चित्रकला क्या है : यह एक ठोस सतह (समर्थन आधार) के लिए रंग, वर्णक, रंग या अन्य माध्यम लगाने का अभ्यास है। इसके अलावा चित्रकारी रचनात्मक अभिव्यक्ति का एक तरीका है, और कई रूपों में किया जा सकता है।
वैसे हमारे देश में एक कला के रूप में चित्रकला (famous indian paintings) बहुत प्राचीन काल से प्रचलित रही है। भारत में चित्रकला और कला का इतिहास मध्यप्रदेश की भीमबेटका गुफाओं की प्रागैतिहासिक काल की चट्टानों पर बने पशुओं के रेखांकन और चित्रांकन के नमूनों से प्रारंभ होता है।
भारतीय चित्रकला के प्रकार (Types of indian paintings) :
भित्ति चित्र :इस प्रकार की चित्रकला के अजंता, बाघ, बादामी तथा सित्तन्नवासल की गुहा-भित्तियों पर उदाहरण मिले हैं।
चित्रपट :इस प्रकार की चित्रकला में चमड़े अथवा कपडे के टुकड़ों पर की गई चित्रकारी जिसे लटकाया जाता था।
चित्र फलक :इस प्रकार की चित्रकला में पत्थर, धातु अथवा लकड़ी के टुकड़ों पर चित्रांकन किया गया है।
लघु चित्र :इस प्रकार की चित्रकला में पुस्तकों के पृष्ठों पर अथवा छोटे-छोटे कागज़ या वस्त्रों के टुकड़ों पर बनाए गये चित्र उन्हें प्रायः मिनिएचर पेंटिग कहा जाता है।
इन सब प्रकारों को देखते हुए हम भारतीय चित्रकला के इतिहास में नजर डाले तो कह सकते है की भारतीय चित्रकारी के प्रारंभिक उदाहरण प्रागैतिहासिक काल के हैं, जब मानव गुफाओं की दीवारों पर चित्रकारी किया करता था। इसके अलावा भीमबेटका की गुफाओं में की गई चित्रकारी 5500 ई.पू. से भी ज्यादा पुरानी है। 7वीं शताब्दी में अजंता और एलोरा गुफाओं की चित्रकारी भारतीय चित्रकारी का सर्वोत्तम उदाहरण हैं।
भारतीय चित्रकला की विशेषता :
भारतीय चित्रकला की विशेषताओं
(indian traditional paintings) के बारें में बात करें तो निम्नलिखित बिन्दुओं द्वारा बताई गयी सारी बातें जहन में आती है, जो इस प्रकार है...
आदर्शवाद धार्मिकता कल्पना प्रतीकात्मकता अलंकारिकता आदर्श वादिता रेखा व रंग उल्लासमय जीवन नामविहीनता पात्रविधान मुद्राएँभारत के प्रसिद्ध चित्रकार (Indian artists famous) :
राजा रवि वर्मा :जैसा की हमने बताया इन्होने ऑइल पेंटिग की शुरुआत की थी। इन्हें भारत में आधुनिक चित्रकला का जनक कहा जाता है। जानकार कहते हैं कि राजा रवि ने बचपन में ही घर की दीवारों पर चित्रकारी शुरू कर दी थी।
मकबूल फ़िदा हुसैन :ये भी एक प्रसिद्द भारतीय चित्रकार
(indian artist drawing) थे जो बीसवीं शताब्दी में दुनिया में पिकासो के बाद सबसे चर्चित कलाकार बनकर वह उभरे और इसमें कोई अतिश्योक्ति भी नहीं है, लेकिन शोहरत के मद में उन्होंने हमेशा कोई न कोई विवाद खड़ा किया।
अमृता शेरगिल :यह एक ऐसी चित्रकार थीं, जिन्होंने हमेशा ग्रामीण भारतीय महिलाओं और भारतीय नारी की वास्तविक चित्र को दर्शाने का प्रयास किया। उनका रुझान हमेशा भारत की वास्तविक आधुनिकता की तरफ था।
अवनींद्रनाथ टैगोर :इन्होने ब्रिटिश शासन के दौरान आर्ट स्कूल में पढाये जाने वाले पश्चिमी चित्रकला के विपरीत भारतीय शैली की पेंटिंग में आधुनिकता लाने का काफी प्रयास किया, जिससे भारतीय शैली की नयी कला का जन्म हुआ। आपकी बेहतर जानकारी के लिए बता दे की इसे ही आज
"बंगाल स्कूल ऑफ़ आर्ट" के नाम से जाना जाता है।
गगनेन्द्रनाथ टैगोर :यह एक सफल चित्रकार होने के साथ साथ वह सफल कार्टूनिस्ट भी थे। इतिहासकार बताते है की 1940 के दशक से पहले वे अकेले ऐसे चित्रकार थे, जिन्होंने आर्ट की भाषा का इस्तेमाल बड़े ही रोचक ढंग किया हैं।
जामिनी रॉय :इन्होने कुछ ऐसे नमूने भी पेश किए जिनमें ग्रामीण वातावरण के भोले और स्वेच्छंगद जीवन की झलक देखने को मिलती थी। ध्यान रहे की वर्ष 1955 में उन्हें ‘ललित कला अकादमी’ का पहला फेलो बनाया गया था।
नन्द लाल बोस :आपको बता दे की इन्होंने अपनी चित्रकारी के माध्यम से आधुनिक आंदोलनों के विभिन्न स्वरूपों, सीमाओं और शैलियों को दर्शाया हैं। इनकी चित्रकारी में एक अजीब सा जादू था जो किसी को भी बरबस अपनी ओर आकर्षित कर लेता था।
मंजीत बावा :इनके चित्रो में प्रकृति सूफी और भारतीय धर्म की झलक मिलती थी। आपको बता दे की वे काली और शिव को देश का आइकॉन मानते थे, इसलिए उनके चित्रों में काली और शिव की मौजूदगी प्रमुखता से दिखई देती हैं। उन्होंने अपने फॉर्म का ज्यादा कल्पनाशील ढंग से प्रस्तुत किया हैं।
तैयब मेहता :इस मशहूर चित्रकार ने अपने जीवन के अंतिम साल में बनायी हुई पेंटिंग्स रिकॉर्ड कीमतों पर बिकीं, जिसमें एक पेंटिंग उनके मृत्यु के बाद बिकी है जो दिसम्बर 2014 में 17 करोड़ रुपये से ज्यादा कीमत पर बेची गयी। सन 2002 में उनकी एक पेंटिंग ‘सेलिब्रेशन’ लगभग 1.5 करोड़ रुपये में बिकी थी, जो अन्तराष्ट्रीय स्तर पर उस समय तक की सबसे महंगी भारतीय पेंटिंग थी।