Bharat Me Garibi Door Karne Ke Upay भारत में गरीबी दूर करने के उपाय

भारत में गरीबी दूर करने के उपाय



GkExams on 12-05-2019

आखिर भारतीय गरीब क्यों हैं?

जब हम दुनिया के अमीर और ताकतवर देशों के आर्थिक इतिहास पर गहराई से नजर डालेंगे, तब वहां तीन मूल ताकतों का समन्वय देखेंगे, जो आर्थिक विकास को गति देने में कामयाब रहे.



1. इन देशों को अपना विशाल अतिरिक्त भंडार को तैयार करने के लिए इन चीजों का सहारा लेना पड़ा: खेत, जमीन, मजदूर, वित्तीय बचत, व्यापार, तकनीकी, उद्यमिता और नई सोच वाले विलक्षण देशवासी.



2. इन चीजों को मिलाकर जो अतिरिक्त ताकत बढ़ी, उसे बड़ी ही कुशलता से देश के बुनियादी ढांचे में इस्तेमाल किया गया, जैसे शिक्षा, स्वास्थ्य और नए तरीके से हुनर विकसित करने वाली सिस्टम में. जो भी देश अपनी ताकतों का गलत इस्तेमाल करता है, वो हमेशा तकलीफ में रहता है.



3. अंत में ये जरूरी है कि उस देश की सरकार और संस्कृति अपने गुणी नागरिकों और संपदाओं को आगे बढ़ने और सफल होने का पर्याप्त मौका दे. इनमें वैज्ञानिक, उद्यमी, फैक्ट्री में काम करने वाले मजदूर और बुद्धिजीवी, सभी शामिल हैं.



हमें इन 4 मुख्‍य बातों का ध्यान रखने की जरूरत है:

1. अपने आपको वर्ल्ड क्लास इंफ्रास्ट्रक्चर के तौर पर विकसित करने के लिए इन क्षेत्रों में काम करना चाहिए- रेलवे, बंदरगाहों, बिजली उत्पादन और ट्रांसमिशन, सड़क, टेलीकॉम, विमान सेवा, वित्तीय केंद्रों, नए शहर आदि.



2. शिक्षा पर किए जाने वाले जीडीपी के खर्च को हो सके तो दोगुना या तिगुना बढ़ा दें. सरकार को बेसिक शिक्षा की अगुवाई करनी चाहिए, लेकिन उच्च शिक्षा के क्षेत्र में ज्‍यादा से ज्‍यादा निजी और विदेशी निवेश को पब्लिक-प्राइवेट इंटरप्राइज के तहत आगे लाना चाहिए.



3. हेल्थ सेक्टर में भी सरकारी जीडीपी निवेश को 2 से 3 गुणा तक बढ़ा देना चाहिए. यहां भी ग्रामीण और प्राथमिक चिकित्सा और सैनिटेशन की दिशा में सरकार को अगुवाई करनी चाहिए. विशिष्ट स्वास्थ्य सेवा के लिए निजी और विदेशी फंड को पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप या कानून के तहत बढ़ावा देना चाहिए.



4. अंत में हमें अपने इस अतिरिक्त संसाधनों का इस्तेमाल अपनी गवर्नेंस इंफ्रास्ट्रक्चर को आधुनिक बनाने में करना चाहिए. पुलिस स्टेशन और अदालतों को आधुनिक टेक्नोलॉजी से लैस किया जाना चाहिए, उनकी क्षमताओं को दोगुना या तिगुना करना चाहिए. पारदर्शिता बढ़ाने के लिए सीसीटीवी, ऑटोमैटिक कॉल प्रोसेस रिकॉर्डिंग जैसे साधनों का इस्तेमाल करना चाहिए. इसका मकसद ये होना चाहिए कि आम आदमी और सरकार के बीच का अंतर कम हो सके.



अब हम ये समझ चुके हैं कि 2 खरब डॉलर तक का निवेश करने लायक धन कैसे जुटा सकते हैं. जान चुक हैं कि इसे चार महत्वपूर्ण क्षेत्र- बुनियादी ढांचा, शिक्षा, स्वास्थ्य और गवर्नेंस में कैसे लगा सकते हैं. उसके बाद ये जरूरी है कि हम तीसरी और आखि‍री शर्त को भी पूरा कर सकें. ये एक बहुत ही साधारण और अचूक मिसाल हमारे पास मौजूद है.



हमें सिर्फ प्रतियोगी और नियंत्रित बाजार विकसित करने की जरूरत है, जहां हमारे कुशल नागरिक आगे बढ़ सकें. हमारा पूरा कृषि क्षेत्र, उत्पादन क्षेत्र (डिफेंस, इलेक्ट्रॉनिक, टेक्सटाइल और ऊर्जा) सेवा क्षेत्र (पर्यटन, वित्तीय सेवा, बैंकिंग, उपभोक्ता प्रोडक्ट, इन्‍फॉर्मेशन), एक्सपोर्ट सेक्टर, कंस्ट्रक्शन और रियल एस्टेट को निजी हाथों में ही होना चाहिए. सरकार को ये तय करना चाहिए कि वह एक प्रभावी, वर्ल्ड क्लास, प्रतियोगी और सिस्‍टम से चलने वाला माहौल बनाएं और अपने देश की प्रतिभाओं को आगे बढ़ने, नया रचने और अमीर बनने का मौका दे.



...और होगा गरीबी का अंत

आज विकास और सरकारी अनुदान में एक तीसरा तत्व भी शामिल है, वो है लोगों की आमदन के बीच बहुत बड़ा अंतर होना. यहां तक कि दुनिया के अमीर से अमीर देश भी ये समझ चुके हैं कि सिर्फ ऊंची जीडीपी और प्रति व्यक्ति आय के भरोसे हम विकास की कल्पना नहीं कर सकते, न ही इसकी गारंटी दे सकते हैं. अगर हमारे देश के नागरिकों की आमदनी में बहुत ज्‍यादा असमानता है, तो बड़े जीडीपी वाले देश में विकास का रेट काफी कम होता है.



किसी भी अर्थव्यवस्था से जुड़ी योजनाओं का मुख्‍य लक्ष्य पूरी तरह से गरीबी उन्मूलन होता है, जैसा कि गांधीजी ने कहा था- ‘हर आंख से आंसू पोंछो’ और एक समृद्ध और स्वस्थ राष्ट्र का निर्माण करो. ये ‘और’ बहुत महत्वपूर्ण है.

भारत में ये बहस बहुत ज्‍यादा ध्रुवीकृत है- कुछ व्यापारी, उद्यमी और मुक्त बाजार के पैरोकार अर्थशास्त्री सिर्फ ग्रोथ या विकास पर जोर देना चाहते हैं, जबकि वामपंथी, समाजवादी और मौकापरस्त नेता गरीबी का ढोल पीटने में यकीन रखते हैं. ये दोनों ही तरह के लोग भारत में बुरी तरह से असफल रहे हैं. अब जरूरत है कि हम अपने अभियान को बुनियादी केंद्र में लेकर आएं.




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Comments सोनुजोशी on 19-09-2022

सोनुजोशी मुझे नौकरी चाहिए



मैं एक आम आदमी और अपना परिवार चलाना चाहता





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