फ्यूज तार होना चाहिए
फ्यूज एक ऐसा कंपोनेंट है जो कि किसी भी उपकरण या सर्किट को किसी भी हानि से बचाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है. किसी भी उपकरण में ज्यादा करंट आने पर या किसी प्रकार का फॉल्ट होने पर फ्यूज उसकी सप्लाई को बंद कर देता है. जिससे कि होने वाली हानि से बचा जा सकता है. सभी उपकरण प्रयोग अलग-अलग प्रकार के लगाए जाते हैं. यह उस उपकरण पर निर्भर करता है. कि उसे किस प्रकार के फ्यूज की आवश्यकता है और फ्यूज उपकरण में जाने वाले करंट के आधार पर भी लगाए जाते हैं या वह उपकरण कितना लोड लेता है उसी आधार पर उसमें फ्यूज लगाया जाता है.
Fuse Kya Hota hai : फ्यूज हमेशा किसी भी सर्किट या उपकरण के क्रम (Series )में लगाया जाता है . किसी भी उपकरण पर जब फ्यूज लगाया जाता है.तो उसके सामान्य करंट लोड के आधार पर फ्यूज लगाया जाता है.ताकि अगर उपकरण में किसी प्रकार की कोई खराबी हो तो जब उसका करंट लोड बढ़े तो फ्यूज जल जाए और उपकरण की सप्लाई बंद हो जाए. बहुत बार ओपन में किसी कारण से शार्ट सर्किट हो जाता है. जिससे कि उपकरण को काफी नुकसान हो सकता है. इसी नुकसान को बचाने के लिए फ्यूज का इस्तेमाल किया जाता है. जब भी उपकरण में शार्ट सर्किट होता है. तो सबसे पहले फ्यूज जल जाता है. और उपकरण की सप्लाई उसी समय बंद हो जाती है. इसलिए फ्यूज का इस्तेमाल हर जगह पर किया जाता है .और यह आपको अपने घर में भी इस्तेमाल करना चाहिए.
Fuse Wire In Hindi : बहुत से लोगों को नहीं पता कि फ्यूज तार किसका बना होता है या फ्यूज तार किस धातु का बना होता है तो हम आपको इस पोस्ट में उन सभी तारों के बारे में बताने वाले हैं . जो कि फ्यूज बनाने के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं. फ्यूज को हमेशा ही फेस वायर के क्रम में जोड़ा जाता है. और फ्यूज का तार कम प्रतिरोध वाला होना चाहिए जैसे कि चांदी तांबा एल्मुनियम इत्यादि. चांदी महंगे होने के कारण इसका इस्तेमाल बहुत ही कम किया जाता है. लेकिन ज्यादातर लेड ट्रिन एलाय का इस्तेमाल किया जाता है जिसमें लेड मात्रा 65% और टीम की मात्रा 37% होती है.फ्यूज तार की विशेषता यह होती है कि उसका गलनांक बिंदु बहुत कम होता है. किसी भी उपकरण में ओवरलोड होने पर यह तार बहुत जल्दी पिघल जाता है और उपकरण की सप्लाई को बंद कर देता है.नीचे आपको ऐसे तारों के नाम बताए गए हैं जिनका इस्तेमाल फ्यूज बनाने के लिए किया जाता है.
क्रम नंबर | धातु | गलनांक बिंदु ( फ़ारेनहाइट में) |
1. | ताबा | 2000 |
2. | चांदी | 1830 |
3. | एलमुनियम | 1243 |
4. | एंटी मनी | 833 |
5. | जस्ता | 783 |
6. | सीसा | 625 |
7. | टिन | 464 |
Types of Fuse in Hindi : जैसा की हमने पहले ही बताया कि हर एक उपकरण पर अलग-अलग प्रकार के फ्यूज का इस्तेमाल किया जाता है. अगर हम किसी छोटे उपकरण की बात करें जैसे कि टेलीविजन, इनवर्टर,UPS इत्यादि में काफी छोटे फ्यूज का इस्तेमाल किया जाता है. लेकिन वहीं अगर हम अपने पूरे घर पर फ्यूज लगाने की बात करें. यानी कि हमारे घर में आने वाली मेन सप्लाई में सबसे पहले हम फ्यूज का इस्तेमाल करें तो वह फ्यूज काफी बड़ा लगाना पड़ेगा जिस का गलनांक बिंदु भी ज्यादा होगा. नीचे आपको अलग-अलग प्रकार के फ्यूज बताए गए हैं और यह फ्यूज कहां पर प्रयोग किए जाते हैं इनके बारे में बताया गया है.
सोल्डरिंग क्या है और सोल्डरिंग के प्रकार
कारट्रीज फ्यूज पूरी तरह से बंद होता है. और बंद होने के कारण इन पर वातावरण का प्रभाव नहीं पड़ता इसीलिए इनका फ्युजिंग करंट स्थिर रहता है.यह इंसुलेटिंग पदार्थ से बना होता है और इसका आकार एक सिलेंडर या ट्यूब के जैसा होता है और इस प्रकार के फ्यूज के दोनों सिरों पर पीतल या तांबे की कैप लगी होती है और इन दोनों तरफ कैप पर फ्यूज का तार जुड़ा होता है.
इस फ्यूज के अंदर पाउडर भरा जाता है जो कि फ्यूज के चलने पर चिंगारी को फैलने से रोकता है. इस फ्यूज के ऊपर एक इंडेक्स Circle बना होता है जो कि पहले सफेद होता है. लेकिन अगर फ्यूज उड़ जाए तो इसका रंग काला हो जाता है जिसे देख कर पता चल जाता है. कि फ्यूज जल गया है यह फ्यूज काफी महंगे होते हैं और इनका इस्तेमाल ज्यादातर किया जाता है.
एच आर सी का पूरा नाम हाई रपचरिंग कैपेसिटी ( High Rupturing Capacity) होता है. दिखने में इसका आकार भी कारट्रीज फ्यूज के जैसा होता है.और यह कांच या फाइबर का बना होता है. इस फ्यूज की विशेषता यह है कि यह ओवरलोड या शॉर्ट सर्किट के करंट को कुछ समय तक सहन कर सकता है लेकिन अगर ओवरलोड या शार्ट सर्किट का करंट ज्यादा देर तक रहे तो फ्यूज उड़ जाता है .इसके अंदर भी केमिकल पाउडर भरा जाता है और यह एयर टाइट बंद होता है जिसके कारण इस पर वातावरण का कोई भी प्रभाव नहीं पड़ता.
क्रिकेट शूज के दो भाग होते हैं जिसमें से एक भाग से Fixed होता है जिसे फ्यूज बेस कहते हैं और दूसरा भाग कैरियर होता है जिस पर निर्धारित करंट वाला फ्यूज लगाया जाता है. अगर किसी कारणवश फ्यूज जल जाता है तो फ्यूज कैरियर को फ्यूज बेस में से निकालकर दोबारा नया तार लगाया जा सकता है .यह फ्यूज चीनी मिट्टी द्वारा बनाया जाता है और इसका इस्तेमाल घरेलू वायरिंग में बहुत ज्यादा किया जाता है.घरेलू वायरिंग में 5 amp/250v और 15amp/250v वाले शूज का इस्तेमाल किया जाता है और बड़े-बड़े कारखानों में 300amp/440v तक के फ्यूज का इस्तेमाल किया जाता है.
यह टंबलर टाइप के गोलाकार वाले फ्यूज होते हैं. जो की बैकलाइट के बने होते हैं. इसके दो भाग होते हैं आधार और कवर .आधार पर 2 Fixed पेंच वाले टर्मिनल लगे होते हैं. जिसके बीच में फ्यूज की तार को लगाई जाती है और फिर चूड़ी वाले कवर से इसे बंद कर दिया जाता है .इस प्रकार के फ्यूज को बदलने में बहुत दिक्कत आती है. क्योंकि इसके एक टर्मिनल पर हर समय फेज वायर जुड़ा रहता है और इसी कारण फ्यूज की तार को बदलते समय शॉक लगने का भी खतरा रहता है.
तो यहां पर हमने आपको फ्यूज क्या है फ्यूज तार क्या है फ्यूज तार किसका बना होता है एचआरसी फ्यूज इलेक्ट्रिक फ्यूज फ्यूज तार किस धातु का बना होता है फ्यूज तार होना चाहिए फ्यूज तार की विशेषता से संबंधित पूरी जानकारी देने की कोशिश की है. और यह जानकारी एक सामान्य व्यक्ति को भी पता होनी चाहिए इसलिए अगर आपको यह जानकारी फायदेमंद लगे तो अपने दोस्तों के साथ जरुर शेयर करें ताकि उन्हें भी फ्यूज के बारे में पता चले और वह अपने घर में फ्यूज का इस्तेमाल कर पाएं. अगर इसके बारे में आपका कोई भी सवाल या सुझाव हो तो नीचे कमेंट करके जरूर पूछें.
आपने यह नहीं बताया कि कितने लॉड के लिए कितने mm मोटा फ्यूज तार उपयोग में लेना चाहिए।
आपने यह नहीं बताया कि कितने लॉड के लिए कितने mm मोटा फ्यूज तार उपयोग में लेना चाहिए है।
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