Rajyapal Shashan Kya Hai
जम्मू-कश्मीर रियासत में राज्यपाल शासन लागू कर दिया गया है। ऐसा आठवीं बार
हुआ है। रियासत में इसके लिए धारा 92 का प्रावधान किया गया है। राज्यपाल
एनएन वोहरा के कार्यकाल में राज्यपाल शासन का यह चौथा दौर है। प्रशासनिक
कार्यों में मदद के लिए वह सलाहकारों की नियुक्ति कर सकते हैं। ऐसा पहले भी
हो चुका है।
दरअसल, जम्मू-कश्मीर के संविधान के सेक्शन 92 के मुताबिक, राज्य में
संवैधानिक तंत्र की विफलता के बाद भारत के राष्ट्रपति की मंजूरी से 6 महीने
के लिए राज्यपाल शासन लगाया जा सकता है। राज्यपाल शासन के दौरान या तो
विधानसभा को निलंबित कर दिया जाता है या उसे भंग कर दिया जाता है।
राज्यपाल शासन लगने के 6 महीने के भीतर अगर राज्य में संवैधानिक तंत्र
दोबारा बहाल नहीं हो पाता है तो भारत के संविधान की धारा 356 के तहत
जम्मू-कश्मीर में राज्यपाल शासन के समय को बढ़ा दिया जाता है और यह
राष्ट्रपति शासन में तब्दील हो जाता है। मौजूदा परिस्थिति को मिलाकर अब तक
जम्मू-कश्मीर में 8 बार राज्यपाल शासन लगाया जा चुका है।
रियासत में राज्यपाल शासन : एक नजर
मार्च 1977
जम्मू-कश्मीर में पहली बार राज्यपाल शासन तब लगा था, जब कांग्रेस ने नेशनल
कांफ्रेंस (एनसी) से समर्थन वापस ले लिया था। यह 26 मार्च 1977 से लागू
होकर नौ जुलाई 1977 तक कुल 105 दिन रहा। इस दौरान रियासत केराज्यपाल एलके
झा रहे।
मार्च 1986
जम्मू कश्मीर में दूसरी बार राज्यपाल शासन जगमोहन के कार्यकाल में लगा, जो
छह मार्च 1986 से सात नवंबर 1986 तक कुल 264 दिन तक रहा। कांग्रेस ने
रियासत में कानून व्यवस्था को आधार बनाकर सरकार से समर्थन वापस लिया। उस
वक्त अवामी नेशनल कांफ्रेंस के गुलाम मोहम्म्द शाह के नेतृत्व में सरकार
थी।
जनवरी 1990
रियासत में तीसरा और सबसे लंबा राज्यपाल शासन छह साल, 264 दिन चला। यह 19
जनवरी 1990 को लागू किया गया था, जिसे नौ अक्तूबर, 1996 को हटाया गया।
राज्यपाल शासन फारुक अब्दुल्ला के इस्तीफे के बाद लागू किया गया था। उस
वक्त भी जगमोहन ही राज्यपाल थे। इस दौरान आतंकवाद चरमपर होने के चलते चुनाव
नहीं हो सके।
अक्टूबर 2002
रियासत में चौथी बार 18 अक्टूबर-दो नवंबर 2002 को राज्यपाल शासन लागू किया
गया। यह केवल 15 दिन रहा। तब नेशनल कांफ्रेंस के फारुक अब्दुल्ला ने पार्टी
की हार के बाद कंटीन्यू करने से इनकार कर दिया। उस वक्त जीसी सक्सेना
राज्यपाल थे। दो नवंबर 2002 में 12 स्वतंत्र विधायकों के साथ मुफ्ती
मोहम्मद सईद ने सीएम पद की शपथ ली।
जुलाई 2008
पांचवी बार राज्यपाल शासन 11 जुलाई, 2008 में लगा था, जो पांच जनवरी, 2009
तक कुल 178 दिन चला। पीडीपी ने अमरनाथ भूमि विवाद के चलते गुलाम नबी आजाद
के नेतृत्व वाली सरकार से समर्थन वापस लिया। आजाद को सात जुलाई तक विश्वास
मत साबित करना था, लेकिन उन्होंने रिजाइन कर दिया। एनएन वोहरा के कार्यकाल
में राज्यपाल शासन लागू हो गया। यह पांच जनवरी, 2009 तक रहा, जब उमर
अब्दुल्ला ने रियासत के सबसे छोटे सीएम के रूप में कार्यभार ग्रहण किया।
जनवरी 2015
जम्मू कश्मीर रियासत में दिसंबर 2014 में चुनाव नतीजों में किसी भी पार्टी
को बहुमत न मिलने पर कार्यवाहक सीएम उमर अब्दुल्ला ने सात जनवरी, 2015 को
गद्दी छोड़ दी। नई सरकार के चुने जाने तक राज्यपाल शासन रहा।
जनवरी 2016
सातवीं बार जनवरी, 2016 में मुहम्मद मुफ्ती सईद की मौत के बाद राज्यपाल शासन लगा था। तब भी एनएन वोहरा रियासत के राज्यपाल थे।
जगमोहन के कार्यकाल में सबसे लंबा राज्यपाल शासन
राज्यपाल जगमोहन के कार्यकाल के वक्त 1990 में राज्यपाल शासन लागू हुआ था,
जो कि 1996 तक सबसे लंबा राज्यपाल शासन रहा। जो छह साल से भी अधिक चला। इस
बीच दो राज्यपाल भी बदले गए। गिरीश चंद्र सक्सेना 26 मई, 1990 से 12 मार्च,
1993 के बीच रहे। इसके बाद केवी कृष्णाराव को राज्यपाल बनाया गया।
राज्यपाल शासन क्या है
जम्मू कश्मीर को लेख 370 के द्वारा विशेष राज का दर्जा प्रता है। जम्मू कश्मीर एक मात्र राज है जिसका खुद का संविधान है। जम्मू कश्मीर के संविधान के लेख 92 मुझे राज्यापाल शासन की बात कही गई है।
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