Lohe Par Jung Lagne Ko Kya Kehte Hai लोहे पर जंग लगने को क्या कहते है

लोहे पर जंग लगने को क्या कहते है



GkExams on 27-12-2018


संक्षारण

हवा में वर्तमान ऑक्सीजन, कार्बन डाईऑक्साईड, सल्फर, अम्ल आदि के साथ प्रतिक्रिया के कारण धातु के उपर अवांक्षित यौगिक की परत जम जाती है। इस परत के कारण धातु का धीरे धीरे क्षय होने लगता है, धातु की चमक खराब हो जाती है आदि। इस प्रक्रिया को धातु का संक्षारण कहते हैं।


उदाहरण:


जब लोहे से बने सामान नमी वाले हवा में वर्तमान ऑक्सीजन से प्रतिक्रिया करते हैं तो लोहे पर एक भूरे रंग की परत (Iron oxide) जम जाती है, इस प्रक्रिया को लोहे में जंग लगना कहते हैं।


जब चाँदी से बना सामान, यथा सिक्के, जेवर आदि हवा में वर्तमान सल्फाईड के संपर्क लम्बे समय तक रहता है, तो उसके उपर एक काले रंग की परत (silver sulphide) जम जाती है, इस प्रक्रिया को चाँदी का संक्षारण या चाँदी पर दाग लगना कहते हैं।

जब ताम्बे से बने सामान, यथा सिक्के, बर्तन आदि लम्बे समय तक हवा के संपर्क में रहता है तो हवा में वर्तमान कार्बन डाईऑक्साइड से प्रतिक्रिया के कारण ताम्बे के उपर कॉपर कार्बोनेट की परत जम जाती है, जिसके कारण ताम्बे का वास्तविक रंग तथा चमक खराब (मलिन) हो जाती है, इस प्रक्रिया को ताम्बे का संक्षारण कहते हैं।

लोहे में जंग लगना

जब लोहे से बने सामान नमी वाले हवा में वर्तमान ऑक्सीजन से प्रतिक्रिया करते हैं तो लोहे पर एक भूरे रंग की परत (Iron oxide) जम जाती है । यह भूरे रंग की परत लोहे का ऑक्सीजन के साथा प्रतिक्रिया के कारण आयरन ऑक्साइड बनने से होता है। आयरन ऑक्साइड छिद्रदार (Porous) होता है। यह परत कुछ समय पश्चात गिर जात है तथा लोहे की दूसरी परत फिर हवा में मौजूद ऑक्सीजन तथा पानी से प्रतिक्रिया कर आयरन ऑक्साईड में बदल जाती है। यह प्रक्रिया चलती रहती है तथा धीरे धीरे लोहे का पूरा सामान आयरन ऑक्साईड में बदल जाता है, अर्थात खराब हो जाता है। इस तरह आयरन ऑक्साईड का बनना लोहे में जंग लगना कहलाती है, तथा आयरन ऑक्साइड को जंग कहते हैं।

लोहे में जंग लगने की प्रतिक्रिया

जब लोहा ऑक्सीजन तथा पानी के साथ प्रतिक्रिया करता है तो आयरन (III) हाईड्रोक्साईड बनाता है। यह आयरन (III) हाईड्रोक्साईड सूखने के बाद फेरिक ऑक्साईड में बदल जाता है, जिसे जंग कहा जाता है।


Iron + Water + Oxygen → Rust


reaction for rusting of iron reaction for rusting of iron1


जंग का रासायनिक नाम iron (III) oxide या Ferric oxide है।


dehydration of iron(III) hydroxide dehydration of iron(III) hydroxide_1

लोहे में जंग लगने की शर्तें

लोहे में जंग लगने के लिये लोहे का पानी तथा ऑक्सीजन के संपर्क में आना आवश्यक है। किसी एक, अर्थात हवा या ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में लोहे में जंग नहीं लगता है।


अर्थात यदि हवा में नमी नहीं हो तो लोहे में जंग नहीं लगेगा या लोहे को ऑक्सीजन या पानी किसी एक से संपर्क में आने से रोक दिया जाय तो लोहे में जंग लगने से रोका जा सकता है।

लोहे में जंग लगने की प्रक्रिया का अवलोकन

लोहे में जंग लगने की प्रक्रिया का अवलोकन एक साधारण क्रियाकलाप के द्वार किया जा सकता है।

  • तीन साफ तथा सूखा हुआ परखनली A, B तथा C लिया जाता है।
  • परखनली "A" में कुछ नमी रहित (सूखा हुआ) कैल्शियम क्लोराईक की टिकिया रख कर तीन या चार लोहे की कीलें रख दी जाती है तथा परखनली के मुँह को कॉर्क से बंद कर दिया जाता है।
  • परखनली "B" थोड़ा सा खौला हुआ पानी लिया जाता है तथा उसमें तीन या चार लोहे की कीलें रखकर तेल की कुछ मात्रा रख दी जाती है तथा परखनली का मुँह कॉर्क से बंद कर दिया जाता है।
  • परखनली "C" में नल का पानी लेकर उसमें तीन या चार लोहे की कीलें रखकर उसका मुँह कॉर्क से बंद कर दिया जाता है।
  • दस से पन्द्रह दिनों के बाद परखनली में रखे गये कीलों का अवलोकन किया जाता है।

activity for rusting of iron


Ref: Image taken from NCERT Book


दस से पन्द्रह दिनों के बाद परखनली में रखे गये कीलों का अवलोकन से पता चलता है कि परखनली 'A' and 'C' में रखे गए कीलों में जंग नहीं लगा है जबकि परखनली "C" में रखे गये कीलों में जंग लग गया है।


ऐसा इसलिये हुआ है क्योंकि:


(a) परखनली "A" रखे हुए नमी रहित (सूखा हुआ) कैल्शियम क्लोराईक की टिकिया ने परखनली के खाली स्थान में वर्तमान नमी को सोख लिया था। जिसके कारण परखनली में रखा गये लोहे के कील पानी के संपर्क में नहीं आये तथा कीलों में जंग नहीं लगा।


(b) )पानी को खौलाने के कारण पानी में वर्तमान ऑक्सीजन निकल गया। तेल, जो कि पानी से हल्का होता है, की परत पानी के उपर रहने के कारण जिसके कारण परखनली "B" में खाली स्थान में उपस्थित ऑक्सीजन का संपर्क उसमें रखे गये लोहे के कील से नहीं हुआ तथा कीलों में जंग नहीं लगा।

(c) परखनली "C" में नल का पानी रहने उसमें रखे गये कील ऑक्सीजन तथा ऑक्सीजन के संपर्क में आये जिसके कारण कीलों में जंग लग गया।


इस क्रियाकलाप से यह पता चलता है कि लोहे में जंग लगने के लिये लोहे का पानी तथा ऑक्सीजन दोनों के संपर्क में आना आवश्यक है।

लोहे में जंग लगने से सुरक्षा या बचाव

चूँकि ऑक्सीजन तथा पानी दोनों के संपर्क में ही आने से लोहे में जंग लगता है अत: लोहे से बने सामानों किसी एक अर्थात पानी या ऑक्सीजन या दोनों के संपर्क में आने से रोक देने पर लोहे को जंग से बचाया जा सकता है।


लोहे में जंग लगने से सुरक्षा या बचाव के कई तरीके हैं, जिनमें से कुछ निम्नांकित हैं:

पेंटिंग

लोहे से बने सामानों पर पेंट की एक या दो परत चढ़ा देने से उसे जंग से बचाया जा सकता है।


लोहे से बने सामानों पर पेंट की एक या दो परत चढ़ा देने पर लोहा हवा में वर्तमान ऑक्सीजन या नमी के संपर्क में नहीं आता है तथा जंग नहीं लगता है।


यही कारण है कि लोहे से बने ग्रिल, कुर्सियां, दरबाजे, पुलों के गर्टर आदि को नियमित रूप से पेंत किया जाता है ताकि उन्हें हवा में वर्तमान नमी के संपर्क में आने से रोका जा सके एवं उसकी जंग से सुरक्षा की जा सके।

लोहे के सामानों पर ग्रीस या तेल की परत का चढ़ाना

लोहे के सामानों पर ग्रीस या तेल की परत चढ़ा देने से वे हवा में उपस्थित नमी के संपर्क में नहीं आते हैं तथा उनको जंग लगने से बचाया जाता है।


यही कारण है कि सायकल आदि की चेन पर ग्रीस की परत नियमित रूप से चढ़ाई जाती है ताकि उन्हें जंग लगने से बचाया जा सके।

यशदलेपन (Galvanisation)

लोहे आदि से बने सामानों पर जिंक धातु की परता चढ़ाने की प्रक्रिया को यशदलेपन (Galvanisation) कहते हैं। जिंक परत लोहे से बने सामान को हवा में उपस्थित पानी तथा ऑक्सीजन के संपर्क में आने से रोकते हैं, जिससे उनकी जंग से बचाया जाता है, अर्थात जंग नहीं लगता है।


हालाँकि जिंक आयरन से ज्यादा अभिक्रियाशील है, लेकिन जिंक का हवा में वर्तमान ऑक्सीजन के साथ प्रतिक्रिया कर जिंक ऑक्साईड बनाता है, जिसकी एक पतली परत जिंक पर चढ़ जाती है, जो जिंक के निचली परता को आगे ऑक्सीजन के साथ प्रतिक्रिया करने से रोकता है।

यही कारण है कि पानी की लाईनों में उपयोग किये जाने वाले लोहे के पाईप को गैल्वनाएज्ड किया जाता है, जिससे उनकी सुरक्षा जंग से किया जा सके।

टिन (tin) या क्रोमियम (Chromium) प्लेटिंग (Plating)

लोहे से बने सामानों के उपर टिन (tin) या क्रोमियम (Chromium) की परत चढ़ाने की प्रक्रिया को टिन या क्रोमियम प्लेटिंग (Chromium plating) कहते हैं। लोहे से बने सामानों पर टिन (tin) या क्रोमियम (Chromium) की परत इलेक्ट्रोप्लेटिंग (electroplating) की प्रक्रिया द्वारा की जाती है।


टिन (tin) या क्रोमियम (Chromium) की परत लोहे से बने सामानों को हवा में वर्तमान ऑक्सीजन (oxygen) के संपर्क में आने से बचाता है, साथ ही टिन तथा क्रोमियम जंग रोधी (corrosion resistant) है। अत: यह परत लोहे के सामानों को जंग से बचाया जाता है। साथ ही क्रोमियम (Chromium) की परत सामानों को एक चमकदार तथा आकर्षक बनाती है।


यही कारण है कि सायकल के हैंडल, सायकल के रिम आदि क्रोमियम प्लेटिंग की जाती है।

मिश्रात्वन (Alloying)

दो या दो से अधिक धातुओं के समांगी मिश्रण बनाने की क्रिया को मिश्रात्वन (Alloying) कहते हैं। मिश्रात्वन (Alloying) से धातु के गुणों में वांछित सुधार लाया जाता है।


उदाहरण:


स्टेनलेश स्टील को लोहा, क्रोमियम (chromium) तथा निकेल (nickel) को मिश्रित कर बनाया जाता है। स्टेनलेश स्टील (stainless steel) जंग रोधी (corrosion resistant) होता है।


यही कारण है कि खाना पकाने के बर्तन तथा खाने के बर्तन, जिन्हें बार बार धोने की आवश्यकता होती है प्राय: स्टेनलेश स्टील (stainless steel) के बने होते हैं।

अल्युमिनियम का संक्षारण (Corrosion or tarnishing of aluminium)

अल्युमिनियम (Aluminium) लोहा (Iron) से ज्यादा अभिक्रियाशील (reactive) है। जब अल्युमिनियम हवा में उपस्थित ऑक्सीजन (oxygen) से प्रतिक्रिया करता है तो अल्युमिनियम ऑक्साईड (Aluminium oxide) बनाता है। इस तरह से बने अल्युमिनियम ऑक्साईड (aluminium oxide) की एक परत अल्युमिनियम से बने सामान पर चढ़ जाती है। अल्युमिनियम ऑक्साईड (aluminium oxide) ऑक्सीजन (oxygen) से प्रतिक्रिया नहीं करती है, जिसके कारण यह परत अल्युमिनियम से बने सामान को आगे ऑक्सीजन के साथ प्रतिक्रिया से बचाती है।


अल्युमिनियम (aluminium) से बने सामानों पर अल्युमिनियम ऑक्साईड (aluminium oxide) की परत का चढ़ना अल्युमिनियम का संक्षारण (corrosion or tarnishing of aluminium) कहलाता है।

ताम्बे का संक्षारण (corrosion or tarnishing of copper)

जब कॉपर से बना सामान लम्बे समय तक हवा के संपर्क में रहता है तो हवा में उपस्थित कार्बन डाईऑक्साइड (Carbon dioxide) से प्रतिक्रिया कर कॉपर कार्बोनेट (Copper carbonate) बनाता है, इस कॉपर कार्बोनेट (Copper carbonate) की एक परत, जिसका रंग हरा होता है, कॉपर से बने सामान पर चढ़ जाने के कारण कॉपर का रंग हरा हो जाता है तथा कॉपर के प्रकृतिक रंग को धूमिल कर देता है। इस प्रक्रिया को ताम्बे का संक्षारण कहते (corrosion or tarnishing of copper) हैं।


प्राय: ताम्बे से बने सामान, यथा सिक्के, बर्तन आदि कुछ समय पश्चात हरे रंग का दिखने लगता है तथा उसकी प्राकृतिक चमक धुमिल हो जाती है, ऐसा ताम्बे का संक्षारण (corrosion or tarnishing of copper) के कारण होता है।

चाँदी का संक्षारण (corrosion or tarnishing of silver)

जब चाँदी से बना सामान, यथा सिक्के, बर्तन, जेवर आदि लम्बे समय तक हवा के संपर्क में रहता है तो चाँदी के सामानों पर काले रंग काला हो जाता है। ऐसा चाँदी का हवा में उपस्थित सल्फर (sulphur) के साथ प्रतिक्रिया के कारण, सिल्वर सल्फाईड (Silver sulphide) बनने तथा उसकी परत चाँदी पर चढ़ जाने के कारण होता है। इस प्रक्रिया को चाँदी का संक्षारण (corrosion or tarnishing of silver) कहते हैं।

मिश्रातु (Alloy)

दो या दो से अधिक धातु के समांगी मिश्रण को मिश्रातु (Alloy) कहते हैं। मिश्रात्वन (Alloying) धातु के गुणों यथा शक्ति (strength), संक्षारण रोधन क्षमता (corrosion resistant), आदि को बढ़ाता है।


उदाहरण: स्टेनलेश स्टील (stainless steel) आयरन (iron), निकेल (nickel) तथा क्रोमियम (Chromium) का मिश्रातु है। इन धातुओं को आयरन में मिला देने से आयरन की संक्षारण रोधन क्षमता (Corrosion resistant) बढ़ जाती है।

कार्बन (carbon) को आयरन (iron) के साथ मिला देने से आयरन की कठोरता तथा शक्ति बढ़ जाती है।

ब्रांज (Bronze)

ब्रांज कॉपर (copper) तथा टिन (tin) का मिश्रातु (alloy) है। ब्रांज को में 88% कॉपर तथा 12% टिन को मिलाकर बनाया जाता है।


ब्रांज का उपयोग जहाजों के पंखे (propeller), बैरिंग (bearing), मूर्तियाँ आदि बनाने में होता है। ब्रांज ताम्बे से ज्यादा संक्षारण रोधी (corrosion resistant)होता है।

ब्रास (Brass)

ब्रास कॉपर (copper) तथा जिंक (zinc) का मिश्रातु (alloy) है। ब्रास की मैलियेबिलिटी (malleability), कॉपर से ज्यादा होती है।


ब्रास का उपयोग मूर्तियाँ, वाद्य यंत्र आदि बनाने में होता है।

सोने का मिश्रात्वन (Alloying)

सोना बहुत ही मुलायम धातु है जिसके कारण केवल सोने से जेवरों को बनाना मुश्किल है। अत: सोने को थोड़ा कठोर बनाने के लिये उसमें चाँदी या ताम्बे की थोड़ी मात्रा मिलाई जाती है, जिससे जेवर बनाने में आसानी होती है।


शुद्ध सोने को 24 कैरेट कहा जाता है। सोने में 2% चाँदी या तम्बा मिलाने के बाद सोने की शुद्धता 22 कैरेट हो जाती है। बाजार में उपलब्ध सोने के जेवर प्राय: 22 कैरेट सोने के बने होते हैं। 22 कैरेट सोने का अर्थ है 98% शुद्ध सोना।

अमेलगम (Amalgam)

अदि किसी भी मिश्रातु में पारद मिला होता है तो उस मिश्रातु को अमेलगम कहते हैं। अमेलगम (Amalgam) पारद तथा अन्य धातुओं का समांगी मिश्रण है।


मिश्रातु का विद्युत संवहन क्षमता तथा गलणांक (Electrical conductivity and melting point)


मिश्रातु (alloy) की विद्युत संवहन क्षमता (electrical conductivity) शुद्ध धातु से कम होती है। तथा मिश्रातु (alloy) का गलणांक (melting point) भी शुद्ध धातु से कम होता है।


उदाहरण:


ब्रास जो कि कॉपर तथा जिंक का एक मिश्रातु (alloy) है की विद्युत संवहन क्षमता (electrical conductivity) शुद्ध कॉपर से कम होती है।


ब्रांज, जो कि कॉपर तथा टिन का एक मिश्रातु (alloy) है विद्युत का अच्छा सुचालक नहीं (not a good conductor of electricity) है।


सोल्डर आयरन (solder iron), का उपयोग इलेक्ट्रॉनिक सामानों में तारों को जोड़ने में होता है क्योंकि इसका गलणांक (melting point) कम होता है। सोल्डर आयरन लेड तथा टिन का एक मिश्रातु है।




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8)Zink thox kya hai ka isko kaise banai jati hai?
9)zink dust kya hai uoopyog kya hai kaise banai jati hai?


Lokesh on 28-07-2022

Hi

Ra on 09-05-2022

Jag lagana kise kahte hai


Rajesh acharya on 30-03-2021

Zinksulphide ka melting point kyo badh jata hai.?



Aditi on 11-04-2020

Lohe se bane kisi bartan par jng ka lgna kahlata hai

Adarsh on 21-06-2020

Lohe ke jung lagne ki parkiroya ko kiya kehte hai



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