राजस्थान सामान्य ज्ञान-पंचायती राज हेतु संविधान संशोधन

Constitution Amendment 72 and 73 Panchayati Raj

16 सितम्बर 1991 को पी.वी. नरसिम्हा राव सरकार द्वारा पंचायती राज के संबंध में 72 वाँ संविधान संशोधन विधेयक लोकसभा में प्रस्तुत किया गया। लोकसभा ने इस विधेयक की समीक्षा हेतु श्री नाथूराम मिर्धा (राजस्थान) की अध्यक्षता में संयुक्त प्रवर समिति का गठन किया। इस समिति की सिफारिशों के आधार पर 22 दिसम्बर 1992 को लोकसभा द्वारा तथा अगले दिन राज्यसभा में 73 वाँ संविधान संशोधन अधिनियम, 1992 पारित किया गया। 17 राज्यों के अनुमोदन के पश्चात राष्ट्रपति ने इसे 20 अप्रेल 1993 को अपनी स्वीकृति प्रदान की तथा एक अधिसूचना द्वारा 24 अप्रेल 1993 का यह अधिनियम मिजोरम, मेघालय, नागालैंड, जम्मू कश्मीर, दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र व मणिपुर के कुछ पहाड़ी क्षेत्रों को छोड़कर संपूर्ण देश में लागू हो गया। इस संशोधन अधिनियम के द्वारा संविधान के अनुच्छेद 243 को नवें भाग के रूप में जोड़ा गया तथा 11 वीं अनुसूची में जोड़ी गई। जिसमें पंचायती राज संस्थाओं के 29 कार्यो को सूचीबद्ध किया गया है। इस अधिनियम के द्वारा पंचायती राज व्यवस्था को संवैधानिक मान्यता प्राप्त हो गई है। इस अधिनियम द्वारा यह अपेक्षा की गई थी कि देश की सभी राज्य सरकारें इस अधिनियम के लागू होने की तिथि से एक वर्ष के भीतर अपने पुराने प्रचलित पंचायती राज अधिनियमों को निरस्त कर 73 वें संविधान संशोधन अधिनियम के परिप्रेक्ष्य में नए पंचायती राज अधिनियम तैयार कर लागू करें। इन्हीं निर्देशों की अनुपालना में राजस्थान सरकार ने अपने पुराने दोनों अधिनियमों को निरस्त कर एक नया पंचायती राज अधिनियम तैयार कर 23 अप्रेल 1994 से लागू कर दिया जिसे हम ‘राजस्थान पंचायती राज अधिनियम, 1994’ के नाम से पुकारते हैं। इस अधिनियम के संदर्भ में ‘राजस्थान पंचायती राज नियम, 1996’ बनाए गए हैं जो 30 दिसम्बर 1996 से लागू कर दिए गए हैं।
राज्य में वर्तमान में 249 पंचायत समितियां, 9177 ग्राम पंचायतें व 33 जिला परिषदें हैं।

73वां संविधान संशोधन अधिनियम, 1992 प्रमुख प्रावधान 


ग्राम सभा: प्रत्येक ग्राम पंचायत क्षेत्र के लिए एक ग्राम सभा होगी जिसके सदस्य उस पंचायत के अन्तर्गत आने वाले गांव या गांवों से संबंधित मतदाता सूची में पंजीकृत व्यक्ति होंगे।
प्रत्येक राज्य में पंचायती राज की त्र‍िस्‍तरीय व्यवस्था होगी जिसमें ग्राम , मध्यवर्त व जिला स्तर पर पंचायतों का गठन किया जाएगा परन्तु 20 लाख तक की आबादी वाले राज्यों में मध्यवर्ती स्तर की पंचायत का गठन करना आवश्यक नहीं है। 
 
कार्यकाल पंचायती राज संस्थाओं का कार्यकाल प्रथम अधिवेशन के लिए नियत तारीख से 5 वर्ष तक होगा।
कार्यकाल की समाप्ति से पूर्व ही चुनाव कराने आवश्यक होंगे किसी संस्था का विघटन किये जाने की स्थिति में विघटन से 6माह के भीतर उसके चुनाव कराने आवश्यक होंगे। 
 
चुनाव
ग्राम व मध्यवर्ती स्तर पर पंचायत के सभी सदस्य प्रत्यक्ष मतदान द्वारा तथा जिला पंचायत के सभी सदस्य राज्य विधान मंडल द्वारा बनाई गई विधि के अनुसार चुनें जाएंगे।
अध्यक्षों का चुनाव ग्राम स्तर पर राज्य विधानमण्डल द्वारा विहित रीति से एवं मध्यवर्ती व जिला स्तर पर निर्वाचित सदस्यों द्वारा अपने में से होगा।

किसी भी पंचायती राज संस्था का चुनाव लड़ने के लिए न्यूनतम आयु 21 वर्ष होगी। 
 
आरक्षण
सभी पंचायतों में सभी पदों पर (अध्यक्ष पद सहित) अनुसूचित जातियों एवं जनजातियों तथा अन्य पिछड़े वर्गो के लिए उनकी जनसंख्या के अनुपात में सीटें सुरक्षित होगी सभी पदों पर सभी वर्गो में 1/3 स्थान महिलाओं के लिए आरक्षित होंगे।
ऐसे स्थान किसी पंचायत में भिन्न भिन्न निर्वाचित क्षेत्रों को चक्रानुक्रम से आवंटित किए जाएंगे। केन्द्र सरकार ने अब पंचायती राज संस्थाओं में महिलाओं के लिए 50 प्रतिशत आरक्षण के प्रावधान को 27.08.09 को मंजूरी दे दी।
राज्य के विधानमंडल को यह छूट होगी कि पंचायतों में पिछड़े वर्गो के लिए भी स्थान सुरक्षित रखें।
निर्वाचन आयोग प्रत्येक राज्य में इन संस्थाओं के चुनाव निष्पक्ष व समय पर करवाने हेतु पृथक से चुनाव आयोग की स्थापना की जाएगी, जिसका प्रमुख राज्य निर्वाचन आयुक्त होगा इसकी निुयक्ति राज्यपाल द्वारा की जाएगी तथा उन्हें उच्च न्यायालय के न्यायाधीश की तरह ही राष्ट्रपति द्वारा संसद् में महाभियोग प्रस्ताव पास होने के बाद हटाया जाएगा। 
 
वित आयोग पंचायती राज संस्थाओं की वितीय स्थिति सुदृढ करने तथा पर्याप्त मात्रा में वितीय संसाधन उपलब्ध कराने हेतु सुझाव देने के लिए प्रत्येक राज्य के राज्यपाल द्वारा हर 5 साल में राज्य वित आयोग का गठन किया जाएगा जो अपनी रिपोर्ट राज्यपाल को देगा।



सम्बन्धित महत्वपूर्ण लेख
राजस्थान में पंचायती राज एवं शहरी स्वशासन
पंचायती राज हेतु संविधान संशोधन
ग्यारहवीं अनुसूची अनुच्छेद 243 छ
राजस्थान में पंचायती राज व्यवस्था

16, September, 1991, Ko, P, V, Narsimha, Rao, Sarkaar, Dwara, Panchayati, Raj, Ke, Sambandh, Me, 72, Th, Samvidhan, Sanshodhan, Vidheyak, Loksabha, Prastut, Kiya, Gaya, ne, Is, Ki, Samiksha, Hetu, Shri, Nathuram, Mirdha, Rajasthan, Adhyakshta, Sanyukt, Pravar, Samiti, Ka, Gathan, Sifarishon, Aadhaar, Par, 22, December, 1992, Tatha, Agle, Din, RajyaSabha, 73, Adhiniyam,, Parit, 17, Rajyon, Anumodan, Paschaat, President, Ise, 20, April, 1993, Apni, Svikriti, Pradan, Ek, Adhisoochna, 24, Yah, Mizor