प्रकाश ऊर्जा का एक रूप है, जो हमें वस्तुओं को देखने में सक्षम बनाता है और जिस सीधी रेखा पर वह चलता है उसे ‘प्रकाश की किरण’ कहते हैं। प्रकाश सीधी रेखा पर चलता है,जिसे परावर्तित या अपवर्तित किया जा सकता है।
प्रकाश का परावर्तन
वस्तु की सतह पर पड़ने वाली प्रकाश किरणों को जिस प्रक्रिया के माध्यम से वापस भेजा जाता है, उसे प्रकाश का परावर्तन कहते हैं। इसलिए, जब किसी वस्तु की सतह पर प्रकाश की किरणें पड़ती हैं, वह प्रकाश को वापस भेज देता है।
धुंधली या बिना पॉलिश की गई सतह वाली वस्तुओं की तुलना में चमकदार और पॉलिश की गई वस्तु की सतह से अधिक प्रकाश परावर्तित होता है। चाँदी प्रकाश का सबसे अच्छा परावर्तक है। यही वजह है कि सादा काँच की शीट की एक तरफ चाँदी की पतली परत लगाकर समतल दर्पण बनाया जाता है। चाँदी की इस परत को लाल रंग के पेंट से सुरक्षित किया जाता है।
जिस सीधी रेखा पर प्रकाश यात्रा करता है उसे प्रकाश की किरण कहा जाता है।
प्रकाश का नियमित परावर्तन और प्रकाश का विसरित परावर्तन
नियमित परावर्तन में, परावर्तित प्रकाश की समानांतर बीम एक दिशा में समानांतर बीम के रूप में परिलक्षित होता है। ऐसे में परावर्तन के बाद भी समानांतर परावर्तित किरणें समानांतर बनी रहती हैं और सर्फ एक ही दिशा में जाती हैं और यह चिकनी सतह जैसे समतल दर्पण या अत्यधिक पॉलिश की गई धातु की सतहों से होती हैं। इसलिए समतल दर्पण प्रकाश का नियमित परावर्तन करता है।
चूंकि परावर्तन का कोण और प्रतिबिंब का कोण समान या बराबर होता है, इसलिए चिकनी सतह पर पड़ने वाली समानांतर किरणों का बीम सिर्फ एक दिशा में समानांतर प्रकाश किरणों के बीम के तौर पर परावर्तित होता है। इसे नीचे चित्र में समझाया गया है-
विसरित परावर्तन में, परावर्तित प्रकाश की समानांतर बीम अलग– अलग दिशाओं में परावर्तित होती है। ऐसे में, परावर्तन के बाद सामानंतर परावर्तित किरणें समानांतर नहीं रह जातीं, वे अलग– अलग दिशाओं में फैल जाती हैं। इसे अनियमित परावर्तन या बिखरना भी कहते हैं और इसलिए ये कागज, कार्डबोर्ड, चॉक, मेज, कुर्सी, दीवारें और बिना पॉलिश की हुई धातु की वस्तुओं जैसी अपरिष्कृत सतहों से होती हैं। चूंकि परावर्तन का कोण और प्रतिबिंब का कोण अलग होता है, अपरिष्कृत सतह पर पड़ने वाली प्रकाश की किरण ऊपर चित्र में जिस प्रकार दिखाया गया है, उसी प्रकार अलग– अलग दिशाओं में चली जाती है।
समतल दर्पण से प्रकाश का परावर्तन
प्रकाश के परावर्तन के नियम को समझने से पहले, आइए कुछ महत्वपूर्ण शब्दों जैसे परावर्तन किरण, परावर्तित किरण, परावर्तन बिन्दु, नॉर्मल ( परावर्तन बिन्दु पर), परावर्तन कोण और प्रतिबिंब का कोण, का अर्थ समझ लें।
परावर्तन किरणः एक दर्पण के सतह पर पड़ने वाली प्रकाश किरण को परावर्तन किरण कहा जाता है।
परावर्तन बिन्दुः दर्पण की सतह पर जिस बिन्दु पर परावर्तन किरण पड़ती है, उसे परावर्तन बिन्दु कहा जाता है।
परावर्तित किरणः परावर्तन बिन्दु से दर्पण द्वारा वापस भेजी गई प्रकाश किरण को परावर्तित किरण कहते हैं।
नॉर्मलः परावर्तन बिन्दु पर दर्पण के तहत पर लंबवत या समकोण पर खड़ी रेखा को नॉर्मल कहते हैं।
परावर्तन का कोणः नॉर्मल के साथ परावर्तन किरण द्वारा बनाया गया कोण परावर्तन का कोण कहलाता है।
प्रतिबिंब का कोणः परावर्तित किरण द्वारा नॉर्मल के साथ परावर्तन बिन्दु पर बनाया गया कोण प्रतिबिंब का कोण कहलाता है.
प्रकाश के परावर्तन के नियम
प्रकाश के परावर्तन का नियम समतल दर्पण के साथ साथ गोलाकार दर्पण पर भी लागू होता है। इस लेख में हम समतल दर्पण द्वारा बनाई जाने वाली छवियों के बारे में चर्चा करेंगे।
परावर्तन का पहला नियमः पहले नियम के अनुसार, परावर्तन किरण, परावर्तित किरण और नॉर्मल तीनों एक ही तल में होते हैं।
परावर्तन का दूसरा नियमः दूसरे नियम के अनुसार, परावर्तन का कोण हमेशा प्रतिबिंब के कोण के बराबर होता है।
इसके अलावा, यह नोट करना महत्वपूर्ण है कि जब दर्पण के सतह पर प्रकाश की किरणें सामान्य रूप से पड़ती हैं, तब इस प्रकार पड़ने वाली किरण के लिए परावर्तन के कोण और प्रतिबिंब का कोण शून्य होता है। प्रकाश की यह किरण उसी मार्ग पर वापस परावर्तित होगी।
वस्तु और छवियां
प्रकाशवान किसी भी वस्तु ,जैसे-बल्ब, मोमबत्ती, पेड़ आदि, से आ रही प्रकाश की किरणें जब दर्पण द्वारा परावर्तित होती हैं तब पैदा होने वाली ऑप्टिकल उपस्थिति छवि कहलाती है। उदाहरण के लिए, जब हम दर्पण में देखते हैं तो हमें अपना चेहरा दिखाई देता है। छवियाँ दो प्रकार की होती हैं– वास्तविक छवि और आभासी छवि।
वास्तविक छविः स्क्रीन पर देखी जा सकने वाली छवि को वास्तविक छवि कहा जाता है।
आभासी छविः वैसी छवि जिसे स्क्रीन पर नहीं देखा जा सकता उसे आभासी छवि कहा जाता है।
पार्श्व व्युत्क्रमः जब हम एक दर्पण के सामने खड़े होते हैं और अपने दाहिने हाथ को ऊपर की ओर उठाते हैं, तो जो छवि बनती है उसमें बायाँ हाथ उठा हुआ दिखाई देता है। इसलिए छवि में हमारे शरीर का दाहिना हिस्सा बायाँ हिस्सा बन जाता है और दर्पण की छवि में हमारे शरीर का बायाँ हिस्सा हमारे शरीर का दायाँ हिस्सा बन जाता है।
वस्तु की दर्पण की छवि में उसके पक्षों में होने वाला यह परिवर्तन पार्श्व व्युत्क्रम (lateral inversion) कहलाता है।
समतल दर्पण में छवि का बनना
समतल दर्पण द्वारा बनाई गई छवि की प्रकृतिः
• छवि आभासी और सीधी होती है।
• छवि का आकार वस्तु के आकार के बराबर होता है।
• छवि दर्पण के पीछे बनती है।
• छवि दर्पण से उतना ही पीछे बनती है, जितना दर्पण के आगे वस्तु रखी होती है।
• समतल दर्पण में बनी छवि पार्श्व व्युत्क्रम होती है।
समतल दर्पण का उपयोग
• ड्रेसिंग टेबल और बाथरूम में लगे दर्पण समतल दर्पण होते हैं और इनका प्रयोग हम स्वयं को देखने को देखने के लिए करते हैं।
• इन्हें आभूषण की दुकानों की भीतरी दीवारों पर आभूषणों को बड़ा दिखाने के लिए लगाया जाता है।
• इन्हें सड़कों के तीव्र मोड़ों पर लगाया जाता है, ताकि चालक सामने से आ रहे वाहनों को देख सके।
• पेरीस्कोप बनाने में भी इसका इस्तेमाल किया जाता है।
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