Manovaigyanik Pareekshan pdf मनोवैज्ञानिक परीक्षण pdf

मनोवैज्ञानिक परीक्षण pdf



Pradeep Chawla on 12-05-2019

मनोवैज्ञानिक परीक्षण की परिभाषा

परिभाषाओं का विष्लेशण

मनोवैज्ञानिक परीक्षण का उद्देश्य

1. वर्गीकरण एवं चयन -

2. पूर्वकथन -

3. मार्गनिर्देशन -

4. तुलना करना -

5. निदान -

6. शोध -

Comments





यदि सामान्य बोलचाल की भाषा में प्रश्न का उत्तर दिया जाये तो कहा जा सकता है कि मनोवैज्ञानिक परीक्षण व्यावहारिक रूप से किसी व्यक्ति का अध्ययन करने की एक ऐसी व्यवस्थित विधि है, जिसके माध्यम से किसी प्राणी को समझा जा सकता है, उसके बारे में निर्णय लिया जा सकता है, उसके बारे में निर्णय लिया जा सकता है अर्थात एक व्यक्ति का बुद्धि स्तर क्या है, किन-किन विषयों में उसकी अभिरूचि है, वह किस क्षेत्र में सफलता प्राप्त कर सकता है। समजा के लोगों के साथ समायोजन स्थापित कर सकता है या नहीं, उसके व्यक्तित्व की प्रमुख विशेषतायें क्या-क्या है? इत्यादि प्रश्नों का उत्तर हमें प्राप्त करना हो तो इसके लिये विभिन्न प्रकार के मनोवैज्ञानिक परीक्षणों द्वारा न केवल व्यक्ति का अध्ययन ही संभव है, वरन् विभिन्न विशेषताओं के आधार पर उसकी अन्य व्यक्तियों से तुलना भी की जा सकती है। जिस प्रकार रसायन विज्ञान, भौतिक विज्ञान, जीव विज्ञान तथा ज्ञान की अन्य शाखाओं में परीक्षणों का प्रयोग किया जाता है, उसी प्रकार मनोविज्ञान में भी इन परीक्षणों का उपयोग किया जाता है। एक रसायनशास्त्री जितनी सावधानी से किसी रोग के रक्त का नमूना लेकर उसका परीक्षण करता है, उतनी ही सावधानी से एक मनोवैज्ञानिक भी चयनित व्यक्ति के व्यवहार का निरीक्षण करता है।



मनोविज्ञान शब्दावली (Dictionary of Psychological terms) के अनुसार - ‘‘मनोवैज्ञानिक परीक्षण मानकीकृत एवं नियंत्रित स्थितियों का वह विन्यास है जो व्यक्ति से अनुक्रिया प्राप्त करने हेतु उसके सम्मुख पेश किया जाता है जिससे वह पर्यावरण की मांगों के अनुकूल प्रतिनिधित्व व्यवहार का चयन कर सकें। आज हम बहुधा उन सभी परिस्थतियों एवं अवसरों के विन्यास को मनोवैज्ञानिक परीक्षणों के अन्तर्गत सम्मिलित कर लेते हैं जो किसी भी प्रकार की क्रिया चाहे उसका सम्बन्ध कार्य या निश्पादन से हो या नहीं करने की विशेष पद्धति का प्रतिपादन करती है।’’ अत: यह कहा जा सकता है कि -



‘‘मनोवैज्ञानिक परीक्षण व्यवहार प्रतिदर्श के मापन की एक ऐसी मानकीकृत (Standardized) तथा व्यवस्थित पद्धति है जो विष्वसनीय एवं वैध होती है तथा जिसके प्रशासन की विधि संरचित एवं निश्चित होती है। परीक्षण में व्यवहार मापन के लिए जो प्रश्न या पद होते हैं वह शाब्दिक (Verbal) और अशाब्दिक (non-verbal) दोनों परीक्षणों के माध्यम से व्यवहार के विभिन्न, मनोवैज्ञानिक पहलुओं यथा उपलब्धियों, रूचियों, योग्यताओं, अभिक्षमताओं तथा व्यक्तित्व शीलगुणों का परिमाणात्मक एंव गुणात्मक अध्ययन एंव मापन किया जाता है। मनोवैज्ञानिक परीक्षण अलग-अलग प्रकार के होते है। जैसे -



बुद्धि परीक्षण

अभिवृत्ति परीक्षण

अभिक्षमता परीक्षण

उपलब्धि परीक्षण

व्यक्तित्व परीक्षण इत्यादि।



मनोवैज्ञानिक परीक्षणों के जन्म का क्षेय दो फ्रांसीसी मनोवैज्ञानिकों इस वियूल (Esquiro, 1772.1840) तथा सैगुइन (Seguin, 1812.1880)



जिन्होंने न केवल मनोवैज्ञानिक परीक्षणों की आधारशिला रखी वरन् इन परीक्षणों से सम्बद्ध सिद्धान्तों का प्रतिपादन भी किया। भारत में मानसिक परीक्षणों का विधिवत् अध्ययन सन् 1922 में प्रारंभ हुआ। एफ0जी0 कॉलेज, लाहौर के प्राचार्य सी0एच0राइस ने सर्वप्रथम भारत में परीक्षण का निर्माण किया। यह एक बुद्धि परीक्षण था, जिसका नाम था - Hindustani Binet performance point scale.

मनोवैज्ञानिक परीक्षण की परिभाषा

अलग-अलग विद्वानों ने मनोवैज्ञानिक परीक्षण को भिन्न-भिन्न प्रकार से परिभाषित किया है। कतिपय प्रमुख परिभाषाए निम्नानुसार हैं -



क्रानबैक (1971) के अनुसार, ‘‘एक मनोवैज्ञानिक परीक्षण वह व्यवस्थित प्रक्रिया है, जिसके द्वारा दो या अधिक व्यक्तियों के व्यवहार का तुलनात्मक अध्ययन किया जाता है।’’

एनास्टसी (1976) के अनुसार, ‘‘एक मनोवैज्ञानिक परीक्षण आवश्यक रूप में व्यवहार प्रतिदर्श का वस्तुनिश्ठ तथा मानकीकृत मापन है।’’

फ्रीमैन (1965) के अनुसार, ‘‘मनोवैज्ञानिक परीक्षण एक मानकीकृत यन्त्र है, जिसके द्वारा समस्त व्यक्तित्व के एक पक्ष अथवा अधिक पक्षों का मापन शाब्दिक या अशाब्दिक अनुक्रियाओं या अन्य प्रकार के व्यवहार माध्यम से किया जाता है।’’

ब्राउन के अनुसार, ‘‘व्यवहार प्रतिदर्श के मापन की व्यवस्थित विधि ही मनोवैज्ञानिक परीक्षण हैं।’’

मन (1967) के अनुसार, ‘‘परीक्षण वह परीक्षण है जो किसी समूह से संबंधित व्यक्ति की बुद्धि व्यक्तित्व, अभिक्षमता एवं उपलब्धि को व्यक्त करती है।

टाइलर (1969) के अनुसार, ‘‘परीक्षण वह मानकीकृत परिस्थिति है, जिससे व्यक्ति का प्रतिदर्श व्यवहार निर्धारित होता है।’’



परिभाषाओं का विष्लेशण

मनोवैज्ञानिक परीक्षण की उपर्युक्त परिभाषाओं के विष्लेशण से निम्नलिखित बातें स्पश्ट होती हैं -



मनोवैज्ञानिक परीक्षण एक मानकीकृत एवं वस्तुनिश्ठ साधन, प्रक्रिया, मापक अथवा यन्त्र है।

अधिकांश मनोवैज्ञानिक परीक्षणों में मानकीकृत प्रश्नों की एक सूची होती है, लेकिन कुछ में प्रश्नों की जगह अन्य सामग्री उपयोग में लायी जाती है।

मनोवैज्ञानिक परीक्षणों के द्वारा मानव व्यवहार के विभिन्न के विभिन्न मनोवैज्ञानिक पहलुओं जैसे उपलब्धियों क्षमताओं, योग्यताओं, रूचियों, बुद्धि, अभिवृत्तियों, समायोजन, चिन्ता एवं अन्य व्यक्तित्व विशेषताओं का गुणात्मक एवं परिणात्मक अध्ययन किया जाता है।

मनोवैज्ञानिक परीक्षणों के माध्यम से न केवल किसी व्यक्ति को समझा जा सकता है वरन् विभिन्न मनोवैज्ञानिक पहलुओं के आधार पर उसका अन्य व्यक्तियों के साथ तुलनात्मक अध्ययन भी किया जाता है।



मनोवैज्ञानिक परीक्षण का उद्देश्य

किसी भी परीक्षण के कुछ निश्चित उद्देश्य होते है। मनोवैज्ञानिक परीक्षण के भी कतिपय विशिष्ट उद्देश्य हैं जिनका विवेचन निम्नलिखित बिन्दुओं के अन्तर्गत किया जा सकता हैं -



वर्गीकरण एवं चयन

पूर्वकथन

मार्गनिर्देशन

तुलना करना

निदान

शोध



1. वर्गीकरण एवं चयन -

प्राचीन काल से ही विद्वानों की मान्यता रही है कि व्यक्ति न केवल शारीरिक आधार पर वरन् मानसिक आधार पर भी एक दूसरे से भिन्न होते हैं। दो व्यक्ति किसी प्रकार भी समान मानसिक योग्यता वाले नहीं हो सकते। उनमें कुछ न कुछ भिन्नता अवश्य ही पायी जाती है। गातटन ने अपने अनुसंधानों के आधार पर यह सिद्ध कर दिया है कि प्रत्येक व्यक्ति मानसिक योग्यता, अभिवृत्ति, रूचि, शीलगुणों इत्यादि में दूसरों से भिन्न होता है। अत: जीवन के विविध क्षेत्रों में परीक्षणों के माध्यम से व्यक्तियों को भिन्न-भिन्न वर्गों में वर्गीकृत किया जाना संभव है। अत: मनोवैज्ञानिक परीक्षणों के आधार पर शिक्षण संस्थाओं, औद्योगिक संस्थानों, सेना एंव विविध प्रकार की नौकरियों में शारीरिक एवं मानसिक विभिन्नताओं के आधार पर व्यक्तियों का वर्गीकरण करना परीक्षण का एक प्रमुख उद्देश्य है न केवल वर्गीकरण वरन् किसी व्यवसाय या सेवा विशेष में कौन सा व्यक्ति सर्वाधिक उपयुक्त होगा, इसका निर्धारण करने में भी परीक्षणों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। इसलिए शैक्षिक, औद्योगिक, व्यावसायिक एवं व्यक्तिगत चयन में मनोवैज्ञानिक परीक्षणों का व्यापक रूप से प्रयोग किया जाता है। इस प्रकार स्पश्ट है कि मानसिक विभिन्नताओं के आधार पर प्राणियों का वर्गीकरण करना तथा विविध व्यवसायों एवं सेवाओं में योग्यतम व्यक्ति का चयन करना मनोवैज्ञानिक परीक्षणों का प्रमुख उद्देश्य है।

2. पूर्वकथन -

मनोवैज्ञानिक परीक्षणों का दूसरा प्रमुख उद्देश्य है - ‘पूर्वकथन करना’। यह पूर्वकथन (भविष्यवाणी) विभिन्न प्रकार के कार्यों के संबंध में भी। अब प्रश्न यह उठता है कि पूर्वकथन से हमारा क्या आशय है ? पूर्वकथन का तात्पर्य है किसी भी व्यक्ति अथवा कार्य के वर्तमान अध्ययन के आधार पर उसके भविष्य के संबंध में विचार प्रकट करना या कथन करना। अत: विभिन्न प्रकार के व्यवसायिक संस्थानों में कार्यरत कर्मचारियों एवं शैक्षणिक संस्थाओं में जब अध्ययनरत विद्यार्थियों के संबंध में पूर्वकथन की आवश्यकता होती है तो प्रमाणीकृत मनोवैज्ञानिक परीक्षणों का प्रयोग किया जाता है। यथा -



उपलब्धि परीक्षण

अभिक्षमता परीक्षण

बुद्धि परीक्षण

व्यक्तित्व परीक्षण इत्यादि।



उदाहरणार्थ -



मान लीजिए कि अमुक व्यक्ति इंजीनियरिंग के क्षेत्र में (व्यवसाय) में सफल होगा या नहीं, इस संबंध में पूर्व कथन करने के लिए अभिक्षमता परीक्षणों का प्रयोग किया जायेगा।

इसी प्रकार यदि यह जानना है कि अमुक विद्याथ्र्ाी गणित जैसे विषय में उन्नति करेगा या नही तो इस संबंध में भविष्यवाणी करने के लिए उपब्धि परीक्षणों का सहारा लिया जाता है।



इस प्रकार स्पश्ट है कि मनोवैज्ञानिक परीक्षणों के माध्यम से किसी भी व्यक्ति की बुद्धि, रूचि, उपलब्धि, रचनात्मक एवं समायोजन क्षमता, अभिक्षमता तथा अन्य व्यक्तित्व “ाीलगुणों के संबंध में आसानी से पूर्वकथन किया जा सकता है।

3. मार्गनिर्देशन -

व्यावसायिक एवं शैक्षिक निर्देशन प्रदान करना मनोवैज्ञानिक परीक्षणों का तीसरा प्रमुख उद्देश्य है अर्थात इन परीक्षणों की सहायता से आसानी से बताया जा सकता है कि अमुक व्यक्ति को कौन सा व्यवसाय करना चाहिए अथवा अमुक छात्र को कौन से विषय का चयन करना चाहिए।

उदाहरण -



जैसे कोर्इ व्यक्ति ‘‘अध्यापन अभिक्षमता परीक्षण’’ पर उच्च अंक प्राप्त करता है, तो उसे अध्यापक बनने के लिए निर्देशित किया जा सकता है।

इसी प्रकार यदि किसी विद्याथ्र्ाी का बुद्धि लब्धि स्तर अच्छा है तो उसे मार्ग - निर्देशन दिया जा सकता है कि वह विज्ञान विषय का चयन करें।



अत: हम कह सकते हैं कि मनौवैज्ञानिक परीक्षण न केवल पूर्वकयन करने से अपितु निर्देशन करने में भी (विशेषत: व्यावसायिक एवं शैक्षिक निर्देशन) अपना महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं।

4. तुलना करना -

संसार का प्रत्येक प्राणी अपनी “ाारीरिक संरचना एवं व्यवहार के आधार पर एक दूसरे से भिन्न होता है। अत: व्यक्ति अथवा समूहों के तुलनात्मक अध्ययन के लिए भी मनोवैज्ञानिक परीक्षणों का प्रयोग किया जाता है। मनोवैज्ञानिक परीक्षणों के प्रयोग द्वारा सांख्यिकीय प्रबिधियों के उपयोग पर बल दिया गया है।

5. निदान -

शिक्षा के क्षेत्र में तथा जीवन के अन्य विविध क्षेत्रों में प्रत्येक मनुश्य को अनेकानेक समस्याओं का सामना करना पड़ता है। अत: मनोवैज्ञानिक परीक्षणों का एक प्रमुख उद्देश्य इन समस्याओं का निदान करना भी हैं जिन परीक्षणों के माध्यम से विषय संबंधी कठिनार्इयों का निदान किया जाता है उन्हें ‘‘नैदानिक परीक्षण’’ कहते हैं। किस प्रकार एक्स-रे, थर्मामीटर, माइक्रोस्कोप इत्यादि यंत्रों का प्रयोग चिकित्सात्मक निदान में किया जाता है, उसी प्रकार शैक्षिक, मानसिक एवं संवेगात्मक कठिनार्इयों के निदान के लिए मनोवैज्ञानिक परीक्षणों का प्रयोग होता है।



ब्राउन 1970 के अनुसार, निदान के क्षेत्र में भी परीक्षण प्राप्तांकों का उपयोग किया जा सकता है।



उदाहरण - जैसे कि कभी-कभी कोर्इ विद्याथ्र्ाी किन्हीं कारणवश शिक्षा में पिछड़ जाते है, ऐसी स्थिति में अध्यापक एवं अभिभावकों का कर्तव्य है कि विभिन्न परीक्षणों के माध्यम से उसके पिछड़ेपन के कारणों का न केवल पता लगायें वरन् उनके निराकरण का भी यथासंभव उपाय करें।



इसी प्रकार अमुक व्यक्ति किस मानसिक रोग से ग्रस्त है, उसका स्वरूप क्या है? रोग कितना गंभीर है, उसके क्या कारण है एवं किस प्रकार से उसकी रोकथाम की जा सकती है इन सभी बातों की जानकारी भी समस्या के अनुरूप प्राप्त की जा सकती है।



अत: स्पश्ट है कि विभिन्न प्रकार की समस्याओं के निदान एवं निराकरण दोनों में ही मनोवैज्ञानिक परीक्षणों की अहम् भूमिका होतीहै।

6. शोध -

मनोवैज्ञानिक परीक्षणों का एक अन्य प्रमुख उद्देश्य तथा मनोविज्ञान के क्षेत्र में होने वाले विविध शोध कार्यों में सहायता प्रदान करना ळे। किस प्रकार भौतिक विज्ञान में यंत्रों के माध्यम से अन्वेशण का कार्य किया जाता है, उसी प्रकार मनोविज्ञान में परीक्षणों शोध हेतु परीक्षणों का प्रयोग किया जाता है। परीक्षणों के माध्यम से अनुसंधान हेतु आवश्यक ऑंकड़े का तुलनात्मक अध्ययन किया जाता है।



अत: स्पश्ट है कि मनोविज्ञान के बढ़ते हुये अनुसंधान क्षेत्र में मनोवैज्ञानिक परीक्षण एक यन्त्र, साधन या उपकरण के रूप में कार्य करते हैं।



अत: निश्कर्शत: यह कहा जा सकता है कि मनोवैज्ञानिक परीक्षण प्रतिवर्श व्यवहार के अथवा प्राणी के दैनिक एवं मनोवैज्ञानिक दोनों ही पहलुओं के वस्तुनिश्ठ अध्ययन की एक प्रमापीकृत (Standardized) एवं व्यवस्थित विधि है।



वर्गीकरण एवं चयन, पूर्वकथन, मार्ग निर्देशन, तुलना, निदान, शोध इत्यादि उद्देश्यों को दृष्टि में रखते हुये इन परीक्षण से का निर्माण किया गया है।




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