Apada Prabandhan Me Sudoor Samvedan Ki Bhumika आपदा प्रबंधन में सुदूर संवेदन की भूमिका

आपदा प्रबंधन में सुदूर संवेदन की भूमिका



Pradeep Chawla on 01-11-2018


सुदूर संवेदन प्रणाली के प्रकार
संवेदकों (सेंसर) की प्रकृति एवं उर्जा के श्रोत के आधार पर सुदूर संवेदन प्रणाली दो प्रकार के होते हैं:


निष्क्रिय सुदूर संवेदक (रिमोट सेंसर) और सक्रिय सुदूर संवेदक (रिमोट सेंसर);


निष्क्रिय सुदूर संवेदक (रिमोट सेंसर) : निष्क्रिय सुदूर संवेदक स्वयं ऊर्जा का उत्सर्जन नहीं करते, वे सुदूर संवेदन के लिए वाह्य श्रोतों से प्राप्त ऊर्जा पर निर्भर करते हैं।
ये प्राकृतिक विकिरण का उपयोग करते हैं । इस श्रेणी के संवेदक पृथ्वी की सतह पर स्थित किसी वस्तु से उत्पन्न होने वाले या परावर्तित होने वाले विकिरणों का संवेदन करते हैं ।
निष्क्रिय सुदूर संवेदक प्राकृतिक विकिरण की उपस्थिति में ही कार्य करने में सक्षम होते हैं इसके कारण इन्हें निष्क्रिय सुदूर संवेदक कहते हैं ।
जैसे, मानव आंख, कान और फ़ोटो फ़्लैश के बिना इस्तेमाल किया जाने वाला कैमरा. आँख विद्युत चुम्बकीय वर्णक्रम के दृश्य भाग से ऊर्जा का पता लगाता है, जबकि कान ध्वनि ऊर्जा का पता लगाता है. फोटो फ्लैश के बिना दिन के उजाले में प्रयुक्त कैमरा एक निष्क्रिय सुदूर संवेदक है।


सक्रिय सुदूर संवेदक: सक्रिय सुदूर संवेदक स्वयं ऊर्जा का उत्सर्जन करते हैं, वे सुदूर संवेदन के लिए मात्र वाह्य श्रोतों से प्राप्त ऊर्जा पर निर्भर नहीं करते हैं।
ये प्राकृतिक विकिरण के उपयोग के साथ साथ स्वयं ऊर्जा का उत्सर्जन करते हैं और परिलक्षित या परावर्तित ऊर्जा का संवेदन करते हैं।
सक्रिय सुदूर संवेदक हर स्थिति में कार्यशील रहते हैं, इसके कारण इन्हें सक्रिय सुदूर संवेदक कहते हैं ।
उदाहरण के लिए LIDAR, राडार और फ़ोटो फ्लैश के साथ प्रयुक्त कैमरा सक्रिय सुदूर संवेदक है. राडार अलग-अलग वेव लेंथ की ऊर्जा उत्सर्जित एवं ग्रहण करते हैं ।


सुदूर संवेदक (रिमोट सेंसर) किसी वस्तु से परावर्तित या उत्सर्जित इलेक्ट्रो मैग्नेटिक रेडिएशन को ग्रहण करते हैं। रिमोट सेंसिंग डिवाइस इसे डिजिटल फार्म में बदलकर उस वस्तु की सूक्ष्म जानकरी देते हैं ।


रिमोर्ट सेंसिंग सुदूर संवेदन की प्रक्रिया कई चरणों में संपन्न होती है, जो निम्न प्रकार से हैं;
1.उर्जा के श्रोत से ऊर्जा का उत्सर्जन ;
2.वस्तु से परावर्तन या उत्सर्जन;
3.सुदूर संवेदक द्वारा उर्जा संवेदन या संग्रहण;
4.रिमोट सेंसिंग डिवाइस द्वारा ऊर्जा का पुनःपरावर्तन;
5. पुनः परावर्तित ऊर्जा का डिजिटल फार्म में परिवर्तन एवं उपयोग;


रिमोर्ट सेंसिंग के द्वारा प्राप्त चित्रों से कृषि, वानिकी, खनिज संपदा, सागर सर्वेक्षण आदि विषयों पर महत्वपूर्ण जानकारियां अत्यंत कम समय में उपलब्ध हो जाती हैं, जबकि भू-आधारीय विधियों द्वारा इन्हें प्राप्त करने में काफी ज्यादा समय लगता है।




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