Rao ChandraSen And Maharanna Pratap राव चंद्रसेन एंड महाराणा प्रताप

राव चंद्रसेन एंड महाराणा प्रताप



Pradeep Chawla on 18-10-2018


उन्हे मारवाड़ का महाराणा प्रताप भी कहा जाता है जिनके बारे में बहुत कम लोग जानते हैं पर महाराणा प्रताप की तरह उन्होंने भी कभी मुगलों के आगे अपना सर नही झुकाया।हालाँकि इतिहासकारों ने उनके संघर्ष और स्वाभिमान को महत्व नही दिया।

उस वीर यौद्धा का नाम है राव चन्द्रसेन राठौड़
मारवाड़ के राणा प्रताप "राव चंद्रसेन जी राठौड़" का स्मारक आज जर्जर अवस्था में है|


राव चन्द्रसेन मारवाड़ के राजा मालदेव के पुत्र थे। ये महाराणा प्रताप के समकालीन थे। इनकी योग्यता को देखकर मालदेव ने छोटा होने के बावजूद इन्हें ही अपना उतराधिकारी नियुक्त किया।
इससे उनके भाई रामसिंह और उदयसिंह उनसे रुष्ट हो गये और अकबर से मिल गये।
अकबर ने इन्हें अपने अधीन करने के लिए कई बार सेना भेजी। पर इस वीर ने कभी भी अपना सर अकबर के आगे नही झुकाया।
ज्यादा दबाव पड़ने पर चन्द्रसेन ने जोधपुर छोडकर सिवाना में डेरा जमा लिया।और अकबर के खिलाफ युद्ध की तैय्यारी शुरू कर दी।
अकबर ने फुट डालों और राज करो कि नीति के तहत उनके भाई उदयसिंह को जोधपुर का राजा घोषित कर दिया।और हुसैनकुली को सेना लेकर सिवाना पर हमला करने के लिए भेजा,पर उस सेना को चन्द्रसेन के सहयोगी रावल सुखराज और पताई राठौड़ ने जबर्दस्त मात दी।
दो वर्ष लगातार युद्ध होता रहा,थक हारकर अकबर ने कई बार चन्द्रसेन को दोबारा जोधपुर वापस देने और अपने अधीन बड़ा मनसबदार बनाने का प्रलोभन दिया। पर स्वंतन्त्रता प्रेमी चन्द्रसेन को यह स्वीकार नही था।
तंग आकर अकबर ने आगरा से जलाल खां के नेत्रत्व में तीसरी बड़ी सेना भेजी,पर राव चन्द्रसेन के वीरो ने जलालखां को मार गिराया।
इसके बाद अकबर ने चौथी सेना शाहबाज खां के नेत्रत्व में भेजी,जिसने 1576 ईस्वी में बड़ी लड़ाई के बाद सिवाना पर कब्जा कर लिया,और राव चन्द्रसेन पहाड़ों में चले गये।
पुन शक्ति जुटाकर 1579 ईस्वी में राव चन्द्रसेन ने पहाड़ों से निकलकर मुगलों को खदेड़ दिया।पर दुर्भाग्य से इसके कुछ ही समय बाद संन 1580 ईस्वी में सचियाव गाँव में राव चन्द्रसेन राठौड़ का निधन हो गया।
डिंगल काव्य में राव चन्द्रसेन राठौड़ को इस तरह
श्रद्धान्ज्ली दी गयी------
""'अणदगिया तुरी उजला असमर।
चाकर रहण न डिगिया चीत।
सारै हिन्दुस्थान तणा सिर।
पातल नै चन्द्रसेन प्रवीत।।""
अर्थात----जिसके घोड़ो को कभी शाही दाग नही लगा,जो सदा उज्ज्वल रहे,शाही चाकरी के लिए जिनका चित्त नही डिगा, ऐसे सारे भारत के शीर्ष थे राणा प्रताप और राव चन्द्रसेन राठौड़।




सम्बन्धित प्रश्न



Comments Pawan on 14-03-2024

Kis hitihaskr ne chandrsen ko marwar ka pratap kaha

राजू on 23-03-2023

किस इतिहासकार द्वारा चन्द्रसेन की तुलना महाराणा प्रताप से की गई है

Arvind chopra on 23-10-2022

राव चन्द्रसेन को महाराणा प्रताप किसने कहा


राजकुमार on 23-09-2022

रावचन्द्र सेन को किस इतिहास कार ने मारवाड़ का प्रताप कहा?

गिरिजा on 03-06-2021

राव चंद्रशेन को प्रताप का पथप्रदर्शक किसने कहा ह?

Bhagwan singh on 21-02-2021

Chandrasen Pratap donon ne mugal pratirodh Kiya lekin chandrasen ki tulna mein Pratap adhik lokpriya hue samjhaie

Harpal on 04-08-2020

Why rana kumbha is called jindgi surtran






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