कैबिनेट मिशन के बारे में गाँधी जी ने कहा कि "यह योजना उस समय की परिस्थितियों के परिप्रेक्ष्य में सबसे उत्कृष्ट योजना थी, उसमें ऐसे बीज थे, जिससे दुःख की मारी भारत भूमि यातना से मुक्त हो सकती थी।" जुलाई-अगस्त, 1946 ई. में कैबिनेट मिशन योजना के अंतर्गत संविधान सभा के लिए चुनाव हुआ। यह संविधान सभा प्रान्तीय विधानसभाओं द्वारा चुनी जानी थी, क्योंकि यदि वयस्क मताधिकार के आधार पर चुनी जाती तो समय अधिक लगता।
संविधान सभा के सदस्य सीधे जनता द्वारा नहीं चुने गए थे। उन्हें प्रान्तीय विधान सभा के सदस्यों द्वारा चुना गया था।
संविधान सभा के सदस्यों में :-
इस प्रकार संविधान सभा में कुल 389 सदस्य थे। ब्रिटिश प्रांतों को आवंटित सीटों को तीन हिस्सों में बाँटा गया था- सामान्य, मुस्लिम और सिख। प्रत्येक सदस्य को अपने समूह के सदस्य का ही चुनाव करना था। इसमें प्रत्येक 10 लाख की आबादी के लिए एक प्रतिनिधि का प्रावधान था।
कैबिनेट मिशन योजना के अनुसार संविधान सभा की सदस्य संख्या 389 का वर्गीकरण —
☆ 292 ब्रिटिश प्रांतों के प्रतिनिधि
☆ 4 चीफ कमिशनर क्षेत्रों के प्रतिनिधि
☆ 93 देशी रियासतों के प्रतिनिधि या देशी रियासतों को आवंटित सीटें
चार चीफ कमिश्नरी क्षेत्रों थे —
संविधान सभा की 1946 के चुनावों में दलीय स्थिति इस प्रकार थी —
☆ कांग्रेस ने 208 सीटें जीतीं थीं
☆ मुस्लिम लीग ने 73 सीटें जीतीं
☆ छोटे समूहों और निर्दलियों ने 15 सीटें जीतीं।
☆ 93 प्रतिनिधियों का चयन (मनोनयन) रियासतों के प्रमुख द्वारा किया गया।
नोट-संविधान सभा में निर्वाचित सदस्यों में अम्बेडकर बंगाल से चुने गये थे जबकि महात्मा गांधी व मोहम्मद अली जिन्ना संविधान सभा के लिए नहीं चुने गये थे।
संविधान सभा का पुनर्गठन
संविधान सभा में पहला परिवर्तन 3 जून, 1947 की माउण्टबेटन योजना के कारण आया जब पाकिस्तान अलग राष्ट्र बना जिसके कारण मुस्लिम लीग के सदस्य अलग हो गये और सदस्य संख्या 324 रह गई। जिनमें 235 ब्रिटिश प्रान्तों के व 89 देशी रियासतों के सदस्य थे।
दूसरा परिवर्तन देशी रियासतों के सदस्यों का अलग-अलग समय में शामिल होने के कारण आया। (हैदराबाद रियासत का कोई प्रतिनिधि संविधान सभा में शामिल नही हुआ।)
24 अगस्त, 1946 को पं. जवाहरलाल नेहरू के नेतृत्व में भारत की पहली अन्तरिम सरकार का गठन किया गया जिसमें मुस्लिम लीग की भागीदारी नहीं थी।
संविधान सभा की कार्यप्रणाली
उद्देश्य प्रस्ताव
13 दिसम्बर 1946 को पंडित जवाहरलाल नेहरू ने उद्देश्य प्रस्ताव (OBJECTIVE RESOLUTION) पेश किया जिससे संविधान निर्माण की औपचारिक शुरूआत हुई। इसकी मुख्य बातें इस प्रकार हैं-
संविधान सभा की कुछ प्रमुख समितियाँ एवं उनके अध्यक्ष
प्रारूप समिति – डा. भीम राव अम्बेडकर
संघ संविधान समिति – जवाहर लाल नेहरु
संघ शक्ति समिति – जवाहर लाल नेहरु
राज्यों के लिए समिति – जवाहरलाल नेहरु
प्रांतीय संविधान समिति – सरदार बल्लभ भाई पटेल
मूल अधिकार एवं अल्पसंख्यक समिति – सरदार बल्लभ भाई पटेल
झंडा समिति – डा. राजेन्द्र प्रसाद
राज्यों तथा रियासतों से परामर्श समिति – सरदार पटेल
संचालन समिति – डा. राजेन्द्र प्रसाद
कार्यकारणी समिति – जी.वी मावलंकर
संविधान सभा ने कुल 11 सत्रों में संविधान का निर्माण किया
प्रथम सत्र – 9- 23 दिसम्बर 1946
दूसरा सत्र – 20-25 दिसम्बर 1946
तीसरा सत्र – 28 अप्रैल- 2 मई 1947
चौथा सत्र – 14-31जुलाई 1947
पाँचवां सत्र – 14-30 अगस्त 1947
छठा सत्र – 27 जनवरी 1948
सातवां सत्र – 4 नवंबर से 1948 से 8 जनवरी 1949
आठवां सत्र – 16 मई-16 जून 1949
नवां सत्र – 30 जुलाई-18 सितंबर 1949
दसवां सत्र – 6-17 अक्टूबर 1949
ग्यारहवां सत्र – 14-26 नवंबर 1949
संविधान पर चर्चा के दौरान 7635 संशोधन प्रस्ताव पेश हुए।
प्रारूप समिति ने इस रिपोर्ट पर विचारोपरान्त उसे 21 फरवरी 1948 को संविधान सभा के समक्ष विचार के लिए रखा जिसमें 315 अनुच्छेद और 8 अनुसूचियां थी
संविधान सभा द्वारा इस प्रारूप पर तीन वाचन हुए –
संविधान निर्माण की प्रक्रिया में कुल 2 वर्ष, 11 महीना और 18 दिन लगे।
संविधान के प्रारूप पर कुल 114 दिन बहस हुई।
26 नवंबर 1949 को संविधान को स्वीकार किया गया। 24 जनवरी 1950 को संविधान सभा के सदस्यों ने संविधान पर हस्ताक्षर किए। उस दिन रिमझिम बारिश हो रही थी जिसे अच्छा शगुन माना गया।
भारतीय संविधान के पारित होने की तिथि अर्थात 26 नवम्बर 1949 को इसमें कुल 395 अनुच्छेद, 8 अनुसूचियां तथा 22 भाग थे। इसमें से कुल 16 (कई जगह 15 का उल्लेख है) अनुच्छेदों को जिनमें नागरिकता, अन्तरिम संसद तथा सक्रमणकालीन उपबंध को उसी दिन लागू किया गया।
शेष भाग 26 जनवरी 1950 को लागू किया गया। अतः 26 नवम्बर 1949 भारतीय संविधान को अंगीकार करने तथा 26 जनवरी 1950 लागू करने की तिथि है।
भारत के पहले राष्ट्रपति का चुनाव भी 24 जनवरी 1950 को हुआ जिसमें राजेन्द्र प्रसाद और प्रोफेसर के.टी.शाह में मुकाबला हुआ। डॉ.राजेन्द्र प्रसाद विजयी रहे। 24 जनवरी 1950 को ही जन गण मन को राष्ट्र-गान एवं वंदे मातरम् को राष्ट्र-गीत के रूप में अपनाया गया।
26 जनवरी 1950 को संविधान सभा का कार्य समाप्त हो गया और उस दिन से वह भारत की कार्यकारी संसद बन गई।
भारतीय स्वाधीनता अधिनियम- 1947
ब्रिटिश प्रधानमंत्री क्लीमेंट एटली एवं तत्कालीन वायसराय लॉर्ड माउन्ट बेटन की योजना पर आधारित यह विधेयक 4 जुलाई, 1947 को ब्रिटिश संसद में पेश किया गया और 18 जुलाई, 1947 को शाही संस्तुति मिलने पर यह विधेयक अधिनियम बना।
1947 के इस अधिनियम के निम्नलिखित प्रमुख प्रावधान थे-
Additional commissioner kise khte he
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Sambidhan sabha me kis deshi riyasat ne bhag nhi liya