Zila Pramukh Ke Karya जिला प्रमुख के कार्य

जिला प्रमुख के कार्य



GkExams on 06-02-2019

सरकार द्वारा समय-समय पर यथा विनिर्दिष्ट शत्तरों के अधीन जिला परिषद् निम्नलिखित कार्य का सम्पादन करेंगी:-

(i½ कृषि :- कृषि उत्पादन को बढ़ाने के साधनों को प्रोत्साहित करना तथा उन्नत कृषि पध्दतियों के प्रयोग को लोकप्रिय बनाना/ कृषि बीज फार्म तथा व्यवसायिक फार्म खोलना तथा उनका अनुरक्षण करना/ गोदाम की स्थापना एवं अनुरक्षण करना/ कृषि मेला एवं प्रदर्शनी का आयोजन/ कृषि एवं बागवानी प्रसार प्रशिक्षण केन्द्रों का प्रबंधन/ किसानों का प्रशिक्षण/ भूमि सुधार एवं भू-संरक्षण


(ii½ सिंचाई,भूतल जल संसाधन एवं जल संभर विकास :- लघु सिंचाई कार्य एवं उद्वह सिंचाई का निर्माण/ मरम्मत एंव अनुरक्षण/ जिला परिषद् के नियंत्रण में सिंचाई स्कीमों के अधीन जल का समय पर और समान रूप से वितरण और उसके पूर्ण उपयोग की व्यवस्था करना/भूतल जल संसाधनोंका विकास/ सामुदायिक पम्पसेट लगाना/ जल संभर विकास कार्यक्रम।


(iii½ बागवानी :- ग्रामीण पार्क एवं उद्यान/ फलों एवं सब्जियों की खेती/ फार्म।


(iv½ सांख्यिकी :- पंचायत समिति और जिला परिषद के क्रियाकलापों से संबंधित सांख्यिकीय ऑंकड़ों एवं अन्य सूचनाओंका प्रकाशन/ समन्वय एवं उपयोग तथा पंचायत समिति और जिला परिषद को सुपुर्द परियोजनाओं और कार्यक्रमों का समय-समय पर पर्यवेक्षण एवं मूल्यांकन


(v½ ग्रामीण विद्युतीकरण


(vi½ आवश्यक वस्तुओं का वितरण


(vii½ भूमि संरक्षण- भूमि संरक्षण के उपाय/ भूमि उध्दार और भूमि विकास संबंधी कार्य


(viii½ विपणन :- विनयमित बाजारों और बाजार प्रागंणों का विकास/ कृषि उत्पादनों का वर्गीकरण,गुण नियंत्रण।


(ix½ सामाजिक वानिकी :- वृक्षारोपाण के लिए अभियान चलाना/ वृक्षारोपण और उनका अनुरक्षण।


(x½ पशुपालन एवं गव्य विकास :- पशु चिकित्सा अस्पतालों और औषधालयों की स्थापना/ चलन्त निदान और उपचार प्रयोगशालाओं की स्थापना/ गायों और सुअरों के प्रजनन प्रक्षेत्र/ कुक्कुट फार्म,बत्ताख फार्म और बकरी फार्म/ दुग्धशाला,कुक्कुट पालन और समुद्री उत्पाद के लिए सामान्य शीत गृह की सुविधा/ चारा विकास कार्यक्रम/ दुग्धशाला,कुक्कुट पालन एवं सुअर पालन को प्रोत्साहन/ महामारी तथा छूत रोगों की रोकथाम।


(xi½ लघुवन उपज,ईंधन एवं चारा :- सामाजिक एवं फार्म वानिकी,र्इंधन वृक्षरोपण एवं चारा विकास/ सामुदायिक भूखंडों पर उगाये गये वनोंकी लघुवन उपज का प्रबंधन/ बंजर भूमि का विकास।


(xii½ मत्स्य पालन :- मत्स्य बीज का उत्पादन एवं वितरण/ निजी और सामुदायिक तालाबों में मत्स्य पालन का विकास/ अन्तर्देशीय मत्स्य पालन का विकास/ मछली की रोग मुक्ति एवं सुखाना/ परम्परागत मछली पकड़ने के उद्योग को सहायता/ मत्स्य क्रय-विक्रय सहकारी समितियों का गठन,मछुआरों के उत्थान एवं विकास के लिए कल्याण योजनाएँ।


(xiii½ घरेलू एवं लघु उधोग (खाद्य प्रसंस्करण सहित) :- स्थानीय क्षेत्र में परम्पारागत कुशल कारीगरी की पहचान और घरेलू उद्योगों का विकास/ कच्चे माल की अपेक्षाओं का निर्धारण ताकि यथा समय र्आपूत्तिा सुनिश्चित की जा सके/ उपभोक्ताओं की बदलती हुई मांग के अनुरूप रूपांकन और उत्पादन/ शिल्पकारों और कारीगरों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन/ इस कार्यक्रम के लिए बैंक ऋण उपलब्ध करने हेतु संपर्क। तैयार उत्पादनों को लोकप्रिय बनाना और उनका विपणन/ औधोगिक सम्पदा/ खादी,हथकरघा,हस्तशिल्प और ग्रामीण एवं कुटीर उधोगों का संगठन।


(xiv½ ग्रामीण सड़कें एवं अन्तर्देशीय जलमार्ग :- राष्ट्रीय और राज्य पथों को छोड़कर अन्य सड़कों का निर्माण और अनुरक्षण/ राज्य और राष्ट्रीय उच्च पथों को छोड़कर अन्य सड़कोंमें पड़नेवाली पुल और पुलिया/ जिला परिषद के कार्यालय भवनों का निर्माण एवं अनुरक्षण/ बाजारों शैक्षणिक संस्थाओं,स्वास्थ्य केन्द्रों एवं संपर्क सड़कों को जोड़ने वाली बड़ी संपर्क सड़कों की पहचान/ नई सड़कों और विधमान सड़कों को चौड़ा करने के लिए स्वैच्छिक भू-अर्पण के लिए लोगों को संगठित करना।


(xv½ स्वास्थ्य एवं आरोग्य :- चिकित्सा महाविधालय के अस्पतालों,यक्ष्मा- आरोग्य शालाओं,कुष्ठ अस्पतालों और मानसिक रोगों अस्पतालों को छोड़कर,अन्य अस्पतालों,प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों और औषधालयों की स्थापना एवं अनुरक्षण/ रोग- प्रतिरक्षण और टीकाकरण कार्यक्रम का कार्यान्वयन/ स्वास्थ्य,शिक्षा संबंधी कार्यकलाप/ मातृत्व एवं शिशु स्वास्थ्य सम्बन्धी कार्यकलाप/ परिवार कल्याण संबंधी कार्य-कलाप/ पंचायत समिति और ग्राम पंचायत के साथ मिलकर स्वास्थ्य शिविरों का आयोजन/ पर्यावरण प्रदूषण से बचाव के उपाय।


(xvi½ ग्रामीण आवास :- गृह विहीन परिवारोंकी पहचान/ जिला में गृह निर्माण कार्यक्रमों का कार्यान्वयन/ अल्प लागत के गृह निर्माण को लोकप्रिय बनाने का कार्य।


(xvii½ शिक्षा :- शैक्षणिक कार्यकलापों को प्रोत्साहन जिसके अन्तर्गत प्राथमिक एवं माध्यमिक विधालयों की स्थापना और अनुरक्षण भी शामिल है। जनशिक्षा और पुस्तकालय सुविधाओं के लिए कार्यक्रमों का आयोजन/ ग्रामीण,क्षेत्रों में विज्ञान और प्रौधोगिकी शिक्षा के प्रचार- प्रसार का विस्तार कार्य। शैक्षणिक कार्यकलापों का सर्वेक्षण और मूल्यांकन/ सामान्य छात्रावासों,आश्रमों,विधालयों तथा अनाथालयों की स्थापना और अनुरक्षण।


(xviii½ सामाजिक कल्याण एवं कमजोर वर्गों का कल्याण :- अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जनजाति और पिछड़े वर्गों की छात्रवृतियाँ वृतिका,छात्रावास अनुदान एवं पुस्तक और अन्य अनुशांगिक सामग्रियों की खरीद हेतु अन्य अनुदान देकर शैक्षणिक सुविधाओं का विस्तार/ अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के लाभार्थ छात्रावासों का प्रबंध/ निरक्षरता उन्मूलन एवं सामान्य शिक्षा देने हेतु नर्सरी विधालयों,बालवाड़ियों,रात्रिपाठशालाओं में एवं पुस्ताकलयों का संगठन/ अनुसूचित जातियों तथा जनजातियों को कुटीर एवं ग्रामीण उधोगों का प्रशिक्षण देने हेतु आदर्श कल्याण केन्द्रों एवं शिल्प केन्द्रों का संचालन,आवासीय बुनियादी विधालय की व्यवस्था,उत्पादित माल के विपणन की सुविधा/ सहकारी समिति का गठन एवं अन्य कल्याण योजनाएँ। इन जातियों के विकास एवं उत्थान हेतु अन्य कल्याण सेवाएँ।


(xix½ गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम:- गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम की योजना बनाना,पर्यवेक्षण,अनुश्रवण और उनका कार्यान्वयन।


(xx½ सामाजिक सुधार कार्यकलाप :- महिला संगठन एवं कल्याण/ बाल संगठन एवं कल्याण/ स्थानीय आवारागर्दी से राहत/ अनाथालयों,उध्दार गृहों इत्यादि जैसे सामाजिक कल्याण संस्थाओं का अनुरक्षण/ विधवाओं,वृध्दों और विकलांग निस्सहायों के लिए पेंशन तथा बेरोजगारोंएवं अन्तर्जातीय विवाह करनेवाले दम्पत्तिायों जिनमें से कोई एक अनूसूचित जाति या जनजाति का सदस्य हो के लिए भत्तो की मंजूरी एवं वितरण/ आगजनी पर नियंत्रण/ अंधविश्वास,जातिवाद,अस्यपृश्यता,नशाखोरी,महँगी शादियों और सामाजिक उत्सवों,दहेज तथा सरेआम नशाखोरी के विरूध्द अभियान/ सामुदायिक विवाहों एंव अन्तर्जातीय विवाहों का प्रोत्साहन/ तस्करी,करवंचना और खाधान्नों में मिलावट जैसे आर्थिक अपराधों पर निगरानी/ भूमिहीन मजदूरों को प्रदत्ता भूमि के विकास हेतु सहायता/ आदिवासियों की संक्रमित भूमि का पुर्नग्रहण/ बंधुआ मजदूरों की पहचान,विमुक्ति एवं पुर्नवास/ सांस्कृतिक एवं मनोरंजक गतिविधियों का आयोजन/ खेलकूद को प्रोत्साहन एवं ग्रामीण क्रीड़ांगनों का निर्माण/ परम्परागत त्योहारों को नया रूप और सामाजिक आयाम देना। बचत आदतों को प्रोत्साहित करना। अल्प बचत आदतों को प्रोत्साहित करना। सूदखोरी एवं ग्राम्य ऋणग्रस्तता के विरूध्द संघर्ष।


(xxi) इसके अतिरिक्त जिला परिषद्


(क) अपने में निहित अथवा नियंत्रणधीन एवं प्रबंधनाधीन,किसी संस्था या सार्वजनिक उपयोग के किसी कार्य का प्रबंध या उसका अनुरक्षण करेगी।


(ख) ग्रामीण हाटों और बाजारों का अधिग्रहण एवं अनुरक्षण करेगी।


(ग) पंचायत समिति या ग्राम पंचायत को अनुदान प्रदान करेगी।


(घ) संकट ग्रस्तों को राहत देने हेतु उपाय करेगी।


(ड.) जिला में पंचायत समितियों द्वारा तैयार किये गये विकास योजनाओं एवं स्कीमों का समन्वय एवं एकीकरण करेगी।


(च) जिलान्तर्गत पंचायत समितियों के बजट प्राक्कलन की जाँच एवं मंजूरी।


(छ) एक प्रखंड से अधिक में फैले,किसी स्कीम को अपने हाथ में लेगी या उसका कार्यान्वयन करेगी।


(ज) किसी निजी स्वामित्ववाले या किसी अन्य प्राधिकार के स्वामित्व वाले किसी ग्रामीण पुल,तालाब,घाट,कूऑं,नहर या नाली का अनुरक्षण एवं नियंत्रण ऐसी बंधेजों एवं शत्तरों पर जैसा कि सहमति हो,अपने अधीन लेगी।


(xxii) वे सभी विषय जो भारत के संविधान के ग्यारहवीं अनुसूची में उल्लिखित है पर जिनका उल्लेख इस अधिनियम में अन्यत्र नहीं है।


(xxiii) राज्य सरकार द्वारा किसी अधिनियम के अधीन जिला परिषद को ऐसी शक्तियाँ निहित की जा सकेगी,जिसे सरकार यथोचित समझें।


(xxiv)दो या अधिक निकटवर्ती जिलों के जिला परिषद यथा सहमत बंधेज और शत्तरों के अनुसार संयुक्त रूप से किसी विकास स्कीम को अपने हाथ में ले सकेगी और उसका कार्यान्वयन कर सकेगी।


(xxv) जिला परिषद् के वार्षिक बजट तैयार करना।


· जिला परिषद की सामान्य शक्तियाँ :-


(i) सरकार के सामान्य या विशेष आदेशों के अध्यधीन जिला परिषद्-


(क) अपनी अधिकारिता के बाहर,शिक्षा या स्वास्थ्य राहत पर खर्च कर सकेगी।


(ख) जिलावासियों के कल्याणार्थ स्वास्थ्य,सुरक्षा,शिक्षा,सुख सुविधा या सामाजिक आर्थिक अथवा सांस्कृतिक अभिवृध्दि हेतु कोई कार्य या उपायों को कार्यान्वित करने का उपबंध कर सकेगी।


(ग) स्थानीय सरकार के प्रोत्साहन से संबंध्द अखिल भारतीय,राज्य या अर्न्तराज्य स्तर के संघ और पंचायत समिति एवं जिला परिषद के कार्यकलापों से संबंधित जिला के अन्तर्गत प्रदर्शनी,सेमिनार और सम्मेलनों को अंशदान कर सकेगी। और,


(घ) जिले में किसी ऐसे कार्यकलाप के कार्यान्वयन के लिए किसी भी व्यक्ति को वित्तीय या अन्य सहायता प्रदान कर सकेगी,जो राज्य के किन्हीं कृत्यों से संबंधित हो।


(ii) जिला परिषद को,उसे सौंपे गये या प्रत्यायोजित कृत्यों का कार्यान्वयन करने के लिए सभी आवश्यक या अनुशंगिक कार्रवाई करने और खासकर पूर्ववर्ती शक्तियों पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना,इस अधिनियम के अधीन विनिर्दिष्ट सभी शक्तियों के प्रयोग की शक्तियां होंगी।


· स्थाई समितियां


जिला परिषद् अपने कार्यों के प्रभावी निर्वहन के लिए निर्वाचन द्वारा निम्न समितियाँ गठित करेंगी :-


केवल जिला परिषद के निर्वाचित सदस्यों को लेकर सात स्थायी समितियों का गठन करने का प्रावधान है,जो निम्नलिखित हैं-


(i½ सामान्य स्थायी समिति :- इसका कार्य स्थापना मामले सहित अन्य समितियों के कार्यों के बीच समन्वय स्थापित करना तथा ऐसे अवशिष्ट कार्य को जो अन्य समितियों को नहीं दिये गये हों,पूरा करना है। जिला परिषद् से संबंधित अन्य कार्य करना।


(ii½ वित्ता,अंकेक्षण तथा योजना समिति :- यह समिति वित्ता,अंकेक्षण,बजट एवं योजना से सम्बन्धित कार्य करती है।


(iii½ उत्पादन समिति :- यह समिति कृषि,भूमि विकास,लघु सिंचाई एवं जल प्रबंधन,पषुपालन,दुग्धषाला,कुक्कुट एवं मछली पालन,वानिकी,खादी,ग्रामीण,एवं कुटीर उद्योगों तथा गरीबी उन्मूलन सम्बंधी कार्यों को करती है।


(iv½ सामाजिक न्याय समिति :- यह समिति अनुसूचित जातियों,अनुसूचित जनजातियों,महिलाओं एवं अन्य कमजोर वर्ग के बच्चों के सामजिक न्याय,कल्याण और सशक्तिकरण से सम्बन्धित कार्य करती है। सामाजिक अन्याय तथा अन्य सभी प्रकार के शोषण से सुरक्षा प्रदान करना।


(v½ शिक्षा समिति :- यह समिति प्राथमिक,माध्यमिक,जन शिक्षा सहित पुस्तकालयों एवं सांस्कृतिक कार्यकलापों सम्बंधी कार्य करती है।


(vi½ लोक स्वास्थ्य,परिवार कल्याण एवं ग्रामीण स्वच्छता समिति :- यह समिति लोक स्वास्थ्य,परिवार कल्याण एवं ग्रामीण स्वच्छता सम्बंधी कार्य करती है।


(vii½ लोक कार्य समिति :- यह समिति ग्रामीण विकास आवास,जलापूर्ति स्त्रोत,सड़क एवं आवागमन के अन्य साधन तथा ग्रामीण विद्युतीकरण सम्बंधी कार्य एवं उनकी देखभाल करती है। सभी प्रकार के निमार्ण एवं अनुरक्षण से संबंधित कृत्यों का निर्वह्न करना।


प्रत्येक समिति में निर्वाचित सदस्यों में से अध्यक्ष सहित कम से कम तीन एवं अधिक से अधिक पांच इसके सदस्य होते हैं। सामान्य स्थायी समिति तथा वित्त अंकेक्षण एवं योजना समिति का पदने सदस्य एवं अध्यक्ष,जिला परिषद का अध्यक्ष रहेगा। शेष समितियों के अध्यक्ष का मनोनयन जिला परिषद का अध्यक्ष करेगा। परन्तु प्रत्येक समिति में कम से कम एक महिला सदस्य होगी तथा सामाजिक न्याय समिति में एक सदस्य अनुसूचित जाति अथवा अनूसूचित जनजाति का होगा। जिला परिषद का कोई निर्वाचित सदस्य यथाशक्य तीन से अधिक समितियों में नहीं रहेगा।


प्रत्येक अध्यक्ष उस समिति के कार्यों से संबंधित जिला परिषद् के पदाधिकारियों से कोई सूचना,विवरण या प्रतिवेदन मांगने और निरीक्षण का हकदार होगा।


· अध्यक्ष और उपाध्यक्ष की शक्ति,कार्य एवं दायित्व


¼i)अध्यक्ष- (क) जिला परिषद की बैठक का आयोजन और अध्यक्षता तथा उसका संचालन (ख) मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी पर तथा उसके माध्यम से सभी पदाधिकारी तथा कर्मचारी पर पर्यवेक्षण तथा नियंत्रण (ग) जिला परिषद् के सामान्य बैठक में प्रस्ताव द्वारा सौंपे गये अन्य कार्यों /सरकार द्वारा सौंपी गई अन्य कार्य (घ) जिला परिषद की वित्तीय और कार्यपालिका प्रशासन पर पूर्ण नियंत्रण एवं पर्यवेक्षण करेगा (ड) प्राकृतिक आपदा में प्रभावित लोगों को तत्काल राहत देने के लिए कुल एक लाख रूपये तक स्वीकृत करने की शक्ति। ऐसी स्वीकृति का प्रस्ताव जिला परिषद् के अगली बैठक में रखा जायेगा।


(ii)उपाध्यक्ष (क) अध्यक्ष की अनुपस्थिति में जिला परिषद् की बैठक की अध्यक्षता (ख) यथा विहित नियमावली के अध्यधीन लिखित आदेश से अध्यक्ष द्वारा सौंपे गये कार्य (ग) अध्यक्ष का निर्वाचन लंबित रहने या जिला से अध्यक्ष की अनुपस्थिति के दौरान 15 दिनों से अधिक अवधि के लिए उनके अवकाश पर रहने की स्थिति में अध्यक्ष की शक्तियों का प्रयोग तथार् कत्ताव्यों का निर्वहन। परन्तु अध्यक्ष के उपस्थित हो जाने पर वह अपनी शक्तियों एवं कार्य दायित्वों का निर्वह्न प्रारम्भ कर देगा।






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Comments Rahul Singh on 10-07-2023

Jila pramukh banne ke liye yogtaye

जगदीश भील on 06-08-2022

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Neetu ARIYA on 10-10-2021

Kanon nirman me pardhan mantree ka Kary kya hota he


Mahavirsinh on 22-03-2020

Jila pramukh chutani karya kar





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