“ Shiksha Ka Mukhya Karya Achhe Naitik Charitr Ka Vikash Karna Hai ” Yah Kiska Kathan Hai ? “शिक्षा का मुख्य कार्य अच्छे नैतिक चरित्र का विकास करना है” यह किसका कथन है ?

“शिक्षा का मुख्य कार्य अच्छे नैतिक चरित्र का विकास करना है” यह किसका कथन है ?



GkExams on 15-03-2023


सही उत्तर : हरबर्ट


व्याख्या :


हर्बर्ट के अनुसार – शिक्षा का उद्देश्य बच्चों को अच्छे आचरण की शिक्षा देना है। क्योंकि नैतिक शिक्षा शिक्षण द्वारा बालक के सन्तुलित विकास में सहायता और बालक के व्यक्तित्व का विकास करती है। नैतिक शिक्षा वह प्रक्रिया है जिसके माध्यम से लोग दूसरों में नैतिक मूल्यों का संचार करते हैं।


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शिक्षा का अर्थ :




इस शब्द की उत्पत्ति लेटिन भाषा के शब्द Educatum से हुई है। जिसका अंग्रेजी अनुवाद Education है। Education का अर्थ शिक्षण की कला। या इसे दुसरे शब्दों में समझे तो Education दो शब्दों से मिलकर बना है। E+Duco E का अर्थ आन्तरिक Duco का अर्थ बाहर की ओर ले जाना।


जब हम शिक्षा (education development in india) शब्द के प्रयोग को देखते हैं तो मोटे तौर पर यह दो रूपों में प्रयोग में लाया जाता है, व्यापक रूप में तथा संकुचित रूप में। शिक्षा से ही हर किसी का विकास होता है तथा इस काम में सहयोग करना देश के विकास में योगदान देना है।


शिक्षा का उद्देश्य (Education in hindi) :




हमारे देश के संविधान निर्माता बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर जी ने कहा था की शिक्षा ही आपको हमेशा इज्जत की जिंदगी जीने को दे सकती है। आपको लोग किस नजर से देखते है जब आप शिक्षित हो जाओगे तो लोग उस नजर से नही देखेंगे जैसे आप सोचते हो। इसलिए आपका शिक्षित होना अतिआवश्यक है।


शिक्षा ही वहीँ हथियार है जिससे आज हम तकनीक के ज़माने में काफी आगे बढ़ चुके है। इसलिए इसमें कोई दो राय नही है की किसी भी राष्ट्र के विकास की गति उसके नागरिको के बीच शिक्षा (education development essay) के प्रसार से होती है। इसके अलावा शिक्षा ही एक ऐसा साधन है जिसका व्यक्तित्व के विकास में महत्वपूर्ण योगदान होता है।


शिक्षा और समाज का सम्बन्ध :




जैसा की हम सब जानते है की आज के समय में शिक्षा और समाज (Relation between education and society in hindi) दोनों एक दूसरे के पूरक हैं। शिक्षा के बिना समाज अधूरा है, और समाज के बिना शिक्षा। क्योंकि मानव एक सामाजिक प्राणी है वह समाज में रहता है और अपने क्रियाकलापों का निर्वाह करता है। समाज में धार्मिक , सांस्कृतिक, राजनैतिक, आर्थिक रूप से मानव का संबंध स्थापित होता है।


वैसे ये बात भी सच है की प्रत्येक समाज अपने सदस्यों में अपनी संस्कृति का संक्रमण शिक्षा (education and society essay) के द्वारा ही करता है। इस प्रकार हम यह समझ सकते है की शिक्षा किसी समाज की संस्कृति का संरक्षण करती है। और इस प्रकार जब मनुष्य शिक्षित हो जाता है तो वह अपने अनुभव के आधार पर अपनी संस्कृति में परिवर्तन करता है। इस प्रकार शिक्षा समाज की संस्कृति में विकास करती है।


शिक्षा के प्रकार (Types of education) :




व्यवस्था की दृष्टि से देखें तो शिक्षा के तीन रूप होते हैं, जो निम्नलिखित प्रकार से है....


1. औपचारिक शिक्षा :




वह शिक्षा जो विद्यालयों, महाविद्यालयों और विश्वविद्यालयों में चलती हैं, औपचारिक शिक्षा कही जाती है। इस शिक्षा के उद्देश्य, पाठ्यचर्या और शिक्षण विधियाँ, सभी निश्चित होते हैं। यह योजनाबद्ध होती है और इसकी योजना बड़ी कठोर होती है। इसमें सीखने वालों को विद्यालय, महाविद्यालय अथवा विश्वविद्यालय की समय सारणी के अनुसार कार्य करना होता है।


इसमें परीक्षा लेने और प्रमाण पत्र प्रदान करने की व्यवस्था होती है। इस शिक्षा की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह व्यक्ति, समाज और राष्ट्र की आवश्यकताओं की पूर्ति करती है। यह व्यक्ति में ज्ञान और कौशल का विकास करती है और उसे किसी व्यवसाय अथवा उद्योग के लिए योग्य बनाती है। परन्तु यह शिक्षा बड़ी व्यय-साध्य होती है। इससे धन, समय व ऊर्जा सभी अधिक व्यय करने पड़ते हैं।


2. निरौपचारिक शिक्षा :




वह शिक्षा जो औपचारिक शिक्षा की भाँति विद्यालय, महाविद्यालय, और विश्वविद्यालयों की सीमा में नहीं बाँधी जाती है। परन्तु औपचारिक शिक्षा की तरह इसके उद्देश्य व पाठ्यचर्या निश्चित होती है, फर्क केवल उसकी योजना में होता है जो बहुत लचीली होती है। इसका मुख्य उद्देश्य सामान्य शिक्षा का प्रसार और शिक्षा की व्यवस्था करना होता है। इसकी पाठ्यचर्या सीखने वालों की आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर निश्चित की गई है।


3. अनौपचारिक शिक्षा :




यह इस प्रकार की शिक्षा है जिसकी कोई योजना नहीं बनाई जाती है जिसके न उद्देश्य निश्चित होते हैं न पाठ्यचर्या और न शिक्षण विधियाँ और जो आकस्मिक रूप से सदैव चलती रहती है, उसे अनौपचारिक शिक्षा कहते हैं। यह शिक्षा मनुष्य के जीवन भर चलती है और इसका उस पर सबसे अधिक प्रभाव होता है।


मनुष्य जीवन के प्रत्येक क्षण में इस शिक्षा को लेता रहता है, प्रत्येक क्षण वह अपने सम्पर्क में आए व्यक्तियों व वातावरण से सीखता रहता है। बच्चे की प्रथम शिक्षा अनौपचारिक वातावरण में घर में रहकर ही पूरी होती है। जब वह विद्यालय में औपचारिक शिक्षा ग्रहण करने आता है तो एक व्यक्तित्त्व के साथ आता है जो कि उसकी अनौपचारिक शिक्षा का प्रतिफल है।


ARCHANA NEWARE on 16-02-2020

सही


Comments Garima on 04-02-2023

Ache natik charitra ka vikas hi shiksha h ye kathan kiska h

Ajay kumar on 04-12-2022

शिक्षा का मुख्य कार्य अच्छे नैतिक चरित्र का विकास करना है” यह किसका कथन है ?

Gagan Kumar on 20-02-2020

सही


Prateek Shekhar on 20-02-2020

Right✓

Anuj Saini on 19-02-2020

स्वामी विवेकानंद

rajender singh on 19-02-2020

Swami vivekanand





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