Pashuon Me Protozoa Rogon पशुओं में प्रोटोजोआ रोगों

पशुओं में प्रोटोजोआ रोगों



Pradeep Chawla on 13-10-2018


पर्यायवाची: ट्रिपैनोसोमिएसिस, पेठा रोग, अफ्रीकन निंद्रा रोग (मनुष्यों में)


विवरण: यह पशुओं की एक घातक बीमारी है जिसमें पशु को अति तीव्र बुखार से लेकर कम तीव्र बुखार देखने को मिलता है। इस रोग में पशु कई बार अंधा हो जाता है तो कभी सुस्त सा नजर आता है व खाना पीना छोड़ देता है। कई बार इस रोग के लक्षण स्पष्ट नही होते हैं। यह रोग भारत, आस्ट्रेलिया व अफ्रीका देशों में देखने को मिलता है। अफ्रीका में यह रोग मनुष्यों में भी पाया जाता है।


प्रभावित पशु: यह रोग गाय, भैंस, अश्व, भेड़, बकरी, कुत्ता व हाथी में देखने को मिलता है।


रोगकाकारण: यह रोग एक रक्त परजीवी (प्रोटोजोआ) जिसे ‘ट्रिपैनोसोमा’ कहते हैं के कारण उत्पन्न होता है।


रोगकाप्रसार: यह रोग विभिन्न प्रकार की मक्खियों जैसे कि टेबेनस, स्टोमोक्सिस, हिमेपोटा व लिपरोसिया के काटने से एक प‌‌शु से दूसरे प‌‌शु में फैलता है।


रोग के लक्षण: इस रोग में व्यापक विविधता देखने में मिलती है। हालाँकि, लक्षणों की समयावधि के आधार पर यह रोग चार प्रकार का है।


1. अति तीव्र रोग


एकाएक तेज बुखार या सामान्य से कम तापमान, तेज उत्तेजना, इधर-उधर भागना, अंधा सा दीवार से टकरा जाना या पागल जैसा सिर को दीवार या जमीन आदि से दबाना, कांपना या थर्रथरना, छटपटाना या मूर्छित सा होना, पेशाब बार-बार व थोड़ा-थोड़ा करना, मुंह से लार बहना/टपकना, जुगाली न करना, खाना-पीना छोड़ देना, शीघ्र मृत्यु हो सकती है।


2. तीव्र रोग


बुखार न होना या रूक-रूक कर होना, उत्तेजना में इधर-उधर भागना, आँखें हिलाना, गोलाई में चक्कर लगाना या एक जगह सुस्त खड़े रहना, जांघें सिकोड़ना, अचेतन सा ​दिखना, सिर नीचे झुकाए खड़े रहना, कभी-कभी कई ​दिनों तक खड़े रहना, मुंह से लार बहना/टपकना, जुगाली कभी-कभी करना, कभी-कभी खाना ‌‌‌पीना करना है।


3. कम तीव्र रोग


बुखार न होना, पगल सा इधर-उधर घूमना, शक्तिहीन सा होना, गिर जाने पर उठ न पाना या बैठ जाने पर उठ न पाना, या उठने की कोशिश करने पर आगे से उठना लेकिन पिछले अंगों से उठने में असमर्थ होना, पिछले अंगों में लकवा हो जाना, मुंह से लार बहना/टपकना, थोड़ा-थोड़ा खाना-पीना रहना, कब्ज या दस्तों का होना, लगातार कमजोर होते जाना, खांसी करना, 7-14 दिन में पशु की मृत्यु हो जाती है।


4. दीर्घ कालिक रोग


बुखार न होना, सुस्त, अत्यन्त कमजोर एवं शक्तिहीन हो जाता है। बैठ जाना, बैठ कर उठ न पाना, मूर्छित एवं अप्राकृतिक निद्रा अवस्था में होना, दांतों का किटकिटाना, कम खाना पीना, 14-21 दिनों में मृत्यु या कभी-कभी ऐसे रोगी पशु 2-4 महीने तक भी देखे गये हैं।


इस रोग में ऊपरलिखित लक्षण एक समान नही मिलते हैं। किसी में कोई लक्षण तो अन्य में दूसरे लक्षण देखने को मिलते हैं। कभी-कभी तो किसी पशु में कोई लक्षण मिलता ही नही है और अंतत: पशु मर ही जाता है। कई देखने में आता है कि पशु अचानक गिर जाता है और तुरंत ही मर जाता है। कई बार पशु गिर कर एक मिनट में ही खड़ा हो जाता है जैसे कि कुछ हुआ ही नही था ऐसा कई पशुओं में कई बार देखने को मिलता है। कई बार ऐसे पशु बारम्बार थोड़ा-थोड़ा पेशाब करता रहता है। रोगी पशु अपाना सिर दिवार, खुरली, खुंटे या पेड़ में भिड़कर बेहोश खड़ा रहता है या बंधे हुये रस्से को खींच कर खड़ा रहता है। कभी-कभी रोगी पशु अपने सिर को दिवार से सटा कर खड़ा रहता है। कुछ पशुओं में आँखें लाल हो जाती हैं। कई पशुओं में खाना-पीना ठीक-ठाक होता है लेकिन दिन-प्रति-दिन कमजोर होते चले जाते हैं। ऐसे पशुओं में आँख की पुतलीयाँ सफेद एवं पीली होनी शुरू हो जाती हैं और आँख की नेत्रश्लेष्मा (conjunctivae) पर लाल रेग के धब्बे पड़ने शुरू हो जाते हैं। ऐसे पशुओं में बुखार कभी हो जाता है व अपने आप ही ठीक भी हो जाता है व उनका खून पतला हो जाता है। कुछ पशुओं में शरीर के नीचले हिस्सों (जैसे कि टांगें, गला, छाती (brisket) पेट के नीचले हिस्से) में सूजन आ जाती है। यदि ऐसे पशुओं का ईलाज नही होता है तो उनकी मृत्यु हो जाती है।


मनुष्योंमेंरोगकेलक्षण


मनुष्यों में यह रोग अफ्रीका के देशों में पाया जाता है। यह रोग संक्रमित मक्खी (Tsetse fly) के


काटने से फैलता है लेकिन यह निम्नलि​खित माध्यमों से भी फैलता है:


संक्रमित माँ से गर्भ में ही बच्चे को संक्रमण हो सकता है।


अन्य खून चूसने वाले कीट भी इस रोग को फैलाते हैं हालाँकि इसका आंकलन करना मुश्किल है।


प्रयोगशालाओं में संक्रमित सुई चुभने से भी यह रोग फैलता है।


यौन संपर्क के माध्यम से रोग संक्रमण अभिले​खित है।


प्रथमावस्था में यह प्रोटोजोआ चमड़ी के नीचे ऊत्तकों, रक्त व लसीका ग्रन्थियों में गुणात्मक तरीके से बढ़ता है। इसको रक्त-लसीका चरण भी कहते हैं। इस अवस्था में रोगी मनुश्य को बुखार, सिर में दर्द, जोड़ों में दर्द और खुजली होती है।



दूसरी अवस्था में यह परजीवी रक्त-मस्तिष्क बाधा को पार करते हुए मस्तिष्क में पहुंचता है और मस्तिष्क सम्बन्धि शोथ (Meningo-encephalitis) उत्पन्न करता है। इस दौरान रोगी में और ज्यादा स्पष्ट लक्षण ​दिखायी देते हैं। इस दौरान रोगी के व्यवहार में बदलाव, भ्रम, संवेदी गड़बड़ी, दुर्बल समन्वय देखने को मिलता है। अशान्त निन्द्रा चक्र, इस रोग का एक मुख्य लक्षण है, जिस कारण इसका नाम अफ्रीकन निंद्रा रोग पड़ा है। चिकित्सा के अभाव में यह रोग घातक है।


रोग का ईलाज: रोगी पशु का ईलाज पशु चिकित्सक से समय पर करवा लेना चाहिए।


नियन्त्रण: इस रोग को नियन्त्रित करने के लिए मक्खियों का नियन्त्रण ही रोग से बचाव है।




सम्बन्धित प्रश्न



Comments Chandan sharma on 30-10-2023

मेरी गाय आज 26 दिनों से बीमार है उसको मिल्क फीवर हो गया था उसके बाद उसे मिफेक्स तथा काबोलार2 बोतल चधाया गया फिर भी ठीक नहीं हुई है
आज गाय का दूध निकाल कर छोदने पर कापने लगती है और और तलमलाने लगती है और गिर जाती है उपाय बताइए
और सिर्फ हरा चारा खाती है चोकर खअली भी नहीं खाती है और ना सूखा चारा खाती है सिर्फ हरा चारा ही खाती है


Ravi pal on 28-05-2023

पगल पसपशु हो ता है

Sukhdeep singh on 20-05-2023

Cow ke thanu me sa lagatar dhood nikalta he


Ravish mehta on 26-03-2023

Mera buffalo (Bahia) ko khana or jugali band or treatment bhi hua hai lekin fibar 104-104.5 tak rahta hai koi or treatmant batabe please

Dharmendra singh on 30-01-2023

MERI bhains ko bukhar hai aur uski chamadi me sikudan ho Gaye hai kya Rog hai

Surj on 08-07-2022

Mari cow jugali ni khrti.in

Arvind Kumar on 05-07-2022

1 mah 15 ka gay ka bachcha hai vajan 25-30 kg hai bukhar 105F rhta hai dant katkatata hai gardan pe goli - goli sa 5-6 bana hai tharthrata hai kapnta hai kripya treatment bataye


Nitin on 04-09-2021

Sir surra ki dawai



Animal protozoa diseses on 27-03-2020

No

Roushan Mishra on 27-05-2020

5 din Ka gay ka baccha ko 106 fever aata hai uska dawai bataen

Jalgaonkar on 29-07-2020

Mere yaha 2 gayo ko andhapan aagaya hai.ek gaay to chakkar aakr girti bhi hai.please help

Nirmal kumar on 19-05-2021

मेरी गाय दस दिन बच्चा दी और अगले दिन यनैला हो गया था फिर तीन दिन पहले धुप मे रहने के कारण गिर गई और 108 फीवर हो गया डाक्टर को दिखाए तो पोटैटो बोला तो इसका उपाय बताए जिससे जल्दी ठीक हो पाए


Krishna Shekhar on 18-08-2021

मेरी गाय को शुक्रवार से हल्की बुखार है मैने बहुत डॉक्टर को दिखाया पर कोई आराम नहीं है डॉक्टर इसे सरा रोग बता रहे है , इसको फिलहाल पाल दिया गया है इसलिए आपसे निवेदन है की इसका ठीक होने का उपाय बताए, कृष्णा शेखर चौखांडा चितौलि सासाराम रोहतास बिहार mob 9955419194




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