England Me Audyogik Kranti Kab Hui Thi इंग्लैंड में औद्योगिक क्रांति कब हुई थी

इंग्लैंड में औद्योगिक क्रांति कब हुई थी



Pradeep Chawla on 12-05-2019

ट्ठारहवीं शताब्दी के उत्तरार्ध तथा उन्नीसवीं शताब्दी के पूर्वार्ध में कुछ पश्चिमी देशों के तकनीकी, सामाजिक, आर्थिक एवं सांस्कृतिक स्थिति में काफी बड़ा बदलाव आया। इसे ही औद्योगिक क्रान्ति (Industrial Revolution) के नाम से जाना जाता है। यह सिलसिला ब्रिटेन से आरम्भ होकर पूरे विश्व में फैल गया। औद्योगिक क्रांति शब्द का इस संदर्भ में उपयोग सबसे पहले आरनोल्ड टायनबी ने अपनी पुस्तक लेक्चर्स ऑन दि इंड्स्ट्रियल रिवोल्यूशन इन इंग्लैंड में सन् 1844 में किया।



औद्योगिक क्रान्ति का सूत्रपात वस्त्र उद्योग के मशीनीकरण के साथ आरम्भ हुआ। इसके साथ ही लोहा बनाने की तकनीकें आयीं और शोधित कोयले का अधिकाधिक उपयोग होने लगा। कोयले को जलाकर बने वाष्प की शक्ति का उपयोग होने लगा। शक्ति-चालित मशीनों (विशेषकर वस्त्र उद्योग में) के आने से उत्पादन में जबरदस्त वृद्धि हुई। उन्नीसवी सदी के प्रथम् दो दशकों में पूरी तरह से धातु से बने औजारों का विकास हुआ। इसके परिणामस्वरूप दूसरे उद्योगों में काम आने वाली मशीनों के निर्माण को गति मिली। उन्नीसवी शताब्दी में यह पूरे पश्चिमी यूरोप तथा उत्तरी अमेरिका में फैल गयी।



अलग-अलग इतिहासकार औद्योगिक क्रान्ति की समयावधि अलग-अलग मानते नजर आते हैं जबकि कुछ इतिहासकार इसे क्रान्ति मानने को ही तैयार नहीं हैं।



अनेक विचारकों का मत है कि गुलाम देशों के स्रोतों के शोषण और लूट के बिना औद्योगिक क्रान्ति सम्भव नही हुई होती, क्योंकि औद्योगिक विकास के लिये पूंजी अति आवश्यक चीज है और वह उस समय भारत आदि गुलाम देशों के संसाधनों के शोषण से प्राप्त की गयी थी।





8 बाहरी कड़ियाँ

कारण

कृषि क्रांति

जनसंख्या विस्फोट

व्यापार प्रतिबंधों की समाप्ति

उपनिवेशों का कच्चा माल तथा बाजार

पूंजी तथा नयी प्रौद्योगिकी

पुनर्जागरण काल और प्रबोधन

राष्ट्रवाद

कारखाना प्रणाली

इतिहास



सन् १८६८ में जर्मनी के केमनीज (Chemnitz) शहर के एक कारखाने का मशीन-हाल

16वीं तथा 17वीं शताब्दियों में यूरोप के कुछ देशों ने अपनी नौसैैन्य शक्ति के आधार पर दूसरे महाद्वीपों पर आधिपत्य जमा लिया। उन्होंने वहाँ पर धर्म तथा व्यापार का प्रसार किया। उस युग में मशीनों का आविष्कार बहुत कम हुआ था। जहाज लकड़ी के ही बनते थे। जिन वस्तुओं का भार कम परंतु मूल्य अधिक होता उनकी बिक्री सात समुद्र पार भी हो सकती थी। उस युग में नए व्यापार से धनोपार्जन का एक नया प्रबल साधन प्राप्त किया और कृषि का महत्व कम होने लगा। व्यक्तियों में किसी सामंत की प्रजा के रूप में रहने की भावना का अंत होने लगा। अमरीका के स्वाधीन होने तथा फ्रांस में भ्रातृत्व, समानता और स्वतंत्रता के आधार पर होनेवाली क्रांति ने नए विचारों का सूत्रपात किया। प्राचीन शृंखलाओं को तोड़कर नई स्वतंत्रता की ओर अग्रसर होने की भावना का आर्थिक क्षेत्र में यह प्रभाव हुआ कि गाँव के किसानों में अपना भाग्य स्वयं निर्माण करने की तत्परता जाग्रत हुई। वे कृषि का व्यवसाय त्याग कर नए अवसर की प्रतीक्षा करने लगे। यह विचारधारा 18वीं शताब्दी के अंत में समस्त यूरोप में व्याप्त हो गई। इंग्लैंड में उन दिनों कुछ नए यांत्रिक आविष्कार हुए। जेम्स के फ़्लाइंग शटल (1733), हारग्रीव्ज़ की स्पिनिंग जेनी (1770), आर्कराइट के वाटर पावर स्पिनिंग फ़्रेम (1769), क्रांपटन के म्यूल (1779) और कार्टराइट के पावर लूम (1785) से वस्त्रोत्पादन में पर्याप्त गति आई। जेम्स वाट के भाप के इंजन (1789) का उपयोग गहरी खानों से पानी को बाहर फेंकने के लिए किया गया। जल और वाष्प शक्ति का धीरे-धीरे उपयोग बढ़ा और एक नए युग का सूत्रपात हुआ। भाप के इंजन में सर्दी, गर्मी, वर्षा सहने की शक्ति थी, उससे कहीं भी 24 घंटे काम लिया जा सकता था। इस नई शक्ति का उपयोग यातायात के साधनों में करने से भौगोलिक दूरियाँ कम होने लगीं। लोहे और कोयले की खानों का विशेष महत्व प्रकट हुआ और वस्त्रों के उत्पादन में मशीनों का काम स्पष्ट झलक उठा।



इंग्लैंड में नए स्थानों पर जंगलों में खनिज क्षेत्रों के निकट नगर बसे नहरों तथा अच्छी सड़कों का निर्माण हुआ और ग्रामीण जनसंख्या अपने नए स्वतंत्र विचारों को क्रियान्वित करने के अवसर का लाभ उठाने लगी। देश में व्यापारिक पूँजी, साहस तथा अनुभव को नयाक्षेत्र मिला। व्यापार विश्वव्यापी हो सका। देश की मिलों को चलाने के लिए कच्चे माल की आवश्यकता हुई, उसे अमरीका तथा एशिया के देशों से प्राप्त करने के उद्देश्य से उपनिवेशों की स्थापना की गई। कच्चा माल प्राप्त करने और तैयार माल बेचने के साधन भी वे ही उपनिवेश हुए। नई व्यापारिक संस्थाओं, बैकों और कमीशन एजेंटों का प्रादुर्भाव हुआ। एक विशेष व्यापक अर्थ में दुनिया के विभिन्न हिस्से एक दूसरे से संबद्ध होने लगे। 18वीं सदी के अंतिम 20 वर्षों में आरंभ होकर 19वीं के मध्य तक चलती रहनेवाली इंग्लैंड की इस क्रांति का अनुसरण यूरोप के अन्य देशों ने भी किया। हॉलैंड(अनौपचारिक रूप से वर्तमान नीदरलैड), फ्रांस में शीघ्र ही, तथा जर्मनी, इटली आदि राष्ट्रों में बाद में, यह प्रभाव पहुँचा। अंतर्राष्ट्रीय क्षेत्र में व्यापारियों ने अपने-अपने राज्यों में धन की वृद्धि की और बदले में सरकारों से सैन्य सुविधाएँ तथा विशषाधिकार माँगे। इस प्रकार आर्थिक तथा राजनीतिक क्षेत्रों में व्यापार तथा सेना का यह सहयोग उपनिवेशवाद की नींव को सुदृढ़ करने में सहायक हुआ। राज्यों के बीच, अपने देशों की व्यापारनीति को प्रोत्साहन देने के प्रयास में, उपनिवेशों के लिए युद्ध भी हुए। उपनिवेशों का आर्थिक जीवन मूल राष्ट्र की औद्योगिक आवश्यकताओं की पूर्ति करनेवाला बन गया। स्वतंत्र अस्तित्व के स्थान पर परावलंबन उनकी विशेषता बन गई। जिन देशों में औद्योगिक परिवर्तन हुए वहाँ मानव बंधनों से मुक्त हुआ, नए स्थानों पर नए व्यवसायों की खोज में वह जा सका, धन का वह अधिक उत्पादन कर सका। किंतु इस विकसित संपत्ति का श्रेय किसी हो और उसक प्रतिफल कौन प्राप्त करे, ये प्रश्न उठने लगे। 24 घंटे चलनेवाली मशीनों को सँभालनेवाले मजदूर भी कितना काम करें, कब और किस वेतन पर करें, इन प्रश्नों पर मानवता की दृष्टि से विचार किया जाने लगा। मालिक-मजदूर-संबंधों को सहानुभूतिपूर्ण बनाने की चेष्टाएँ होने लगीं। मानव मुक्त तो हुआ, पर वह मुक्त हुआ धनी या निर्धन होने के लिए, भरपेट भोजन पाने या भूखा रहने के लिए, वस्त्रों का उत्पादन कर स्वयं वस्त्रविहीन रहने के लिए। अतएव दूसरे पहलू पर ध्यान देने के लिए शासन की ओर से नए नियमों की आवश्यकता पड़ी, जिनकी दिशा सदा मजदूरों की कठिनाइयाँ कम करने, उनका वेतन तथा सुविधाएँ बढ़ाने तथा उन्हें उत्पादन में भागीदार बनाने की ओर रही।



इस प्रकार 18वीं शताब्दी के अंतिम 20 वर्षों में फ्रांस की राज्यक्रांति से प्रेरणा प्राप्त कर इंग्लैंड में 19वीं शताब्दी में विकसित मशीनों का अधिकाधिक उपयोग होने लगा। उत्पादन की नई विधियों और पैमानों का जन्म हुआ। यातायात के नए साधनों द्वारा विश्वव्यापी बाजार का जन्म हुआ। इन्ही सबसे संबंधित आर्थिक एवं सामाजिक परिणामों का 50 वर्षों तक व्याप्त रहना क्रांति की संज्ञा इसलिए पा सका कि परिवर्तनों की वह मिश्रित श्रृंखला आर्थिक-सामाजिक-व्यवस्था में आधारभूत परिवर्तन की जन्मदायिनी थी।



संसार के दूसरे देशों तथा उपनिवेशों के स्वतंत्र होकर आगे बढने से इस क्रांति के प्रभाव धीरे-धीरे दृष्टिगत होने लगे। उनके समक्ष 20वीं शताब्दी में कृषि के स्थान पर उद्योगों को विकसित करने का प्रश्न है किंतु उनके पास न तो गत दो शताब्दियों के व्यापार की एकत्रित पूँजी तथा अनुभव है और न उनमें यातायात तथा मूल उद्योगों का विकास ही हुआ है। ये राष्ट्र स्वाधीन होने के पश्चात् अन्य संपन्न राष्ट्रों से सीमित रूप में पूँजी तथा यांत्रिक सहायता प्राप्त करने की चेष्टाओं में लगे हैं, किंतु इस प्रकार की सहायता के बदले में वे किसी राजनीतिक बंधन में नहीं पड़ना चाहते। इन राष्ट्रों का मूलभूत उद्देश्य अपने यहाँ उसी प्रकार के परिवर्तन करना है जैसे परिवर्तन औद्योगिक क्रांति के साथ यूरोप में हुए। पर यह स्पष्ट है कि मूलत: इन नए राष्ट्रों को अपने लिए कच्चा माल प्राप्त करने तथा पक्के माल का विक्रय करने के साधन अपनी सीमाओं के अनुसार ही विकसित करना है। इसके लिए चार्लिन चेल्प्लिन की फिल्म मोदेर्ण टाइम एक अच्छा उदाहरण है जो सन 1936 में पहली बार दिखाई गयी वैसे तो ये गूंगी फिल्म है लेकिन इसमें औद्योगिक क्रांति, मशीन और इंसान का सम्बन्ध बताया गया है।




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Comments RAJENDRA ahirwar on 22-10-2023

इंग्लैंड की औद्योगिक क्रांति किसने आरंभ की थी

Geeta on 13-03-2022

औद्योगिक क्रांति इंग्लैंड में ही क्यों हुई

Hijab on 21-02-2022

Inglend per Audyogikaran ke pirbhavo ki vivechna kijiye


sudama on 04-02-2022

audogik kranti england me kab huyi

Rajesh on 26-12-2021

Inglen me odhhogik kranti kab hui thi

Mansi on 19-11-2021

England me adoyogik kranti kaon se san me hui

Ajay Kumar Rathaur on 25-09-2021

England me audogik kranti kab huyi


Monu Kumar on 10-09-2021

England Mein audyogik Kranti kab Shuru Hui



Mukesh King on 18-01-2020

इंग्लैंड में औद्योगिक क्रांति की शुरुआत कब हुई

Satish Maurya on 23-02-2020

audyogik Kranti kab ghatit Hui

Hijab on 15-04-2020

Englend me audyogikaran ke pirbhav

Monu Kumar on 05-08-2020

England Mein audyogik Kranti kab Shuru Hui bataiye


Sk on 24-06-2021

England me industrial revolution kn huti thi



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