Indica Book In Hindi इंडिका बुक इन हिंदी

इंडिका बुक इन हिंदी



Pradeep Chawla on 18-09-2018


*मेगास्थनीज द्वारा “◆इंडिका◆” पुस्तक में आंखों देखी चित्रण, जिसमे मेगास्थनीज” के नजर में “वैदिक वर्ण और चाणक्य”*

*मेगास्थनीज यूनानी राजदूत था जो 305 ईस्वी ईसा पूर्व “चन्द्रगुप्त मौर्य “के दरवार में राजदूत बनकर भारत आया था। मेगास्थनीज चंद्रगुप्त मौर्य के दरवार में रहकर भारत की सभ्यता-संस्कृति के बारे में एक पुस्तक लिखा, जिसका नाम “इंडिका ” रखा ।*
*परंतु इंडिका की मूल प्रति आज भारत में सुरक्षित नहीं है। उस इंडिका में वर्णित बातों को लेखक के रूप में आगे J.W.Mccrindle ने नयी “इंडिका ” का रूप दिया । इसके अलावा इन सभी लेखको ने भी (डायोडोरस , सिकुलस, स्ट्राबो ,प्लीनी तथा एरियन ) आगे अपनी अपनी पुस्तक में उस बातों की चर्चा की है ।*
*मेगस्थनीज द्वारा आंखों देखी सचित्र चित्रण में प्रथमतः भारत की सामाजिक व्यवस्था में कोई वर्ण या जाति की चर्चा नहीं है यानि “वेद में वर्णित सदियो से वर्ण” की उत्पत्ति वाली बात गलत है। सिर्फ यहां के लोगो को पेशागत दिखाया गया है। जिसमे कृषक , पशुपालक , कारीगर, सैनिक , व्यापारी की चर्चा है ।*
*यानी मोर्य काल के समय में “वेद” और वेद में वर्णित वैदिक “वर्ण ” व्यवस्था दोनों झूठ का पुलिंदा है।*
*दूसरा उस “इंडिका” में चाणक्य के जैसा कोई भी पात्र की चर्चा नहीं है। यानि कि आप मेगास्थिज और मेगास्थिनिज के साक्ष्य को प्रामाणिक मानते है तो ये चाणक्य काल्पनिक निश्चित है। क्योकि पूरी इंडिका में कही भी चाणक्य का नाम की चर्चा नहीं है। यानी यह भी झुठा पात्र है।*
*अंत में सबसे महत्वपूर्ण बात कि इन सारी बातों की जानकारी 17 वीं -18 वीं सताब्दी में अंग्रेजी विद्वानों कोे यूनानी लेखक के सारी किताबो को अंग्रेजी में अनुवाद करने से हुआ। जिसके बाद से ही ये सभी जानकारी भारत आयी। फिर उसके बाद हिन्दी में अनुवाद हुआ। उसके बाद ही भारत के लोगो को चन्द्रगुप्त मौर्य की शासन की सही सही जानकारी प्राप्त हुई ।*
*शायद “इंडिका” नहीं मिलती तो उसके अनुसार पुरातात्विक उत्खनन भी नहीं होता, और जब उत्खनन नहीं होता तो आज मोर्य शासक के रूप में चंद्रगुप्त मोर्य को हम सभी जान भी नहीं पाते!*
*है न कितनी मजेदार बात!*
*भारत की सच्ची और गर्व करने वाली इतिहास की जानकारी हमें अंग्रेजो द्वारा प्राप्त होती है और काल्पनिकता से भड़ी हुई कुंठित और गुलाम करने वाली जानकारी ब्राह्मणी ज्ञानियो के पास लाखो वर्षो से “वेद और वैदिक” ग्रंथ के रूप में सुरक्षित पड़ी हुई है?*




सम्बन्धित प्रश्न



Comments Arvindra singh madwa on 05-10-2023

आज का और कई सालो से चला आ रहा बेरोजगारों एवम लाचारो का सवाल-क्या उत्तर प्रदेश की सरकार सरकारी नौकरियां/भर्ती 2024तक निकाल पाएगी या हमेशा के लिए बंद कर दी जायेंगी


Hariom on 03-08-2023

Chandra gupt morya ki jaati kya he

BHOLA NATH on 23-12-2022

BHARAT KA ITIHAAS VIDESHI YATRTIYO KE NOTES DWARA HI MILTA HAI AISA KYON?


Baap tera on 27-08-2022

Lodu h saala

Arvind Bharati on 18-08-2022

महाभारत को महर्षि वेदव्यास ने लिखा था जोकि बिंद समाज से आते हैं आज की आम भाषा में बोला जाए मल्लाह।

Arvind Bharati on 18-08-2022

क्या इंडिका बुक पीडीएफ में मिल सकती है।

Ak on 01-07-2022

Jiska koi adhar hi nhi h usko ye bampanthi etihasik btate h
Jra koi btana kon si sabhyata thi jisme ye btaya gya ho ki yha se vedo ke skshya mile h ya fir Sanskrit ke
Aj tk iska koi praman nhi mila h


राहुल pandey on 25-06-2022

मेगस्थनीज की पुस्तक इंडिका को बाद में जिन लेखकों ने संग्रहित किया है उन्होंने सिर्फ भारतीय व्यवस्था का विवरण दिया है ना कि मंत्रियों और राजा का हो सकता है कि विदेशी लोग भारतीय उन्नति से द्वेष भाव रखने के कारण ही ऐसा किया हो क्योंकि हमारे इतिहास और धर्म ग्रंथ जितने भी पुस्तके थे सब नालंदा के विश्वविद्यालय में जला दी गई थी बाद में इन वामपंथी इतिहासकारों ने अपने तमाम कुतर्कों से लोगों को भ्रम में डाल दिया है




Rupesh kumar on 08-02-2019

Maha bhart kisne likha tha

vihan on 05-04-2020

sarikha ka mtlb kya hota h ?

Parkash Bhai on 15-04-2020

Idika pashvod kod kitana hai

Parkash Bhai on 15-04-2020

Idika pashakod konsa hai


Bhimte hai on 14-09-2020

क्या झूट का पुलिंदा है

jai shankar maurya on 19-08-2021

indica book mill skti h sir

Aditi on 23-09-2021

Kya jhoot ka pulinda Keh rahe ho tum jaise padhe likhe secular logo ne hi desh ki sanskriti ko dooba rakha hai.... Tum videsh hi chale jao aur wahi ka gungaan karo.... Unhone humare itihas se kitni chedchad ki iska kisi ko andaza bhi nahi hai.... Nhi to taxshila ko aise na jalaya jata.... Tum jo bakwas likh rahe ho usko tum hi samjho aur angrejo ka gungaan humare desh me mat hi karo


Mayank on 18-11-2021

अबे नवभौंदू इंडिका की‌ व्याख्या करने वाले अंग्रेज थे‌ थे तुम वामपंथी नवभोंदू ओ के ही बाप इस झूठे कल्पित व्याख्या को हम नही मानते


Kiran on 07-02-2022

Bhimta

Ram on 12-02-2022

Absolutely right


Manashi on 04-04-2022

Hul diwas kab manaya jata hain

Aaaaaaa on 26-05-2022

Abe lodu tu h



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