Lok Jumbish In Hindi लोक जुम्बिश इन हिंदी

लोक जुम्बिश इन हिंदी



Pradeep Chawla on 18-10-2018


लोक जुंबिश प्रोजेक्ट की नींव देश के जाने माने शिक्षाविद श्री अनिल बोर्डिया के नेतृत्व में रखी गई। उनका जन्म मध्य प्रदेश के इंदौर में हुआ। उन्होनें अपनी शिक्षा राजस्थान के उदयपुर और दिल्ली विश्वविद्यालय से पाई। लंबी बीमारी के बाद जयपुर के एक अस्पताल में तीन सितंबर को उन्होनें दुनिया को अलविदा कह दिया। अपने पीछे उन्होनें शिक्षा के क्षेत्र में विकास की तमाम कहानियां औऱ कीर्तिमान छोड़ी हैं. जिनको राजस्थान और भारत के शिक्षा के इतिहास में सदैव याद किया जाएगा।

जिनसे होकर जमाना गुजरा हो
बंद ऐसे दरवाजों को नहीं करते
जो गलत को गलत नहीं कहते
वो सही को सही नहीं कहते………अनिल बोर्डिया
(लोक जुम्बिश की पुष्कर कार्यशाला के दौरान कही गयी उनकी पंक्तियां। साभार-संदीप रॉय )
लोक जुंबिश के किस्से राजस्थान के आदिवासी अंचल के सुदूर गांवों में जोश-ओ-खरोश के साथ सुनाए जाते हैं। इस परियोजना ने यहां के स्कूलों की तस्वीर तो बदली ही है। लोगों की सोच को भी उतनी ही गहराई से प्रभावित किया है। उस दौर के लोग कहते हैं कि हमारे समय में सौ बच्चों पर एक अध्यापक होता था। लेकिन बच्चों का शैक्षिक स्तर आज की बदहाली से कई गुना बेहतर था। उस समय भयमुक्त वातावरण का संप्रत्यय शिक्षा विभाग में किसी नियम-कानून के तहत अवतरित नहीं हुआ था। एक बात जो सभी अध्यापकों को ध्यान में रखनी होती थी कि बच्चों को पढ़ाई में आनंद आना चाहिए। उनको खेल-खेल में सिखाना चाहिए। सिखाने का एक नियम था कि पक्का-पक्का और पूरा-पूरा। यानि बच्चों को दो वाक्य ही पढ़ाए जांय लेकिन वे दो वाक्य उसकी समझ का हिस्सा बन जाने चाहिए।
शिक्षा के लोकव्यापीकरण के लिए प्रारंभ किए गए प्रोजेक्ट लोक जुंबिश का शाब्दिक मतलब है शिक्षा के लिए लोगों का आंदोलन। लोकजुंबिश परियोजना राजस्थान में स्वीडिश अंतर्राष्ट्रीय विकास एजेंसी (एसआईडीए) की सहायता से प्रारंभ की गई। जिसका उद्देश्य सबको शिक्षा के अवसर उपलब्ध करवाना था। सरकारी सेवा से मुक्त होने के तुरंत बाद अनिल बोर्डिया जी नें 1992 में इस प्रोजेक्ट की शुरुआत की। वे 1999 तक इसके प्रमुख बने रहे। लोक जुंबिश को बेहद सफल और नवाचारी प्रोजेक्ट के रूप में जाना जाता है। उन्हें साहित्य और शिक्षा के क्षेत्र में योगदान के लिए 2010 में पद्म भूषम से सम्मानित किया गया। उन्होनें शिक्षा के क्षेत्र में राजस्थान के इतिहास में लोक जुंबिश के नाम से एक नया अध्याय जोड़ा।
लोक जुंबिश के अभियान गीतों ने लोगों के मन में आत्मविश्वास और बदलाव के प्रति प्रेम की नदी प्रवाहित की। जिसके सोते से आज भी मीठा पानी प्रवाहित होता है। वक्त की अड़चनों के बांध ने परियोजना की नदी को पानी रहित बना दिया है। पोखरण परमाणु परीक्षण के बाद से स्वीडन से मिलने वाला फंड बंद हो गया। जिसके साथ परियोजना ने भी समाप्ती की राह पकड़ी। लेकिन इस परियोजना के संचलन की प्रक्रिया में लोगों ने जो पाया वह आज भी जीवित बचा हुआ है। इस परियोजना में काम करने वाले लोगों को कहते सुना है कि अगर यह परियोजना कुछ साल और रही होती तो क्षेत्र की तस्वीर बदल गई होती। परियोजना की सबसे बड़ी विशेषता लोगों की जन सहभागिता थी। जिसने लोगों को मन से जुड़ने औऱ अपने क्षेत्र के विकास हेतु काम करने के लिए प्रेरित किया।

लोक जुंबिश में प्रशिक्षण पाने और काम करने वाले अध्यापकों और प्रधानाध्यापकों के चेहरे पर एक अलग आत्मविश्वास दिखाई देता है। जिससे उसी स्कूल में काम करने वाले साथी अध्यापक वंचित हैं। जरूर उस दौर में बदलाव और बेहतरी तक पहुंचनें की लोगों की कोशिशें कामयाब हो पाईं। जिस तरह की कामयाबी को पाने के लिए हम भी कहीं न कहीं प्रयत्नशील हैं। इसके बालिक शिविर के बारे में कभी गौर से सुनने का मौका नहीं मिला। अगर लोगों से बात करने का मौका मिलता है तो इसका जिक्र करके जरूर उनके अनुभव साझा करना चाहुंगा।

जहां सड़के नहीं पहुंची….वहां लोक जुंबिश के अभियान गीत ( हमारे चेतना गीत जैसा) पहुंचे। उस अभियान गीत के पुराने पन्ने आज भी प्रधानाध्यापक जी की मेज पर अपनी जगह बनाते हैं। काफी अंदर के एक स्कूल में अभियान गीतों का जिक्र हुआ और वहां के एक अध्यापक पांचवीं क्लास के बच्चों को अपने गाने के बाद दुहराने का अवसर दे रहे थे। उन बच्चों नें इतने खूबशूरत अंदाज में वे गीत गाए कि मन खुश हो गया। यह एक प्राथमिक स्कूल है। पहाड़ी पर स्थित है। चार का स्टॉफ है। जिनमें से तीन से मेरा मिलना हुआ है। तीनो अध्यापक इतने जीवंत लगे कि पूछिए मत..। उस स्कूल के पास खुद की जमीन नहीं है। लेकिन स्कूल के शिक्षकों का बच्चों के प्रति अपनत्व देखने लायक है। अभी सिर्फ एक मुलाकात हुई है वहां के अध्यापकों औऱ बच्चों से। परिचय के आगे बढ़ने के साथ-साथ आदिवासी मन और अंचल दोनों को समझने में सहायता मिलेगी।




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Comments Kundra gaming on 29-03-2024

Lok jumbish ki visheshtayein

aashish on 19-08-2021

lok jumbish kya hai plz ans in hindi





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