Nirgunn Bhakti ka arth निर्गुण भक्ति ka arth

निर्गुण भक्ति ka arth



GkExams on 02-12-2018

सगुण भक्ति और निर्गुण भक्ति का फर्क क्या है ?


सगुण एवम् निर्गुण
शब्दों मे ही उसका अर्थ समाया हुआ है।


सगुण = गुणों सहित (सगुण साकार) आकार सहित


निर्गुण = गुण विरहित (निर्गुण निराकार) आकार विरहित


साकारी की भक्ति सगुण भक्ति कहलाती है
जो माया की भक्ति है


निराकारी की भक्ति निर्गुण भक्ति कहलाती है
जो ब्रह्म की भक्ति है


सबमे विशेष बात ये दोनो भक्तियाँ परमात्मा की भक्ति समझ कर दुनिया के लोग भक्ति कर रहे है
लेकिन ये दोनो परमात्मा की भक्ति नही है
"सगुण भक्ति का फल" मृत्यु पश्चात 3 लोक 14 भवन मे मिलता है
जो की "काल" के मुख मे है
ओर
"निर्गुण भक्ति का फल"
मृत्यु पश्चात 3 ब्रह्म के 13 लोक मे मिलता है
जो की "काल" के मुख मे ही है
क्यो की पारब्रह्म स्वयम् "महाकाल" है


आदि सतगुरु महाराज ने "सगुण निर्गुण" का एक सम्पूर्ण अंग ही लिखा है जिसमे विस्तार से यह बाते आयी हुई है
इसके अलावा "चाणक (चाणक्ष) के अंग" मे भी बहुत सारी बाते बाताइ है


वैसे देखा जाये तो
आज जो सगुण भक्ति कहलाती है वह मूर्तिपूजा ओर अन्य शोभायमान भक्ति को लेकर सगुण भक्ति कहलाती है
लेकिन गुरु महाराज कहते है के मूर्तिपूजा यह सगुण कैसे हो सकती है ?
जिनका शरीर अब नही है ऐसे देवता (ब्रह्मा, विष्णु , महादेव) और अवतार (रामचंद्र,कृष्ण) उनकी मूर्ति बनाकर पूजा करना
ये कैसा सगुण कहलायेगा ?
जब तक वे
पांच तत्व के शरीर से यहां मौजूद थे
वे गुणों सहित थे
अब उनका शरीर नही रहा
एक तत्व की मूर्ति सगुण कैसे कहलायेगी ?


इसलिए गुरु महारज ने
सगुण / निर्गुण / सत्स्वरूप
इन तीनो भक्तिया बांदा (हरजी भाटी) को विस्तार से समझाई
वह निम्नलिखित पद मे आयी है


बांदा तीन भक्त कहू तोई।
सुर्गुण निर्गुण आणंद पद की,यारा भेद नियारा होइ।


अरे हरजी भाटी मैं तुझे अब अलग अलग तीन भक्ति के बारे मे बताता हूँ
जगत के लोग सिर्फ दो प्रकार की भक्ति जानते है
एक सगुण ओर दूसरी निर्गुण
मैं तुझे ये दोनो और इनके परे "सतस्वरूप आंनदपद" (परमात्मा का पद) की भक्ति न्यारी न्यारी करके बताता हूँ ।


जोगारंभ जप तप सिवरण,करनी कुछ भी होइ।
तब लग निर्गुण भक्ती नाही,सुर्गण वा कहुं तोई ।1।


(जगत के लोग मूर्ति पूजा को सगुण ओर) योगारम्भ, जप, तप, सुमिरन, करणी क्रिया साधना इनको निर्गुण भक्ति समझते है
मैं कहता हूँ ये निर्गुण नही है ये तो सगुण भक्ति हुयी ।


निर्गुण भक्ति तो दो प्रकार की है


निर्गुण भक्त तका सुण कहिये,तत्त पीछाणे सोई।
निर्भे हुवा भ्रम सब भगा,सांसो सोग न कोई ।2।


निर्गुण भक्ति किसे कहते है
जिस संत (भक्त) ने तत्त को पहचाना है ।
इस जगत मे निर्भय हो गया किसी बात का उसे भय (डर) नही है । जिसमे कोई भरम नही रहा । जिसको कोई सांसा (फिक्र) नही है । जिसकी सोग (मरने का दुःख) नही है । वह निर्गुण भक्ति है


एक निर्गुण अंग दूसरो कहीये,जे ग्यानी कोई पावे।
सोहं जाप अजपो जपको,दसवे द्वार लग जावे ।3।


निर्गुण भक्ति का एक और (दूसरा) अंग है । जो किसी ज्ञानी को ही मिलता है और फिर वह सोहम् का जाप अजपा करके दसवेद्वार तक पहुंच जाता है ।


ए निर्गुण मे मिले न कोई,जायर देखे सारा।
करामात कळा कोई पावे,ब्रम्ह न हुवे बिचारा ।4।


लेकिन इतना होने के उपरांत भी ये निर्गुण मे जाकर नही मिलते सिर्फ उसको देखकर वापस पलटकर इस जगतमे आ जाते है
वे करामती (पर्चे चमत्कार करनेवाले) बन जाते है । जगत के लोग उन्हें इस जगत मे ही पुजने लग जाते है उनका आवागमन नही मिटता । जन्म मरण से उनका छुटकारा नही होता l


अब इनके पर .....


आनंद पद की भक्ती बताऊँ,प्रथम तो मत आवे।
ग्यान,ध्यान हद का गुरु सारा,से सब ही छीटकावे ।5।


अब इसके बाद मैं तुझे "आनंदपद" (परमात्मा का पद) की भक्ति बताता हूँ
परमात्मा के पद की भक्ति करने वाले की मति (मत) ऐसा हो जाता है की
वह हद (3 लोक 14 भवन) का सारा ज्ञान ध्यान
बेहद (3 ब्रह्म 13 लोक) का सारा ज्ञान ध्यान छोड़ देता है


ओर


सत्तगुरु ढुंढ सरण ले जाई,जहाँ नाव कळा घट जागे।
राज जोगवो कहिये जगमे,बिन करणी धुन्न लागे ।6।


"सत्तगुरु" का शरणा ढूंढता है ओर वो भी ऐसे सतगुरु की जिनके शरण मे जाकर उसके घट (शरीर) मे "नाम की कला" (सत्त कला/ कुद्रत कला) जागृत होगी ओर किसीभी कोईभी करनी क्रिया न करते हुए उसके दसवेद्वार मे एवम् साढ़ेतीन करोड़ "रोमावली" एक प्रकार की ध्वनि लग जाती है ।


ये "सतस्वरूप की सत्ता का परिणाम" है की कोई करनी क्रिया न करते हुए उसमे सत्ता प्रकट हो जाती है


इस प्रकार सगुण और निर्गुण भक्ति का फर्क है
ओर ये भक्ति मनुष्य ही करते है
ओर
परमात्मा की भक्ति भी मनुष्य ही करते है






सम्बन्धित प्रश्न



Comments Nittya Lodhi on 26-06-2023

Nirgunn bhakti ka kya matlab hai

Garima yadav on 02-04-2023

Nirgun ki abgharna

रोहित on 18-01-2023

निर्गुण भक्ति क्या है? विस्तार से बताइए


Deepak Prajapati on 17-04-2020

Bumi ka asthai bataiye

Gautam on 10-02-2020

What is nirgun bhkti





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