राजस्थान के लोक-नृत्य (Folk Dances) को चार भागो में विभाजित किया है | क्षेत्रीय, व्यावसायिक , जनजातीय एवं जातीय | क्षेत्रीय नृत्य (Folk Dances) वो नृत्य है जो अपने विशेष इलाके में प्रसिद्ध है | व्यवासयिक नृत्य का प्रदर्शन व्यवसाय के तौर पर पैसे कमाने के लिए किया जाता है | जनजातीय नृत्य राजस्थान के जनजातीय इलाको में विशेष त्योहारों के अवसर पर किये जाते है जबकि जातीय नृत्य अपने जाति में आनन्द के अवसरों पर किये जाते है | आइये इन चारो लोकनृत्य (Folk Dances) के प्रकारों के बारे में विस्तार से पढ़ते है |
राजस्थान के क्षेत्रीय लोकनृत्य
- घुमर नृत्य (Ghoomer)- लोकनृत्यो की आत्मा कहलाता है | मांगलिक अवसरों पर किया जाने वाला यह नृत्य विशेषकर जयपुर और मारवाड़ क्षेत्र में अधिक प्रचलित |
- ढोल नृत्य – जालोर क्षेत्र में शादी के अवसर पर पुरुषो द्वारा किया जाने वाला नृत्य
- बिन्दौरी नृत्य – झालावाड क्षेत्र में होली या विवाह पर गैर के समान पुरुषो द्वारा किया जाने वाला नृत्य |
- झूमर नृत्य – हाडौती क्षेत्र में स्त्रियों द्वारा मांगलिक अवसरों पर डांडियो की सहायता से किया जाने वाला नृत्य |
- चंग नृत्य – शेखावाटी का सबसे लोकप्रिय एवं बहुप्रचलित नृत्य जो होली के पूर्व से प्रांरभ होकर होली के बाद तक किया जाने वाला नृत्य है |
- घुडला नृत्य – मारवाड़ क्षेत्र में होली के अवसर पर बालिकाओ द्वारा किया जाने वाला नृत्य है |
- अग्नि नृत्य – बीकानेर के जसनाथी सिद्धो द्वारा फते-फते उद्घोष के साथ जलते अंगारों पर किया जाने वाला नृत्य |
- बम नृत्य – भरतपुर एवं अलवर क्षेत्र में होली के अवसर पर नगाड़े (बम) की ताल पर किया जाने वाला नृत्य |
- डांडिया नृत्य – मारवाड़ क्षेत्र में होली के अवसर पर पुरुषो द्वारा किया जाने वाला नृत्य |
- गैर नृत्य – मारवाड़ क्षेत्र विशेषकर बाड़मेर , जालोर , पाली जिलो में होली के अवसर पर पुरुषो द्वारा डांडीयो के साथ किया जाने वाला नृत्य |
- लांगुरिया नृत्य – कैला देवी (करौली) के मेले में किया जाने वाला नृत्य |
- डांग नृत्य – नाथद्वारा में होली के अवसर पर किया जाने वाला नृत्य |
व्यावसायिक लोक नृत्य | Commercial Folk Dances in Rajasthan
- भवाई नृत्य (Bhavai Folk Dance)- मेवाड़ क्षेत्र की भवाई जाति द्वारा सिर पर बहुत से घड़े रखकर किया जाने वाला नृत्य | मिट्टी के घड़े एक के उपर एक ग्यारह से बारह तक होते है | कालबेलिया जनजाति द्वारा किया जाने वाला नृत्य | नृत्य के दौरान औरते थाली , बोतल और तलवार पर भी अपना नियन्त्रण दर्शाती है
- तेरहताली नृत्य (Teratali Folk Dance)- पाली , नागौर एवं जैसलमेर जिले की कामड जाति की विवाहित महिलाओं द्वारा रामदेवजी के मेले में मंजीरे बजाकर किया जाने वाला नृत्य है |
- कच्छी घोडी नृत्य (Kucchhi Ghodi Folk Dance)- शेखावाटी में पेशेवर जातियों द्वारा मांगलिक अवसरों पर अपनी कमर पर बांस की घोडी को बांधकर किया जाने वाला नृत्य है |
जनजातियो द्वारा किया जाने वाले लोक नृत्य | Folk Dances performed by Tribes of Rajasthan
- वालर नृत्य – गरासिया स्त्री-पुरुषो द्वारा बिना वाध्य-यंत्र के किया जाने वाला नृत्य |
- कूद नृत्य – गरासिया स्त्री-पुरुषो द्वारा तालियों की ध्वनि पर किया जाने वाला नृत्य |
- जवारा नृत्य – होली दहन के पूर्व गरासिया स्त्री-पुरुषो द्वारा किया जाने वाला नृत्य
- लूर नृत्य – गरासिया महिलाओं द्वारा वर पक्ष से वधु पक्ष से रिश्ते की मांग के समय किया जाने वाला नृत्य |
- मोरिया नृत्य – विवाह के समय गणपति स्थापना के समय किया जाने वाला नृत्य |
- मांदल नृत्य – मांगलिक अवसरों पर गरासिया महिलाओं द्वारा किया जाने वाला नृत्य
- रायण नृत्य – मांगलिक अवसरों पर गरासिया पुरुषो द्वारा किया जाने वाला नृत्य
- गँवरी नृत्य (राई नृत्य)- भीलो द्वारा भाद्रपद माह के आरम्भ से अश्विन शुक्ल एकादशी तक गवरी उत्सव में किया जाने वाला नृत्य
- गैर नृत्य – होली के अवसर पर भील पुरुषो द्वारा किया जाने वाला नृत्य
- नेजा नृत्य – होली या अन्य मांगलिक अवसरों पर भील-स्त्रियों द्वारा किया जाने वाला सामूहिक नृत्य
- द्विचक्री नृत्य – विवाह एवं मांगलिक अवसरों पर भील-स्त्री पुरुषो द्वारा वृताकार रूप से किया जाने वाला नृत्य
- घुमरा नृत्य – भील महिलाओं द्वारा मांगलिक अवसरों पर ढोल एवं थापी की थाप पर किया जाने वाला नृत्य
- युद्ध नृत्य – राजस्थान के दक्षिणांचल के सुदूर एवं दुर्गम पहाड़ी क्षेत्र में आदिम भीलो द्वारा किया जाने वाला नृत्य
- वालिया नृत्य – नवरात्रों में कथोडी पुरुषो द्वारा सामूहिक रूप से किया जाने वाला नृत्य
- होली नृत्य – होली का अवसर पर कथौडी महिलाओं द्वारा किया जाने वाला नृत्य
- शिकारी नृत्य – सहारिया पुरुषो द्वारा शिकार का अभिनय करते हुए किया जाने वाला नृत्य
- लहँगी नृत्य -सहारिया जनजाति का अन्य नृत्य
- चकरी नृत्य – कंजर बालाओं द्वारा ढप , नगाड़ा एवं मंजीरे की ताल पर किया जाने वाला नृत्य
- धाकड़ नृत्य – कंजर लोगो द्वारा झाला पाव की विजय की खुशी में युद्ध का अभिनय करते हुए किया जाने वाला नृत्य
- रसिया नृत्य – राज्य के पूर्वी जिले विशेषकरदौसा , सवाई माधोपुर , करौली में मीणा-स्त्री पुरुषो द्वारा रसिया गाते हुए किया जाने वाला नृत्य
अन्य महत्वपूर्ण जातीय के लोकनृत्य
- इन्डोनी नृत्य – कालबेलियो के स्त्री-पुरुषो द्वारा पुंगी एवं खंजरी पर किया जाने वाला नृत्य
- शंकरिया – कालबेलियो का सर्वाधिक प्रेमाख्यान आधारित युगल नृत्य
- पणिहारी – कालबेलियो का युगल नृत्य
- बागडिया – कालबेलिया स्त्रियों द्वारा भीख माँगते समय किया जाने वाला नृत्य
- चरी नृत्य – गुर्जर महिलाओं द्वारा मांगलिक अवसर पर किया जाने वाला नृत्य
- रणबाजा नृत्य – मेवों का युगल नृत्य
- रतवई नृत्य – मेव स्त्रियों द्वारा सिर पर इन्डोनी एवं खरी रखकर किया जाने वाला नृत्य
- बालदिया नृत्य – राज्य की घुमन्तु जाति बालदिया भाटो द्वारा किया जाने वाला नृत्य
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