Maulik Adhikaron Aur Nirdeshak Siddhanton Ke Beech Sambandh मौलिक अधिकारों और निर्देशक सिद्धांतों के बीच संबंध

मौलिक अधिकारों और निर्देशक सिद्धांतों के बीच संबंध



Pradeep Chawla on 10-10-2018

मौलिक अधिकार हमें राजनीतिक अधिकार प्रदान करते हैं जो कि व्यक्ति के व्यक्तित्व के विकास के लिए आवश्यक होते हैं जबकि राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांतों के माध्यम से हमें सामाजिक और आर्थिक अधिकार प्राप्त होते हैं|इन तत्वों का कार्य एक जन-कल्याणकारी राज्य (welfare state) की स्थापना करना है। मौलिक अधिकारों को भारतीय संविधान के अनुच्छेद 12 से 35 में एवं नीति निर्देशक सिद्धांतों को अनुच्छेद 36 से 51 में उल्लेख किया गया है|

भारतीय राजनीति और शासन: समग्र अध्ययन सामग्री

मौलिक अधिकारों और निर्देशक सिद्धांतों के बीच तुलनात्मक अंतर:

क्र.सं.

मौलिक अधिकार

निर्देशक सिद्धांत

1.

ये नकारात्मक अधिकार हैं, क्योंकि इनमें से कुछ बातें राज्यों के लिए निषेध है|

ये सकारात्मक अधिकार हैं, क्योंकि इनमें से कुछ बातें राज्यों के लिए बाध्यकारी है|

2.

ये अधिकार न्यायोचित हैं अर्थात कानूनी तौर पर इन अधिकारों का उल्लंघन होने पर अदालतों के द्वारा इन्हें पुनः लागू किया जा सकता है|

ये अधिकार गैर-न्यायोचित हैं अर्थात कानूनी तौर पर इन अधिकारों का उल्लंघन होने पर अदालतों के द्वारा इन्हें पुनः लागू नहीं किया जा सकता है|

3.

इन अधिकारों का लक्ष्य देश में राजनीतिक लोकतंत्र की स्थापना करना है|

इन अधिकारों का लक्ष्य देश में सामाजिक और आर्थिक लोकतंत्र की स्थापना करना है|

4.

इन अधिकारों के साथ कानूनी प्रतिबंध जुड़े हुए हैं|

इन अधिकारों के साथ कानूनी और राजनीतिक प्रतिबंध जुड़े हुए हैं|

5.

ये अधिकार व्यक्तियों के लोक-कल्याण को बढ़ावा देते हैं, इसलिए इन्हें व्यक्तिगत और व्यक्तिवादी अधिकार कहा जाता है|

ये अधिकार समाज-कल्याण को बढ़ावा देते हैं, इसलिए इन्हें समाजवादी अधिकार कहा जाता है|

6.

इन अधिकारों के कार्यान्वयन के लिए किसी भी कानून की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि ये अधिकार स्वतः लागू होते हैं|

इन अधिकारों के कार्यान्वयन के लिए कानून की आवश्यकता होती है, क्योंकि ये अधिकार स्वतः लागू नहीं होते हैं|

7.

मौलिक अधिकारों को अदालतों के द्वारा असंवैधानिक या अवैध घोषित कर प्रतिबंधित किया जा सकता है|

निर्देशक सिद्धांतों को अदालतों के द्वारा असंवैधानिक या अवैध घोषित कर प्रतिबंधित नहीं किया जा सकता है| हालांकि, अदालतें किसी कानून की वैधता को इस आधार पर बरकरार रख सकते हैं कि उसे किसी निर्देश के प्रभाव को बढ़ाने के लिए अधिनियमित किया गया था।






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Comments Pooja on 13-01-2023

Fundamentals rights and principles state policy relations

Surendra kumar on 13-09-2022

Moulik adhikar aur rajya niti needeshk tatw

Elena on 19-06-2022

Niti Bordeaux tatva or maulik adhikar me sambandh






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