ही प्रचलित है। वास्तव में प्राचीन युग में धातुओं तथा अन्य खनिजों की खपत बहुत कम थी, इसलिए छोटी-छोटी खान ही पर्याप्त थी। उस समय ये खानें 100 फुट की गहराई से अधिक नहीं जाती थीं। जहाँ पानी निकल आया करता था वहाँ नीचे खनन करना असंभव हो जाता था उस समय आधुनिक ढंग के पंप आदि यंत्र नहीं थे।



तीन भागों में विभाजित किया गया हैं :

1. तलीय खनन -

ताँबे की खुली खान : चिली की यह खान विश्व की सर्वाधिक परिधि वाली एवं दूसरी सबसे गहरी खान है।

इस प्रकार के खनन में धरातल के ऊपर जो पहाड़ आदि हैं उनको तोड़कर खनिज प्राप्त किए जात हैं, जैसे चूने का पत्थर, बालू का पत्थर, ग्रैनाइट, लौह अयस्क आदि। इस विधि में मुख्य कार्य पत्थर को तोड़ना ही हैं।



2. जलोढ़ खनन -

कुछ प्राचीन नदियों में जो अवसाद एकत्रित हुए हैं उनमें कभी कभी बहुमूल्य धातुएँ भी निक्षिप्त हो जाती है। इन अवसादों को तोड़कर धातुओं की प्राप्ति करना इस प्रकार के खनन के अंतर्गत आता है। कभी भी ये धातुएँ नदी की तलहटी में मिलती हैं और कई बार इनमें सोने जैसी बहुमूल्य धातुएँ पर्याप्त मात्रा में मिल जाती हैं। कुछ अवस्थाओं में ये अवसाद दूसरे नए अवसादों से ढक भी जाते हैं। तब उन्हें हटाकर धातुओं की प्राप्ति की जाती है। विशेष परिस्थितियों में ये धातुएँ संपीडित शैलों (conglomerates) में भी एकत्रित हुई देखी गई हैं। प्रक्षालन निक्षपों (Placer deposits) के खनन में विशेष रूप से इसे प्रयुक्त किया जाता है।



3. भूमिगत खनन -

उन अनेक प्रकार के खनिजों तथा अयस्कों के उत्खनन में भूमिगत खनन का सहारा लेना पड़ता है जिनका खुली हुई खानों के रूप में खनन, गहराई पर स्थित होने के कारण, आर्थिक दृष्टि से अनुपयुक्त अथवा असंभव होता है। यद्यपि भूमिगत खनन में भी बड़ी पूंजी की आवश्यकता होती है, तथापि इन निक्षेपों के खनन के लिये कोई अन्य विकल्प नहीं है। भूमिगत निक्षेप दो प्रकार के हो सकते हैं :



(1) जो स्तर रूप में मिलते हैं, जैसे कोयला तथा

(2) धात्विक पट्टिकाएँ।

इन दोनों प्रकार के निक्षेपों की प्रकृति नितांत भिन्न होती है, इसलिये इनके खनन की विधियाँ भी सुविधानुसार अलग अलग होती है। खानों में कार्य आरंभ होने से पहले पूर्वेक्षण तथा गवेषणात्मक कार्यों को सावधानी से समाप्त कर लिया जाता है। इसके पश्चात् खान का विकास कार्य प्रारंभ होता है। सर्वप्रथम कूप (shaft) बनाए जाते हैं। इनका व्यास 10-12 फुट तक हो सकता है।



Comments Naveen patel on 08-03-2024

Prakrati se khanan se bhari nuksan ho rha h

Ajay alriya sirsa on 14-10-2023

खनन को प्रभावीत करने वाले कारक

Geetanshi on 01-07-2023

Khanan ki prabhabit kerne bale karak


Balram yadu on 23-04-2023

Khanan va akhabar ke prakar

Arvind on 13-02-2023

ग्राम पंचायत के आधीन गांव मे गिट्टी खदान का पर्स्ताव पारित किया जा सकता है क्या

Hamza on 05-03-2022

khanan kise kehese hai

Ashish yadav on 27-10-2021

Khanan kitne prakar ke hote hai


Omair on 11-07-2021

Mining crusher stone ka acounting janna h



Vikas kumar on 21-02-2020

खनन को प्रभावित करने वाले कारक

Niranjan Kumar saw on 25-05-2020

धरतलीय खनन की बिधि

Khnan ki vidhiyo ka vernan on 24-12-2020

Answer

Payal on 16-05-2021

Isthir jansnkha se aap kya samj te ho




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