विलुप्त होती प्रजातियों की समस्या का समाधान
Pradeep Chawla on 29-10-2018
गाँधीजी ने कहा था-
‘‘प्रकृति में प्रत्येक की जरूरत पूरी करने की क्षमता है, लेकिन किसी एक के लालच के लिए नही’’।सारणी-1
भारत में संकटग्रस्त वन्य जीव
1 | 2 | 3 |
1. शेर | 2. चीता | 3. बाघ |
4. सफेद तेंदुआ | 5. गैंडा | 6. स्लोलोरिस |
7. जंगली भैंसा | 8. गंगीय डालफिन | 9. लाल पाण्डा |
10. मालावार सिवेट | 11. कस्तूरी हिरन | 12. संगाई हिरन |
13. बारहसिंघा | 14. कश्मीरी हिरन | 15. सिंह पूंछ बन्दर |
16. नीलगिरि लंगूर | 17. लघुपूंछ बन्दर | 18. बबून |
19. गुनोन | 20. चिम्पैंजी | 21. औरंग |
22. ऊटान | 23. वनमानुष | 24. कछुआ |
25. पैगोलिन | 26. सुनहरी सूअर | 27. जंगली गधा |
28. पिगमी सूअर | 29. चित्तीदार लिनसैग | 30. सुनहरी बिल्ली |
31. भूरी बिल्ली | 32. डुगोंग | 33. सोन चिड़िया |
34. जर्डेन घोड़ा | 35. पहाड़ी बटेर | 36. गुलाबी सिर बत्तख |
37. श्वेतपूंछ बत्तख | 38. टेंगोपान | 39. मगरमच्छ |
40. घड़ियाल | 41. जलीय छिपकली | 42. अजगर |
43. भूरा बारहसिंघा | 44. छोटा बारहसिंघा | 45. चैसिंघा हिरन |
46. दलदली हिरन | 47. मास्क हिरन | 48. नीलगिरी हिरन |
सारणी-2
विलुप्त हो रहे जीव-जन्तुओं की संख्या |
प्रजाति | विलुप्त हो चुकी | विलुप्त होने का खतरा |
1. पेड़-पौधे | 384 | 19079 |
2. मछलियां | 32 | 343 |
3. उभयचर | 2 | 50 |
4. सरीसृप | 21 | 170 |
5. बिना रीढ़ वाले जन्तु | 98 | 1355 |
6. पक्षी | 113 | 1037 |
7. स्तनधारी | 83 | 497 |
कुल योग | 724 | 22,530 |
इतिहास साक्षी है कि अशोक महान ने अपने सभी शिलालेखों पर जीवों पर दया करने की बात लिखवाई थी। धार्मिक सुरक्षा के कवच ने ही वन्य जीवों को लम्बे अन्तराल तक बचाये रखा। बन्दूक का आविष्कार होते ही वन्य जीवों को अपना अस्तित्व बनाये रखना भी कठिन हो गया। ब्रिटिश सरकार ने वन्य जीवों की सुरक्षा के लिये प्रथम कानून वर्ष 1879 में ‘वाइल्ड एलीफेन्ट प्रोटेक्शन एक्ट’ नाम से पारित किया गया। उल्लेखित अधिनियमों का व्यापक प्रभाव पड़ा परन्तु वनों की सुरक्षा के लिये कोई प्रभावी प्रयास न होने के कारण अपेक्षित सफलता नहीं मिली। इस हेतु 1927 में वनों की सुरक्षा, वैज्ञानिक प्रबन्ध एवं विदोहन तथा वन्य जीवों के हितार्थ ‘भारतीय वन अधिनियम’ के रूप में एक विस्तृत अधिनियम पारित किया गया। इसके अन्तर्गत वन एवं वन्य जीवों सम्बन्धी अपराधों को रोकने के लिये आर्थिक व शारीरिक दण्ड की व्यवस्था सुनिश्चित की गई थी।
द्वितीय विश्वयुद्ध के समय व्यापक रूप से बेतहाशा वनों की कटाई हुई। शिकारियों ने भी अवसर का लाभ उठाते हुए बड़े पैमाने पर पशु संहार प्रारम्भ कर दिया। वन्य जीव प्रेमी संगठनों के आह्वान पर भारत सरकार ने ‘इण्डियन बोर्ड फॉर वाइल्ड लाइफ’ की स्थापना की। ‘भारतीय वन अधिनियम, 1956’ में वन एवं वन्य जीव दोनों की ही सुरक्षा का प्रावधान था परन्तु वन विभाग के शस्त्र-विहीन कर्मचारियों के लिये राइफलों से लैस शिकारियों को रोक पाना सम्भव न हो सका। वन्य जीवों की सुरक्षा को लेकर वन विभाग के अन्तर्गत ही पृथक रूप से ‘वन्य जीव परिरक्षण संगठन’ की स्थापना की गई। रक्षकों को शस्त्रों से लैस किया गया तथा वाहन भी प्रदान किये गये।
इस व्यवस्था से पर्याप्त नियंत्रण किया जा सका। इन प्रयासों के बावजूद वन्य जीवों की अधिकांश प्रजातियाँ विलुप्त होती गईं। अतः ऐसा अनुभव किया गया कि वन एवं वन्य जीवों की सुरक्षा हेतु कड़ा दण्ड प्रावधान तथा वन्य जीवों के वास स्थलों की व्यापक सुरक्षा का प्रबन्ध किया जाये। इस उद्देश्य की पूर्ति हेतु भारत सरकार ने ‘वन्य जीव संरक्षण अधिनियम, 1972’ पारित किया और अपराधी को 7 वर्ष तक का कारावास तथा पर्याप्त अर्थदण्ड की व्यवस्था की गई। वन्य जीवों के वास स्थलों को सम्पूर्ण सुरक्षा प्रदान करने के लिये राष्ट्रीय उद्यान एवं वन्य जीव विहार तथा अभ्यारण्य बनाने की प्रक्रिया प्रारम्भ की गई। 2 अक्तूबर, 1991 से अधिनियम को संशोधित करके इसकी धाराओं को और अधिक कड़ा कर दिया गया है। इस अधिनियम से आशातीत सफलता मिली और दूसरी तरफ वन्य जीवों के संरक्षण के लिये उनके वास स्थलों के रूप में राष्ट्रीय उद्यानों, वन्य जीव विहार एवं अभ्यारण्यों की स्थापना को बल मिला। इन्हीं प्रयासों के फलस्वरूप ‘भारतीय वन्य जीव परिषद’ ने वन्य प्रजातियों को तुरन्त संरक्षण प्रदान करने का सुझाव दिया है।
वन्य जीव संरक्षितियाँ विस्तृत रूप से दो भागों में विभक्त की गई है-
1. राष्ट्रीय उद्यान
2. वन्य जीव विहार
वन्य जीव संरक्षिति का विशेष उद्देश्य जानवरों व पक्षियों को सुरक्षा प्रदान करना है जबकि राष्ट्रीय उद्यान सम्पूर्ण पारिस्थितिकी तंत्र को सुरक्षा प्रदान करते हैं। कुछ विशेष प्रकार की वन्य जीव संरक्षितियाँ भी हैं जैसे बाघ परियोजना। इसमें से प्रमुख है, सुन्दर वन बाघ परियोजना। इस परियोजना में रॉयल बंगाल टाइगर को सुरक्षा प्रदान की गई है। यहाँ बाघों की बढ़ती जनसंख्या ने एक नई समस्या को जन्म दिया है। यह तथ्य इस परियोजना की सफलता का सबसे बड़ा प्रमाण है।
इस समय भारत में 54 राष्ट्रीय वन्य उद्यान हैं जिनके अन्तर्गत सागरतटीय वन्योद्यान, उच्च अक्षाशीय वन्योद्यान तथा अंडमान निकोबार द्वीप समूह में स्थित वन्य अभ्यारण्य हैं। इनमें से 26 बड़े वन्य अभ्यारण्य नगरीय क्षेत्रों में तथा 160 वन्य जीव संरक्षितियाँ देश के शेष भागों में केन्द्रित हैं। सामान्य रूप से कहा जा सकता है कि दक्षिण की तुलना में उत्तर भारत वन्य जीवों की दृष्टि से धनी है। दक्षिण भारत में केवल केरल राज्य ही वन्य जीव संरक्षण पर सर्वाधिक ध्यान देता है, पारिस्थितिकी तंत्र व जीवों की सुरक्षा के लिये ‘मैन एण्ड बायोस्फेयर प्रोग्राम’ की रूपरेखा भारत सरकार ने तैयार की है।
Vilupt hoti prajatiyo ki samasya ke liye samadhan