Radarford Ka Parmanu Model
रदरफोर्ड का परमाणु मॉडल -
रदरफोर्ड ने यह मॉडल सन 1919-1921 के अपने इलेक्ट्रॉन के प्रयोगो द्वारा दिया। इस मॉडल ने परमाणु के भीतर धनावेशित भाग होने की बात बताई। उन्होने यह दर्शाने के लिए प्रयोग किया जो निम्नानुसार है - रदरफोर्ड ने सोने की 100 nm (100 नेनोमीटर) की पतली पन्नी पर अल्फा कणो की बौछार की। सोने की पन्नी के चारो ओर फोटोग्राफिक प्लेट लगाई जो प्रतिदीप्त पदार्थ (ZnS,जिंक सल्फाइड)से लेपित थी। जब उन्होने सोने की पन्नी पर अल्फा कणो की बौछार की तो निम्न परिणाम प्राप्त हुए-
1. अधिकांश अल्फा कण सोने की पन्नी से बिना विक्षेपित हुए निकल गए।
2. अल्फा कणो का कम अंश बहुत कम कोण से विक्षेपित हुआ।
3. बहुत ही थोड़े कण (20000 में से 1) वापिस उसी पथ से लौट आए अर्थात 180०सुपरस्क्रिप्ट पाठ के कोण पर लौट आए।
रदरफोर्ड ने यह निष्कर्ष निकाले -
1. परमाणु का अधिकांश भाग रिक्त या खोखला होता है।
2. कुछ ही अल्फा कण प्रतिकर्षण बल के कारण विक्षेपित हुए। इससे यह पता चलता है कि परमाणु के मध्य धनावेशित भाग पाया जाता है।
3. रदरफोर्ड ने गणना करके दिखाया कि नाभिक का आयतन परमाणु के कुल आयतन की तुलना ने नगण्य है। परमाणु की त्रिज्या लगभग 10−10 होती है व नाभिक की त्रिज्या 10−15 होती है।
4. परमाणु का धनावेश व द्रव्यमान एक अति अल्प क्षेत्र में केन्द्रित होता है। रदरफोर्ड ने इसे नाभिक कहा।
5. रदरफोर्ड ने कहा कि नाभिक के चारो ओर इलेक्ट्रॉन वृत्ताकार कक्षाओ में जिन्हे कक्षा कहा गया। इन कक्षाओ में इलेक्ट्रॉन बहुत तेजी से घूमते हैं। इसलिए यह परमाणु मॉडल सौरमंडल से मिलता-जुलता है,जिसमे सूर्य नाभिक होता है और ग्रह गतिमान इलेक्ट्रॉन की तरह होते हैं।
6. इलेक्ट्रॉन और नाभिक आपस में आकर्षण के स्थिर वैधयुत बलो द्वारा बंधे रहते हैं।
Why are radarford has taken golden plate for his golden plate experiment
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