Liken Ka Vargikarann लाइकेन का वर्गीकरण

लाइकेन का वर्गीकरण



GkExams on 24-03-2022


लाइकेन (lichen) : प्रकृति में कुछ ऐसे उदहारण भी मिलते हैं जिनमें दो अलग प्रकार के पौधे परस्पर एक-दुसरे के साथ घनिष्ट संबंध बनाकर रखते हैं। एक पौधा दुसरे पौधे को अर्थात् दोनों पौधे एक दुसरे को कुछ न कुछ लाभ पहुँचाते हैं। ऐसे ही पौधें के समूह का एक महत्त्वपूर्ण उदाहरण लाइकेन हैं।

Liken-Ka-Vargikarann

लाइकेन का वर्गीकरण :




यह दो अलग-अलग वर्ग के पौधें का समूह होता हैं इसीलिए लाइकेन के वर्गीकरण के बारे में हमेशा मतभेद रहा है। इसलिए प्राकृतिक वर्गीकरण में इसकी स्थिति ठीक नहीं बैठती।


बैसी तथा मार्टिन ने बताया की - इसे कवक के साथ समूह यूमाइकोफाइटा में रखा जाना चाहिए। स्मिथ ने इसे अलग समूह लाइकेन में ही रखा। बोल्ड ने इसे नया समूह "माइक्रोफाइकोफाइटा" नाम दिया। इस नाम से पौधे की रचना का सही ज्ञान हो जाता है कि इसकी रचना में शैवाल तथा कवक दोनों सम्मिलित हैं।


जानकारी के लिए बता दे की लाइकेनों का पादपकाय थैलाभ (Thalloid) होता है। थैलस का आकार अनियमित तथा रंग मटमेला अथवा मटमेला हरा होता है। कुछ जातियाँ पीले ,नारंगी ,भूरे अथवा लाल रंग की होती है। बाह्य आकारिकी (external morphology) अथवा थैलस के आकार के आधार पर लाइकेनों को निम्न तीन वर्गों में विभेदित किया गया है जो कि इस प्रकार है....


  • पर्पटीय लाइकेन :

  • इस प्रकार के लाइकेन का थैलस चपटा व कठोर होता है। इसकी निचली सतह अधोस्तर पर पपड़ी (crust) की भाँति घनिष्ट रूप से चिपकी रहती है। थैलस पूर्णतः अथवा आंशिक रूप से अधोस्तर पर निमग्न होता है। इनमें फलनपिण्ड थैलस की ऊपरी सतह पर पाए जाते है।
    उदाहरण – ग्रेफिस, हीमेटोमा , लीकेनोरा , लेसीडिया, राइजोकार्पोन ,वेरूकेरिया आदि।


  • पर्णिल लाइकेन :

  • इनके थैलस चपटे ,फैले हुए तथा पत्तियों की भाँति पालित व कटावदार होते हैं। पर्पटीमय लाइकेन की भाँति इनकी सम्पूर्ण निचली सतह आधार से चिपकी नहीं होती है। इनकी निचली सतह से मूलाभास सदृश्य तन्तुरूपी उद्वर्ध निकलते है जिन्हें राइजीन(rhizines) कहते है। इनकी सहायता से थैलस अधोस्तर पर चिपका होता है।


    उदाहरण – पारमेलिया , फाइसिया , पेल्टीगेरा, जैथोरिया ,गायरोफोरा आदि।


  • क्षुपिल लाइकेन :

  • इनका थैलस सुविकसित ,क्षुपिल (shrub like) , बेलनाकार तथा शाखित होता है। इनकी चपटी , फीतानुमा अथवा बेलनाकार शाखाओं की उर्ध्व वृद्धि होती है अथवा वे वृक्षों के स्तंभों से नीचे लटकी रहती है। इस प्रकार के लाइकेन अधोस्तर पर एक आधारी श्लेष्मक बिम्ब (basal mucilagenous disc) की सहायता से चिपके होते है।


    उदाहरण – एलेक्टोरिया , क्लैडोनिया, अस्नियॉ आदि।


    लाइकेन कहाँ मिलते है?


    लाइकेन्स ऐसे स्थानों में पर अधिकता से मिलते हैं जहाँ नमी बहिउट अधिक मात्रा में पायी जाती हैं तथा तापक्रम कम होता है। ये अधिकतर पेड़ों की छाल, नम भूमि फड़ी के खम्बों तथा चट्टानों आदि पर उगते हुए पाए जाते हैं। कुछ लाइकेन्स ऐसी परिस्थितियों में भी पाए जाते हैं जिनमे अन्य प्रकार के पौधे नहीं पनप सकते हैं।




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