ऊपरी जोड़ में स्थित खुले सिरे को बाँसुरी के चौड़े भाग में डाले- इस भाग में छिद्र कम होते हैं और यह सिरा बाँसुरी पर अंकित ब्रांड के नाम के सबसे पास होता है | इन भागों को जोड़ने के लिए इन्हें मरोड़ना पड़ सकता है |
बाँसुरी के मुख रंध्र (जिसे हम अपने मुँह में रखते हैं) को डंडी में स्थित पहले छिद्र पर संरेखित करें | ऊपरी सिरे की जोड़ को पूरी तरह से अंदर ना डालें, इसे थोड़ा सा बाहर रखें | यह बाँसुरी को धुन में रखने की मदद करता है |
निचले सिरे को कैस में से निकाल कर बाँसुरी के दूसरे सिरे से जोड़ें | निचले सिरे की मुख्य लग्गी को बाँसुरी के आखरी छिद्र से जोड़ें | ज़रूरत पड़ने पर संरेखन को समायोजित करें |
सुरी को पकड़ना सीखें: बाँसुरी को मुख रंध्र से अपने मुँह में पकड़ें और बाकी का भाग आपके दाँयी ओर होना चाहिए सम-स्तरीय विधान में |
आपका बाँया हाथ मुख रंध्र के पास होना चाहिए और बाँसुरी के दूसरे सिरे से आपकी तरफ मुड़ा हुआ होना चाहिए | आपका बाँया हाथ ऊपरी छिद्रों पर होना चाहिए |
आपका दाँया हाथ बाँसुरी पर और नीचे होना चाहिए, निचले सिरे के पास और दूसरी तरफ मुड़ा हुआ होना चाहिए |
बाँसुरी में फूँकना सीखें: शुरूवाती दौर में बाँसुरी से ध्वनि निकलना कठिन हो सकता है, इसलिए आपको सहीं तरीके से फूकने की विधि का अभ्यास करना होगा इससे पहले की आप किसी विशेष स्वर को निकालने की कोशिश करें | .
बाँसुरी में ना फूँकें | जिह्वा की मदद से टी ध्वनि निकालने का प्रयास करें |
बाँसुरी को फूँकने की पद्धति का सहीं तरीके से अभ्यास करने के लिए काँच के गिलास या बोतल में फूँककर ध्वनि निकालने का प्रयत्न करें | बोतल के सिरे से नीचे की ओर और सिरे के आर=पार फूँककर म की ध्वनि एवं और होंठ को दबाते हुए पी की ध्वनि निकालें | याद रखैईं कि बोतल में जितना पे होगा, स्वरमान उतना ही ज़्यादा होगा |
बोतल में फूँकने की पद्धति में माहिर होने के बाद आप बाँसुरी मैं अभ्यास कर सकते हैं | मुख रंध्र में सीधे फूँकने के बजाय, रंध्र के किनारे को निचले होंठ के किनारे रखकर धीरे-धीरे नीचे की ओर और आर-पार फूँकने का प्रयास करें (जैसा आपने गिलास में किया था) |
फूँकते समय गालों को ना फुलायें | हवा मुँह से नही बल्कि सीधे डायफग्राम के अंदर से आनी चाहिए | फूँकते समय टू ध्वनि निकालने का प्रयास करें, ये आपको आपको होंठ को सही स्थिति समें रखने के लिए सहायक होगा |
उंगलियों का सहे स्थानन सीखें: अगला चरण है उंगलियों का सही स्थाणन सीखना | चूंकि बाँसुरी में कई माप और आकृति के छिद्र होते हैं | सारी उंगलियों का सही स्थान इस प्रकार है:
बांये हाथ की तर्जनी उंगली ऊपर से दूसरे छिद्र पर होनी चाहिए, तीसरे छिद्र को छोड़े दें और मध्यमा और अनामिका उंगलियों को चौथे और पाँचवे छिद्र पर रखें | छोटी उंगली को पाँचवे छिद्र के बाजू उस भाग पर रखे जोकि बाहर की ओर हो | बाँये अंगूठे को बाँसुरी के पीछे स्थित समतल भाग पर रखें |
दाँये हाथ की तर्जनी, मध्यमा और अनामिका उंगलियों को बाँसुरी के निचले जोड़ के पास स्थित टीन छिद्रों पर रखे | कनिष्ठा उंगली को निचले जोड़ पे स्थित छोटे गोल भाग पर रखे | दाँये अंगूठे को बाँसुरी के नीचे रहने दें, ये वाद्य बजाते समय सहायक होगा | यह किसी स्वर को बजाने के लिए उपयोग नही किया जाता | [२]
ध्यान में रहे कि यह उंगलियों का स्थानन शुरूवात में अप्राकृतिक और अजीब प्रतीत होता है | बाद में साधारण लगता है |
स्वरों को सीखने के लिए रेखा-चित्र की सहयता ले: बाँसुरी पर विशिष्ट स्वरों को बजाने के लिए रेखा-चित्र की सहायता लें, जिससे आपको हर स्वर के लिए उंगली के स्थानन का ज्ञान प्राप्त हो |
रेखा-चित्रों में विविध चित्रों और आरेखों का उपयोग होता है जोकि हर एक स्वर के लिए उंगलियों के स्थानन को दृश्य बनाता है | बाँसुरी के किसी भी अनुदेश-पुस्तिका में आपको रेखा चित्र मिलेंगे, ये रेखा चित्र आपको इंटरनेट में भी प्राप्त हो सकते हैं |[३]
प्रत्येक स्वर का अभ्यास तब तक करें जब तक आपको सहीं ना आ जाए | स्वर निकलते समय ऐसा प्रतीत नही होना चाहिए मानो आप फूँक रहे हो या सीटी बजा रहे हो- यह पूरी तरह अविचल ध्वनि होनी चाहिए |
जब प्रत्येक स्वर अलग-अलग बजाने आप सक्षम हो जाए तो स्वरों को एक-साथ बजाने का प्रयत्न करें | यदि यह संगीतमय ना भी हो तो इसका मतलब एक स्वर से दूसरे स्वर में जाने के बीच के परिवर्तन को समझने से है |
वाद्य बजाते समय अंग-विन्यास का ध्यान रखे: ये आवश्यक है कि आप बाँसुरी बजाते सही दशा में बढ़ोतरी लाए, जिससे की आपकी श्वास-ऊर्जा बढ़े और ज़्यादातर अविचल ध्वनि निकालने में मदद मिले |
जितना हो सके उतना सीधा खड़े होने या बैठने का प्रयास करें, ठुड्डी ऊपर की ओर हो और आँखे सीधी तरफ, ये आपके डायफग्राम को खुलने में मदद करेगा जिससे कि आप सीधे और अविचल ध्वनि निकाल सकें |
दोनो पैरों को भूमि पर रखकर और पीठ सीधी कर खड़े हों- एक पैर पर खड़े ना हो और गर्दन को अजीब तरीके से ना घुमाए | इससे सिर्फ़ दर्द और परेशानी होगी और आपके अभ्यास में बाधा पड़ेगी |
बजाते समय शरीर को पीढ़ा एवं चिंता से मुक्त रखे- ये आपको अविचल और सुंदर ध्वनि निकालने में सहायक होगा |
यदि आप किसी म्यूज़िक-स्टैंड का प्रयोग कर रहे हों, तो आँखों की सीध मे रखे और यदि स्टैंड छोटा हो तो आपको गर्दन या ठुड्डी को झुंकाना पड़ सकता है जिससे आपके श्वास लेने में तकलीफ़ हो सकती है और गर्दन में दर्द भी हो सकता है |[४]
प्रतिदिन कम से कम 20 मिनट अभ्यास करे: जैसे की कहा गया है, अभ्यास से ही निपुणता प्राप्त होती है | परंतु ध्यान में रहे कि सप्ताह के अभ्यास को 2-2.5 घंटे करने से प्रतिदिन छोटे-छोटे अंतराल में अभ्यास करना लाभदायी होगा |
प्रतिदिन 20 मिनट अभ्यास करने का प्रयत्न करें | अपने अभ्यास को लक्ष्यात्मक बनाए, ये आपका ध्यान केंद्रित रखने में सहायक होगा | इन लक्ष्यों को छोटे परंतु अविचल बनाए | उदाहरण के लिए, स्वर ब से स्वर आ में जाने का उत्तम स्थानरन को अपना लक्ष्य बनाए |
अनियमित अंतराल और तेज़- अभ्यास से शरीर क्षीण हो जाता है, जिससे आपको चिढ़ और थकाव का अनुभव हो सकता है | यदि आप नियमित छोटे-छोटे अंतराल में अभ्यास करे तो आपको अधिक विकास दृश्य होगा | .[४]
अभ्यास के बाद शरीर को फैलायें: अभ्यास करने के बाद हमेशा शरीर को फैलायें इससे आप बाँसुरी बजाने के पश्चात चिंता और शरीर की अनम्यता से मुक्त होंगे, और अगले सत्र के लिए पूर्ण रूप से तैयार हो सकेंगे | इसके लिए कुछ उचित व्यायाम है: :
घुटनों को हल्का मोड़ें और हाथों को पीछे की ओर झूलायें, इसके बाद हाथों को ऐसे ऊपर की ओर उठाए जैसे आप उठना चाहते हों | इसे 5-10 बार दोहराए हाथ और कंधे के लिए |
श्वास अंदर लेते समय कंधे को ऊपर की ओर कान की तरफ खींचे और इस स्थिति में कुछ मिनट रोकें | श्वास छोड़ते समय कंधे को नीचे छोड़ दे | चिंता एवं कंधे की पीढ़ा से मुक्त होने के लिए इस प्रक्रिया को दोहरायें |
दोनों हाथों को शरीर से चिपकाकर खड़े हों और अपने हाथ और कलाई को इस तरह से हिलाए जैसे ये रबड़ के बने हो | इससे हाथ और कलाई के जोड़ों की अनम्यता कम हो जाएगी |
ऐसे बहुत से व्यायाम है जिनसे आप चिंता और पीढ़ा से मुक्त हो सके | आपके लिए जो सहीं लगे उसे अभ्यास में लाए |
प्रयत्न ना त्यागें: बाँसुरी सीखने में थोड़ा समय लगता है इसलिए धीरज रखे और अभ्यास करते रहें और किसी अच्छे गुरु की मदद लें | जल्द ही आप मनोहर संगीत निकाल पाएँगे |
Muje bansuri bajana sikhna he
Sir muze basuri bajana shikhana hai please call me-9730706160
सर में घर से बांसुरी बजाना सीख सकता हूं और कैसे सीख सकता हूं उसके लिए मुझे गाइड कीजिए
Bansuri sikhna he
Ambersari dikha Jaate Hain
Basuri ko कैसे पकड़ें ।। और उंगली
बाँसुरी सिखने जगाह बटाय
महोदय जी बाँसुरी मे गुणवत्तायुक्त फूँक मारने की तकनीक बताने की कृपा करे।
Bansuri me 6 chhed hota hai... jab sabhi chhed ko daba kar bajate hai... to aawaj nai ata.... please aap batayenge ki... kis tarah se fukna hai.... jisse aawaj nikle
बांसुरी में लंबी साँस तक कैसे बजाए
बांसुरी कैसे बजाए जाती है भाई साहब जी अपना मोबाइल नंबर दे दीजिए
बांसुरी मुझे सिखा दीजिए
Sir mujhe bansuri banana shikna hai kripya aap apna numar de dijeye
Basuri kaha sa kharide
Mobail par basuri kaise bajae
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