Bharateey Prajatantra Me Dabav Samuh Ki Bhumika भारतीय प्रजातंत्र में दबाव समूह की भूमिका

भारतीय प्रजातंत्र में दबाव समूह की भूमिका



GkExams on 19-10-2022


दबाव समूह की परिभाषा (pressure groups in india) : जब कोई संगठन अपने सदस्यों के हितों की पूर्ति के लिए राजनीतिक सत्ता को प्रभावित करता है और उनकी पूर्ति के लिए दबाव डालता है तो उस संगठन को 'दबाव समूह' कहा जाता हैं।


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आज के समय में दबाव समूह (pressure groups examples) का राजनीतिक व्यवस्थाओं में विशेष स्थान है। इन्हें प्राय: विभिन्न नामों से पुकारा जाता है, जैसे- 'हित समूह', 'अनौपचारिक संगठन' आदि। हालांकि प्रत्येक समाज में अनेक प्रकार के संगठन होते हैं, जो कि वर्ग विशेष या पक्ष की आवश्यकताओं की पूर्ति करते हैं, लेकिन उन सभी को दबाव समूहों की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता।


दबाव समूह की विशेषताएं :




यहाँ हम आपको निम्नलिखित बिन्दुओं द्वारा दबाव समूह की विशेषताओं (types of pressure group) से अवगत करा रहे है, जो इस प्रकार है...


  • इस प्रकार के समूह गैर-राजनीतिक संगठन होते हैं।
  • यह औपचारिक रूप से संगठित व्यक्ति समूह होते हैं।
  • इनका निर्माण का आधार स्वहित होता है और इसी की प्राप्ति करना इसका ध्येय भी होता है।
  • यह सरकार में भाग नहीं लेते, लेकिन अप्रत्यक्ष रूप से सरकार की नीतियों को प्रचारित करते हैं।
  • इस प्रकार के समूहों का कार्यक्षेत्र राजनीतिक दलों की तुलना में सीमित होता है।
  • ये सरकार पर अपना प्रभाव राजनीतिक दलों के माध्यम से ही डालते हैं।
  • इन समूहों का कार्यकाल अनिश्चित होता है।



  • भारतीय प्रजातंत्र में दबाव समूह की भूमिका :




    हमारे देश में दबाव समूहों का अस्तित्व आजादी से पहले से है, लेकिन स्वतंत्रता पश्चात् ही वे विशेष रूप से प्रभावित हुए। ‘भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस’ की स्थिति भी स्वतंत्रता से पूर्व एक दबाव समूह (role of pressure groups) की ही भाँति थी, जिसका उद्देश्य भारतीयों के हितों का प्रतिनिधित्व करना था। ‘मुस्लिम लीग’ (1906) का उदय भी एक दबाव समूह के रूप में ही हुआ था।


    लेकिन स्वतंत्रता के पश्चात् भारत में विभिन्न दबाव समूहों का उदय हुआ। प्रत्येक संगठन व संस्थाओं द्वारा विभिन्न दबाव समूहों का निर्माण किया गया। कुछ दबाव समूहों का निर्माण स्वयं राजनीतिक दलों द्वारा भी किया गया था। इन दबाव समूहों का मुख्य उद्देश्य अपने हितों का प्रतिनिधित्व और उसका संरक्षण करना ही रहा है।


    आज भारत में विभिन्न दबाव समूहों का अस्तित्व है, जैसे- 'मज़दूर संघ', 'किसान संगठन', 'महिला संगठन', 'व्यापारी संगठन', 'विद्यार्थी संगठन' आदि कुछ ऐसे ही संगठन दबाव समूह की गिनती में आते हैं, जिसका अपना कार्यक्रम व आधार है।




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    Comments Kashifa on 10-01-2023

    Prajatantr m davav samooh ki bhumika ke bibechna

    mahati sinku on 06-12-2021

    dabav samuh ki Bhumika aur mahatwa





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