राजस्थान सामान्य ज्ञान-राजस्थान पशु सम्पदा 19वीं पशु गणना

Rajasthan Pashu Sampada 19 pasu ganana

पशु सम्पदा
राजस्व मण्डल अजमेर- प्रत्येक 5 वर्ष में पशुगणना करता है।

19 वीं पशुगणना 15 सितम्बर से 15 अक्टूबर 2012 तक की गई।

18 वीं पशुगणना 2007 में आयोजित की गई जो नस्ल के आधार पर प्रथम गणना थी।

भारत में प्रथम पशुगणना 1919 में आयोजित की गई। तब राज्य की कुछ रियासतों ने भी पशुगणना करवाई।

राजस्थान में कुल पशु - 5.77 करोड़

सबसे ज्यादा पशुधन -बाडमेर

सबसे कम पशुधन- धौलपुर

वर्ष 2012 की पशु गणना के अनुसार राज्य में पशु घनत्व 169 है।

वर्ष 2012 की पशु गणना में सर्वाधिक पशुघनत्व - डूंगरपुर

वर्ष 2012 की पशु गणना में न्यूनतम पशुघनत्व -जैसलमेर

पशु      कुल पशु      सर्वाधिक      न्यूनतम
बकरी      216 लाख      बाडमेर      धौलपुर
गाय      133 लाख      उदयपुर      धौलपुर
भैंस      129 लाख      अलवर      जैसलमेर
भेड      90.79 लाख      बाड़मेर      धौलपुर
घोडे़      37776      बाडमेर      बांसवाडा
कुक्कुट      80.24 लाख      अजमेर      धौलपुर
गधे-खच्चर      81 हजार      बाडमेर      टोंक
ऊंट      3.25 लाख      बाडमेर      धौलपुर
सूअर      2.37 लाख      भरतपुर      बांसवाडा
भारत में राजस्थान दुग्ध उत्पादन 12 प्रतिशत के साथ दुसरे स्थान पर है।

पशुपालन व पशुपालन प्रसंस्करण से लगभग 9 से 10 प्रतिशत राजस्व की प्राप्ति होती है।

भारत की कुल पशु सम्पदा का 10 प्रतिशत भाग राजस्थान का है।

ऊन उत्पादन में राजस्थान का देश में प्रथम स्थान है। तथा सम्पुर्ण राष्ट्र की लगभग 40 प्रतिशत ऊन उत्पादित होती है।

दूध उत्पादन की दृष्टि से हमारे देश का विश्व में प्रथम स्थान है, तथा राजस्थान का देश में दूसरा स्थान है।

राजस्थान में सर्वाधिक दूध उत्पादन जयपुर, गंगानगर व अलवर जिले में व न्यूनतम दूध उत्पादन बांसवाड़ा में होता है।

राजस्थान में सर्वाधिक पशु मेले आयोजित होने वाले जिले - नागौर (3 मेले), झालावाड़ (2 मेले)।

राजस्थान के पशु मेले
वीर तेजाजी पशु मेला - परबतसर (नागौर)
बलदेव पशु मेला - मेड़ता शहर (नागौर)
रामदेव पशु मेला - नागौर
चन्द्रभागा पशु मेला - झालावाड़
गोमती सागर पशु मेला - झालावाड़
मल्लीनाथ पशु मेला - तिलवाड़ा (बाड़मेर)
गोगामेड़ी पशु मेला - गोगामेड़ी (नोहर)
कार्तिक पशु मेला - पुष्कर (अजमेर)
जसवन्त पशु मेला - भरतपुर
महाशिवरात्री पशु मेला - करौली
पशु प्रजनन केन्द्र
केन्द्रीय भेड़ प्रजनन केन्द्र - अविकानगर, टोंक।
केन्द्रीय बकरी अनुसंधान केन्द्र - अविकानगर,टोंक।
बकरी विकास एवं चारा उत्पादन केन्द्र - रामसर, अजमेर।
केन्द्रीय ऊंट प्रजनन केन्द्र - जोहड़बीड़, बीकानेर (1984 में)।
भैंस प्रजनन केन्द्र - वल्लभनगर, उदयपुर।
केन्द्रीय अश्व प्रजनन केन्द्र -
विलड़ा - जोधपुर
जोहड़बिड़ - बीकानेर।
सुअर फार्म - अलवर।
पोल्ट्री फार्म - जयपुर।
कुक्कड़ शाला - अजमेर।
गाय भैंस का कृत्रिम गर्भधारण केन्द्र (फ्रोजन सिमन बैंक)
बस्सी, जयपुर
मण्डौर, जोधपुर
राज्य भेड़ प्रजनन केन्द्र - चित्तौड़गढ़, जयपुर, फतेहपुर (सीकर), बांकलिया (नागौर)
राज्य गौवंश प्रजनन केन्द्र - बस्सी (जयपुर), कुम्हेर (भरतपुर), डग (झालावाड़), नोहर (हनुमानगढ़), चांदन (जैसलमेर), नागौर।
बकरियां
राजस्थान में सबसे बड़ा पशुधन बकरियां है। 19 वीं पशु गणना के अनुसार इनकी कुल संख्या 80.24 लाख थी।

देश का कुल बकरा मांस उत्पादन में राजस्थान का प्रथम (35 प्रतिशत) स्थान है।

बकरी की नस्ल

जमनापुरी - सर्वाधिक दूध देने वाली बकरी
लोही - सर्वाधिक मांस देने वाली बकरी
जखराना - सर्वाधिक दूध व सांस देने वाली श्रेष्ठ नस्ल - अलवर
बरबरी - सुन्दर बकरी - भरतपुर, सवाई माधोपुर
अन्य बकरी की नस्ल - परबतसरी, सिरोही व मारवाड़ी।

गाय
गौवंश की नस्लें

1. गिर गाय - उद्गम - गिर प्रदेश (गुजरात)।

इसे रेडां/अजमेरा भी कहते हैं।

अजमेर, चित्तौड़गढ़, भीलवाड़ा।

2. राठी - लालसिंधी एवं साहिवाल की मिश्रण नस्ल।

सर्वाधिक दूध देने वाली गाय की श्रेष्ठ नस्ल।

गंगानगर, जैसलमेर, बीकानेर।

3. थारपारकर - उद्गम - बाड़मेर का मालाणी प्रदेश।

दुसरी सर्वाधिक दूध देने वाली गाय।

उत्तरी - पश्चिमी सीमावर्ती जिले।

4. नागौरी - उद्गम - नागौरी का सुहालक प्रदेश।

इसका बैल चुस्त व मजबुत कद काठी का होता है।

नागौर, बीकानेर, जोधपुर।

5. कांकरेज - उद्गम - कच्छ का रन।

गाय की द्विप्रयोजनीय नस्ल।

जालौर, पाली, सिरोही, बाड़मेर।

6. सांचौरी - जालौर, पाली, उदयपुर।

7. मेवाती - अलवर, भरतपुर,कोठी (धौलपुर)।

8. मालवी - मध्यप्रदेश की सीमा वाले जिले।

9. हरियाणवी - हरियाणा के सीमा वाले जिले।

भैंस
भैंस की नस्ल

1. मुर्रा (कुन्नी) - सर्वाधिक दूध देने वाली भैंस की नस्ल।

जयपुर, अलवर।

2. बदावरी - इसके दूध में सर्वाधिक वसा होती है।

भरतपुर, सवाई माधोपुर, अलवर।

3. जाफाराबादी - भैंस की श्रेष्ठ नस्ल।

कोटा, बारां, झालावाड़।

अन्य नस्ल - नागपुरी, सुरती, मेहसाना।

भेड़

भेड़ की नस्लें

1. चोकला (शेखावटी) - इसका ऊन श्रेष्ठ किस्म का होता है इसे भारत की मेरिनों कहते है। चुरू, सीकर, झुन्झुनू।

2. जैसलमेरी - सर्वाधिक ऊन देने वाली भेड़ की नस्ल।

क्षेत्र - जैसलमेर, बाड़मेर, बीकानेर।

3. नाली - इसका ऊन लम्बे रेशे का होता है, जिसका उपयोग कालीन बनाने में किया जाता है।

क्षेत्र - गंगानगर, बीकानेर, चुरू, झुन्झुनू।

4. मगरा - सर्वाधिक मांस देने वाली नस्ल।

क्षेत्र - जैसलमेर, बीकानेर, चुरू, नागौर।

5. मारवाड़ी - इसमें सर्वाधिक रोग प्रतिरोधक क्षमता होती है।

क्षेत्र - जोधपुर, बाड़मेर, जैसलमेर।

6. सोनाड़ी/चनोथर - लम्बे कान वाली नस्ल।

क्षेत्र - उदयपुर, डुंगरपुर, बांसवाड़ा।

7. पूंगला - बीकानेर में।

8. मालपुरी/अविका नगरी - टोंक, बुंदी, जयपुर।

9. खेरी नस्ल - भेड़ के रेवड़ों में पाई जाती है।

ऊंट
अन्य पशुधन में ऊंटों की संख्या सर्वाधिक है। 19 वीं पशुगणना के अनुसार राजस्थान में ऊंट 3.25 लाख थे।

ऊंट की नस्ल

1. नांचना - सवारी व तेज दौड़ने की दृष्टि से महत्वपूर्ण ऊंट।

2. गोमठ - भारवाहक के रूप में प्रसिद्ध ऊंट।

फलौदी (जोधपुर)।

अन्य नस्ल - अलवरी, बाड़मेरी, बीकानेरी, , कच्छी ऊंट, सिन्धी ऊंट।

जैसलमेरी ऊंट - मतवाली चाल के लिए प्रसिद्ध।

रेबारी ऊंट पालक जाती है। पाबू जी राठौड की ऊंटों का देवता भी कहा जाता है। ऊंटों में सर्रा नामक रोग पाया जाता है।

केन्द्रीय ऊंट प्रजनन केन्द्र जोडबीड (बीकानेर) में है। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा इस केन्द्र की स्थापना की गई है। राजस्थान में देश के 70 प्रतिशत ऊंट पाये जाते है। विश्व में सर्वाधिक ऊंट आस्ट्रेलिया में है।

राजस्थान का ऊन उत्पादन में देश में प्रथम स्थान है।

केन्द्रीय ऊन विकास बोर्ड - जोधपुर।

केन्द्रीय ऊन विश्लेषण प्रयोगशाला - बीकानेर।

राजस्थान में सर्वाधिक ऊन उत्पादन जोधपुर, बीकानेर, नागौर में व न्यूनतम ऊन उत्पादन झालावाड़ में होता है।
नोट - केन्द्रीय ऊंट प्रजनन केन्द्र जोहडबीड़ बीकानेर की स्थापना -5 जुलाई 1984।

कुक्कुट
पशुगणना के समय मुर्गे मुर्गियों की गणना भी की जाती है। 19 वीं पशुगणना के समय इनकी संख्या 80.24 लाख थी। सर्वाधिक कुक्कुट अजमेर में व देशी कुक्कुट बांसवाडा जिले में है।

अजमेर में मुर्गी पालन प्रशिक्षण केन्द्र की स्थापना की गई है। अण्डों के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए रजत व सुनहरी क्रांतियां आरम्भ की गई है।

"हॉप एण्ड मिलियम जोब प्रोग्राम" अण्डों के विपणन हेतु आरम्भ की गई है।

रानी खेत व बर्डफ्लू मुर्गे व मुर्गियों में पाये जाने वाली प्रमुख बिमारियां है।

राजकीय कुक्कुटशाला - जयपुर।

डुंगरपुर व बांसवाड़ा में दो बतख व चूजा पालन केन्द्र स्थापित किये हैं, जो आदिवासीयों को बतख व कुक्कुट चूजे उपलब्ध करवाता है।

घोड़े
घोड़े की नस्ल

मालाणी - बाड़मेरी, जोधपुर।

मारवाड़ी - जोधपुर, बाड़मेर, पाली, जालौर।

"अश्व विकास कार्यक्रम" पशुपालन विभाग द्वारा संचालित -मालाणी घोडे नस्ल सुधार हेतु।

केन्द्रीय अश्व उत्पादन परिसर- बीकानेर के जोडबीड स्थित इस संस्था में चेतक घोडे के वंशज तैयार किये जाएंगे।

राजस्थान में डेयरी विकास
राजस्थान में विकास कार्यक्रम गुजरात के ‘अमुल डेयरी‘ के सहकारिता के सिद्धान्त पर संचालित किया जा रहा है।

इनका ढांचा त्रिस्तरीय है।(डेयरी संयंत्रों का)

1. ग्राम स्तर - (प्राथमिक दुग्ध उत्पादक) सहकारी समिति

राजस्थान में संख्या - 12600

2. जिला स्तर - जिला दुग्ध संघ

राजस्थान में संख्या - 21

3. राज्य स्तर - राजस्थान सहकारी डेयरी संघ (RCDF)

स्थापना - 1977

मुख्यालय - जयपुर

राजस्थान में प्रथम डेयरी - पदमा डेयरी (अजमेर)।

राजस्थान में औसत दुग्ध संग्रहण - 18 लाख लीटर प्रतिदिन।

राजस्थान में अवशीतन् केन्द्र (कोल्ड स्टोरेज) - 30।

राजस्थान में सहकारी पशु आहार केन्द्र - 4

जोधपुर, झोटवाड़ा (जयपुर), नदबई (भरतपुर), तबीजी (अजमेर)।

जालौर के रानीवाड़ा में सबसे बडी डेयरी है।

गंगमूल डेयरी -हनुमानगढ़

उरमूल डेयरी -बीकानेर

वरमूल डेयरी -जोधपुर


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