Samajikaran Ke Prakar समाजीकरण के प्रकार

समाजीकरण के प्रकार



GkExams on 14-09-2022


समाजीकरण के बारें में (Socialization In Hindi) : समाजीकरण एक प्रक्रिया है जिसके द्वारा मानव शिशु आवश्यक कौशल हासिल कर सके ताकी वह अपने समाज मे एक सदस्य के रूप में शामिल हो सके। यह सीखने की सबसे प्रभावशाली प्रक्रिया है जो एक मानव अनुभव कर सकता हैं।

Samajikaran-Ke-Prakar


कई अन्य जीवित प्रजातियों के विपरीत, जिसका व्यवहार जैविक रूप से स्थापित है, मनुष्य को अपनी संस्कृति को जानने के लिए और जीवित रहने के लिए समाजिक अनुभवों की जरूरत है। इसके अलावा कई वैज्ञानिकों का मानना है कि समाजीकरण जीवन में सीखने की प्रक्रिया का प्रतिनिधित्व है। यह बच्चों और वयस्कों के व्यवहार, विश्वासों, और कार्यों पर एक केंद्रीय प्रभाव है।


बालक जन्म के समय कोरा पशु होता है। जैसे-जैसे (socialization process) वह समाज के अन्य व्यक्तियों तथा सामाजिक संस्थाओं के संपर्क में आकर विभिन्न प्रकार की सामाजिक क्रियाओं में भाग लेता रहता है वैसे-वैसे वह अपनी पार्श्विक प्रवृत्तियों को नियंत्रित करते हुए सामाजिक आदर्शों तथा मूल्यों को सीखता रहता है।


बालक के समाजीकरण की प्रक्रिया निरंतर चलती रहती है। बालक के समाजीकरण में सहायक मुख्य कारक अथवा तत्व (types of socialization) निम्नांकित हैं...


  • परिवार
  • आयु समूह
  • पड़ोस
  • नातेदारी समूह
  • स्कूल
  • खेलकूद
  • जाति
  • समाज
  • भाषा समूह
  • राजनैतिक संस्थाएं
  • धार्मिक संस्थाएं



  • समाजीकरण में परिवार की भूमिका :




    परिवार का योग्यदान समाजीकरण की सबसे महत्वपूर्ण संस्था है ऐसा इसलिए क्योंकि यही से बालक सर्वप्रथम समाजीकरण आरंभ करता है। इसी कारण से परिवार बालक का सर्व प्रथम पाठशाला कहा जाता है। परिवार ही वो जगह है जहा से बालक आदर्श नगररिकता का पाठ सिखता है। बालक के समजीकरण को प्रभावित करने वाले तत्व निम्नलिखित हैं...


  • माँ की भूमिका
  • अधिक लाड़
  • माता - पिता का आपसी सम्बन्ध
  • परिवार की आर्थिक स्थिति
  • बच्चों का अन्य लोगों के साथ सम्बन्ध



  • इन सब बिन्दुओं से हम समझ सकते है की बालक के समाजीकरण में बहुत से संस्थाएँ योगदान देती हैं फिर भी परिवार का योगदान सबसे ऊपर है क्योंकि समाजीकरण की पहली शिक्षा बच्चा परिवार के द्वारा ही सीखता है। परिवार के बाद बच्चा स्कूल द्वारा समाजीकरण करना सीखता है, परन्तु समजीकरण में शिक्षा में परिवार की महांत्वता को नकरा नहीं जा सकता।


    समाजीकरण में विद्यालय की भूमिका :




    वैसे तो बच्चे के समाजीकरण में विद्यालय की महत्वपूर्ण भूमिका हैं। क्योंकि बच्चे के लिए विद्यालय जाने का अर्थ विकास करना है। घर में रहने वाला शिशु जब अपने साथियों को विद्यालय मे जाते देखता है तो उस समय की प्रतीक्षा करने लगता है जब वह विद्यालय जायेगा। बच्चे विद्यालय के प्रति निष्ठावान होते है एवं यहाँ जाकर विविध दायित्वों को सीखते हैं।


    यहाँ विद्यालय में शिक्षक अपने छात्रों को सभी संस्कृतियों की विभिन्नता का ज्ञान देकर उनका आदर करने की प्रेरणा देता हैं। इससे छात्र में अन्तर-सांस्कृतिक भावना विकसित होती हैं या भविष्य में समाजीकरण करने में सहायक होती हैं। सामाजिक संबंधों पर ही समाजीकरण आधारित होता हैं। संबंधों का एक स्वरूप प्रतियोगिता भी होता हैं।


    समाजीकरण में पड़ोस की भूमिका :




    इसमें कोई शक नही है की पड़ोस भी एक प्रकार का बड़ा परिवार होता है। क्योंकि जिस प्रकार, बालक परिवार के विभिन्न सदस्यों के साथ अन्तःक्रिया द्वारा अपनी संस्कृति एवं सामाजिक गुणों का ज्ञान प्राप्त करता है, ठीक उसी प्रकार वह पड़ोस में रहने वाले विभिन्न सदस्यों एवं बालकों के सम्पर्क में रहते हुए विभिन्न सामाजिक बातों का ज्ञान प्राप्त करता रहता है।


    अगर बालक के साथ सहानुभूतिपूर्वक व्यवहार नही किया जाता तो उसमे भय और घृणा की भावना का विकास होगा जो उसको विचलनकारी बना सकता है। बच्चा अपने माता-पिता, परिवार, पड़ोसी, दोस्तों से सहानुभूतिपूर्वक बर्ताव के कारण उनमे विश्वास करता है, उनको अपना समझता है और उनके व्यवहारों को अपनाने की कोशिश करता हैं।


    Pradeep Chawla on 28-09-2018


    Check link below -


    https://nios.ac.in/media/documents/331coursehindi/Module_3/Lesson_19.pdf



    सम्बन्धित प्रश्न



    Comments Khushi on 12-11-2022

    Type of socialization

    Juhi kumari on 23-01-2022

    Samajik Karan ke prakar

    Samajikaran ke parakar on 17-01-2020

    Samajikaran ke parakar


    मनोज डांगी on 12-05-2019

    Type of marrige

    binita bharti on 12-05-2019

    samajikarn ke parkar

    राजेश कुमार शर्मा on 27-02-2019

    समाजीकरण के प्रकार





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