MandBuddhi Ke Lakshann मंदबुद्धि के लक्षण

मंदबुद्धि के लक्षण



Pradeep Chawla on 24-10-2018


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मंदबुद्धिता



परिभाषा

मंदबुद्धिता की श्रेणियां

मंदबुद्धिता के कारण

मंदबुद्धिता के लक्षण

उपचार



परिभाषा



इसकी परिभाषा ऐसे बौद्धिक क्रियात्मक स्तर ( बुद्धिमत्ता गुणक के लिये मानक परीक्षाओं द्वारा मापे जाने पर प्राप्त) के रूप में की जाती है जो औसत से काफी कम होता है और जिसके कारण दैनिक जीवन कौशल बड़ी हद तक सीमित हो जाते हैं (अनुकूलनीय क्रियाशीलता)



विवरण



1990 के दशक के रोग नियंत्रण और निवारण केंद्रों के अनुसार, मंदबुद्धिता आम जनसंख्या के 2.5 से 3 प्रतिशत में होती है। मंदबुद्धिता 18 वर्ष की उम्र के पहले बचपन या किशोरावस्था में शुरू होती है

यह सारे वयस्क जीवन में बनी रहती है। बौद्धिक क्रियाशीलता स्तर की परिभाषा मानक परीक्षाओं (वेश्स्लर-बुद्धिमत्ता पैमाने) द्वारा की जाती है जो मानसिक आयु के अनुसार समझने की क्षमता को मापते हैं ( बुद्धिमत्ता गुणक या IQ)। मंदबुद्धिता का निदान तब किया जाता है जब किसी व्यक्ति का बौद्धिक क्रियाशीलता स्तर औसत से काफी कम और दो या अधिक अनुकूलनीय कौशल के क्षेत्रों में ध्यान देने योग्य कमियां होती हैं।

मंदबुद्धिता की परिभाषा 70 से 75 से कम के IQ स्कोर के रूप में की जाती है।

अनुकूलनीय कौशल दैनिक जीवन के लिए आवश्यक कौशल होते हैं। ऐसे कौशलों में भाषा का उत्पादन करने और उसे समझने की क्षमता (संपर्क) घर में रहने के कौशल समुदाय के संसाधनों का उपयोग स्वास्थ्य, सुरक्षा, अवकाश, खुद की देखभाल, और सामाजिक कौशल स्वतःनिर्देशन क्रियात्मक शैक्षणिक कौशल ( पढ़ाई, लिखाई, और गणित) और कार्य कौशल शामिल हैं।

सामान्यतया, मंदबुद्धि बच्चे विकास के मील के पत्थरों तक, जैसे चलना और बात करना, साधारण जनता की अपेक्षा देर से पहुंचते हैं।

मंदबुद्धिता के लक्षण जन्म के समय या बाद में बचपन में प्रकट हो सकते हैं।

प्रारंभ होने का समय विकार के संभावित कारण पर निर्भर होता है।

हल्की मंदबुद्धिता के कुछ मामलों का निदान बच्चे के प्रीस्कूल में प्रवेश के पहले नहीं हो पाता है।

इन बच्चों में विशेष रूप से सामाजिक, संपर्क, और क्रियात्मक शैक्षणिक कौशलों के साथ कठिनाईयां होती हैं।

मस्तिष्कशोथ (एंसिफ़ेलाइटिस) या तानिकाशोथ (मेनिंजाइटिस) जैसे नाड़ीतंत्र के विकारों या बीमारियों से ग्रस्त बच्चों में अकस्मात् संज्ञानात्मक ह्रास और अनुकूलनीय कठिनाईयों के लक्षण दिखाई दे सकते हैं।



मंदबुद्धिता की श्रेणियां



मंदबुद्धिता को मानसिक आयु के अनुसार समझने की क्षमता द्वारा मापा जाता है ( बुद्धिमत्ता गुणक या IQ)। मंदबुद्धिता की चार विभिन्न श्रेणियां होती हैं: हल्की, मध्यम, गंभीर और गहन। ये श्रेणियां व्यक्ति के क्रियाशीलता स्तर पर आधारित होती हैं।



हल्की मंदबुद्धिता



लगभग 85 प्रतिशत मंदबुद्धि जनता हल्की मंदबुद्धिता श्रेणी में होती है। उनका IQ स्कोर 50 से 75 के दायरे में होता है, और वे अकसर छठी कक्षा के स्तर तक शैक्षणिक कौशल हासिल कर सकते हैं। वे काफी हद तक स्वतंत्र हो सकते हैं और कई मामलों में समुदाय और सामाजिक सहारे द्वारा, स्वतंत्र रूप से रह सकते हैं।



मध्यम मंदबुद्धिता



मंदबुद्धि जनता का करीब 10 प्रतिशत मध्यम रूप से मंदबुद्धिताग्रस्त माना जाता है। मध्यम मंदबुद्धि व्यक्तियों के IQ स्कोर 35 से 55 के बीच होते हैं। वे मध्यम स्तर के पर्यवेक्षण में कार्य और स्वयं की देखभाल के कार्य कर सकते हैं। वे बचपन में संपर्क के कौशल हासिल कर लेते हैं और समुदाय में पर्यवेक्षित पर्यावरण जैसे किसी सामूहिक गृह में रहने और सफलतापूर्वक कार्य करने की क्षमता रखते हैं।



गंभीर मंदबुद्धिता



करीबन 3 से 4 प्रतिशत तक मंदबुद्धि जनता गंभीर रूप से मंदबुद्धिताग्रस्त होती है। गंभीर रूप से मंदबुद्धि व्यक्तियों के IQ स्कोर 20 से 40 के बीच होते हैं। वे अपनी देखभाल के अत्यंत मौलिक और कुछ संपर्क के कौशल सीख सकते हैं। कई गंभीर रूप से मंदबुद्धि व्यक्ति सामूहिक गृह में रह सकते हैं।



गहन मंदबुद्धिता



मंदबुद्धि जनता का केवल 1 से 2 प्रतिशत ही गहन मंदबुद्धिता की श्रेणी में आता है। गहन मंदबुद्धि व्यक्तियों का IQ स्कोर 20 से 25 के बीच होता है। वे उचित सहायता और अभ्यास द्वारा अपनी मौलिक देखभाल और संपर्क के कौशलों का विकास कर सकते हैं। उनकी मंदबुद्धिता अकसर किसी साथ में होने वाले नाड़ीतंत्रीय विकार के कारण होती है। गहन रूप से मंदबुद्धि लोगों को उच्च स्तरीय संरचना और पर्यवेक्षण की आवश्यकता होती है।

मंदबुद्धिता के कारण



जन्मपूर्व के कारण



डाउन्स रोग समूह : भंगुर रोगसमूह, प्रेडर वाइली रोगसमूह, क्लाइनफेल्टर्स रोगसमूह

एकल जीन विकार : चयापचय की जन्मजात त्रुटियां जैसे गैलेक्टोसीमिया, फिनाइल कीटोनूरिया, हाइपोथायराइडिज्म, म्यूको पॉलिसैकरिडोसिस, टे रोग

नाड़ी-त्वचा रोगसमूह : ट्यूबरस स्क्लेरोसिस, न्यूरोफाइब्रोमेटोसिस

कुरूपता रोगसमूह : लारेंस मून बाइडल रोगसमूह

मस्तिष्क की कुरचनाएं : माइक्रोसेफेली, हाइड्रोसेफेलस, माइलो मेनिंजोसील



माता के असामान्य पर्यावरणीय प्रभाव



अल्पताएं : आयोडीन अल्पता और फोलिक अम्ल अल्पता, गंभीर कुपोषण

नशीले पदार्थों का प्रयोग : शराब, निकोटीन, कोकेन

हानिकारक रसायनों का प्रभाव : प्रदूषक पदार्थ, भारी धातुएं, हानिकारक दवाएं जैसे थैलिडोमाइड, फेनिटॉइन, वारफेरिन सोडियम आदि।

माता के संक्रमण : रूबेला, टॉक्सोप्लाज़्मोसिस, साइटोमिगेलस वाइरस का संक्रमण, सिफिलिस, एचआईवी

विकिरण : का प्रभाव और आरएच असामंजस्यता

गर्भावस्था की जटिलताएं : गर्भावस्था के कारण हुआ उच्चरक्तचाप, प्रसवपूर्व का रक्तस्राव, अपरा की दुष्क्रिया

माता के रोग : मधुमेह, हृदय और गुर्दे के रोग



प्रसव के दौरान



कठिन और/या जटिल प्रसव, गंभीर पूर्वपरिपक्वता, अत्यंत कम जन्म भार, जन्म के समय दम घुटना, जन्म के समय लगी चोट



नवजात अवधि : सेप्टीसीमिया, पीलिया, अल्परक्तशर्करा, नवजात शिशु के दौरे

शैशवकाल और बचपन : मस्तिष्क के संक्रमण जैसे क्षयरोग, जापानी मस्तिष्कशोथ, जीवाणुजन्य तानिकाशोथ(मेनिंजाइटिस) सिर की चोट, सीसे की दीर्घकालिक अरक्षितता, गंभीर और लंबा कुपोषण, महा अल्पउत्तेजन

[नोट- सितारे के चिन्ह से दर्शाई गई अवस्थाएँ निश्चित रूप से या संभवतया निवारणनीय हैं]

मंदबुद्धिता के लक्षण



बौद्धिक विकास के चिन्हों तक पहुंचने में असफलता

विकास के मील के पत्थरों, जैसे बैठना, रेंगना, चलना या बातचीत करना, तक सामयिक ढंग से पहुंचने में असफलता

बच्चों जैसे बर्ताव का बना रहना, जो संभवतया बोलने के लहजे द्वारा, या सामाजिक नियमों को समझने में असफलता या बर्तावों के परिणामों द्वारा परिलक्षित होता है।

कौतूहल की कमी और समस्याओं को हल करने में कठिनाई

सीखने और तर्कपूर्ण तरीके से सोचने की क्षमता में कमी

याद रखने में कठिनाई

स्कूल में आवश्यक शैक्षणिक मांगों को पूरा करने का असामर्थ्य



उपचार



मंदबुद्धिता का उपचार विकार से रोगमुक्त करने के उद्देश्य से निर्धारित नहीं किया गया है। बल्कि, उपचार के लक्ष्यों में सुरक्षा के जोखिमों को कम करना शामिल है (उदाहरण के लिये रोगी को घर या स्कूल में सुरक्षित रहने में सहायता करना) और समुचित और सुसंगत जीवन कौशल सिखाना। हस्तक्षेप व्यक्तियों और उनके परिवारों की विशिष्ट जरूरतों पर आधारित होने चाहिये, जिसका मुख्य लक्ष्य व्यक्ति की क्षमता का संपूर्ण विकास होना चाहिये।

साथ में मौजूद विकारों जैसे आक्रामकता, मूड के विकारों, स्वयं को जख्मी करने वाले बर्तावों, अन्य बर्ताव-संबंधी समस्याओं और दौरों, जो 40% से 70% मामलों में होते हैं, के इलाज के लिए दवाओं की आवश्यकता पड़ती है।




सम्बन्धित प्रश्न



Comments Mandbuddi barlal on 04-12-2023

Mandbuddi balak ke Lakshan

Sejal on 05-09-2023

Ooo

Vishesh on 12-05-2022

16 साल का बच्चा है जो अपनी बात खुलकर नहीं कहता है जबकि शब्दों को बोलता है जैसे मम्मी पापा , खाना पीना शौच जाना चलना फिरना सभी कार्य कर रहा है कप्यूटर , मोबाइल पर दिनभर खेलता है स्कूल भी नही जाता है गुस्सा करता है



ये सब क्यों हो रहा है और ये बीमारी कैसे ठीक होगी।


Yogishree nikhade on 21-08-2021

Haklana chanchalata

Bharat Rana on 16-08-2021

20 साल का बच्चा मंदबुद्धि है जो अपनी बात कह नहीं पाता खाना पीना शौच जाना चलना फिरना सभी कार्य कर सकता है आजकल कुछ समय से अपने को जख्मी कर रहा है और ऐसा वो अचानक करता है
कुछ समय बाद जब शांत होता है तब अपने जख्मों को दिखाता है आर दवाई लगाने को कहता है,
ये सब क्यों हो रहा है और ये बीमारी कैसे ठीक होगी।


Lakhan on 17-02-2021

Apna aap chup chup rahana kisi se baat nahin karna bolna Nahin aur apna aap mein kya Mang kya sochte rahata hai yahi problem hai iska IQ test 50 bataya hai ab iska ilaaj kaise kiya jaega

Sejal on 26-12-2020

Pad


Sejal on 24-10-2020

Padhne me man nh raghta h



Grishm M. Lanjewar on 05-03-2020

Mandbudhi Ayurveda davai upay bataiye



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