व्यक्तित्व मापन विधियाँ
शिक्षा मनोविज्ञान :-व्यक्तित्व मापन व मूल्यांकन
(Personality) :—
0* Personality शब्द की उत्पत्ति लैटिन भाषा के Persona शब्द से
हुई हैं, जिसका अर्थ हैं – ” मुखौटा ” ।
0* प्राचीन समय में बाहरी रूप रेखा के आधार पर व्यक्तित्व को परिभाषित किया जाता था । लेकिन आज परिभाषा बदल चुकी है
0*वर्तमान समय मे बाहरी व आंतरिक गुणों के समावेश को व्यक्तित्व कहाँ जाता हैं ।
0* ” व्यक्तित्व उन मनोदैहिक व्यवस्थाओं का गत्यात्मक संगठन है जो वातावरण के साथ समायोजन स्थापित कर लेता हैं “— अॉलपोर्ट ।
* व्यक्तित्व का वर्गिकरण – पाश्चात दृष्टिकोण से :——
01. क्रेश्चर ( क्रेश्मर ) के अनुसार – क्रेश्चर ने शारिरिक संरचना के आधार पर पहला वर्गिकरण किया हैं :–
(अ) स्थूलकाय – नाटे व्यक्ति
(ब) सुडौलकाय – खिलाड़ी प्रकृति वाले
(स) क्षीणकाय – दुर्बल शरीर वाले
(द) मिश्रितकाय – मिले-जुले
02. शैल्डन के अनुसार – शैल्डन ने शारिरीक संरचना के आधार पर
दुसरा वर्गिकरण किया हैं :–
(अ) गोलाकार – एण्ड़ोमोरफिक
(ब) आयताकार – मैसोमोरफिक
(स) लम्बाकार – एक्टोमोरफिक
0* शैल्डन का स्वभाव के आधार पर वर्गिकरण :–
(अ) विसेरोटॉनिक – मस्त -मौला, आराम पसंद, खाने-पिने का शौकिन,प्यार का इच्छुक आदि ।
(ब) सौमेटोटॉनिक – कर्मठ, स्पष्ट भाषी, साहसी, शक्तिशाली, अधिकार प्रिय आदि ।
(स) सैरिब्रोटॉनिक – शर्मिले, संकोंची, एकान्त प्रिय, दु:खी, परेशान, अन्तर्मुखी आदि ।
03. स्पेंग्लर के अनुसार – स्पेंग्लर ने समाज शास्त्री आधार पर व्यक्तित्व
का वर्गिकरण किया हैं :—-
(अ). सैंध्दातिक प्रवृति वाले,
(ब). सामाजिक प्रवृति वाले,
(स). राजनैतिक प्रवृति वाले,
(द). सौन्दार्यात्मक प्रवृति वाले,
(य). आर्थिक प्रवृति वाले,
(र). धार्मिक प्रवृति वाले ।
04. युंग / जुंग के द्वारा किया गया वर्गिकरण वर्तमान समय मे सबसेप्रसिध्द माना जाता हैं । इन्होंने मनोवैज्ञानिक आधार पर व्यक्तित्व का वर्गिकरण किया हैं :——-
(अ). अन्तर्मुखी – लेखक बनने के लिए उचित व्यक्तित्व ।
(ब). बर्हिमुखी – नेता या शिक्षक बनने के लिए उचित व्यक्तित्व ।
(स). उभयमुखी – उचित या वांचित व्यक्तित्व ।
05. भारतीय दृष्टिकोण से व्यक्तित्व का वर्गिकरण :—
(अ). सतोगुणी – ईश्वर और धर्म में,
(ब). रजोगुणी – कर्म मे,
(स). तमोगुणी – सुख प्राप्ति में ।
6. आधुनिक दृष्टिकोण से व्यक्तित्व का वर्गिकरण :—
(अ). भावुक,
(ब). कर्मशील,
(स). विचारशील ।
नोट :– उचित व्यक्तित्व होता हैं – ” संवेगिय स्थिरता ” ।
Dinesh Jarwal?Dausa Rajasthan
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* व्यक्तित्व मापन की विधियाँ :–
(अ). प्रक्षेपण या प्रक्षेपी विधियाँ :______
0* प्रक्षेपण विधियाँ – प्रक्षेपण शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग सिगमण्ड फ्रायड
ने किया, प्रक्षेपण का अर्थ होता हैं – अपनी बातों, विचारों ओर
भावनाओं आदि को स्वयं ना बताकर किसी अन्य उद्दीपक या पदार्थ
के माध्यम से अभिव्यक्त करना ।
0* प्रक्षेपण विधियों के माध्यम से अवचेतन मन की बातों को ज्ञात किया
जाता हैं ।
0(1). प्रासांगिक अन्तबौध परीक्षण या कथा प्रसंग परीक्षण -( T.A.T.)
(THEMATIC Apperecption Test)- मॉर्गन एवं मुर्रे – 1935 ई.
0* कुल कार्डो की संख्या – 30+1 =31
0* चित्रों से सम्बन्धित कार्ड – 30
0* खाली कार्ड – 1
0* इस परिक्षण मे 10 कार्डो पर पुरूषों से सम्बन्धित चित्र तथा 10
कार्डो पर स्त्रीयों से सम्बन्धित चित्र तथा बाकी 10 कार्डो पर दोनों से
सम्बन्धित चित्र बने होते हैं । व्यक्ति को चित्र दिखाकर कहानी लिखने
को कहाँ जाता हैं यह परीक्षण 14 वर्ष से अधिक आयु वाले व्यक्तियों
के लिए विशेष उपयोगी हैं ।
0(2). बाल सम्प्रत्यक्ष परीक्षण – ( C.A.T.)
Children Appercption Test –
___ ल्योपोल्ड बैलोक – 1948 ई.
0* इसका विकास किया डॉ. अननेष्ठ क्रिस ने ।
0* इस परिक्षण मे 10 कार्डो पर जानवरों के चित्र बने होते हैं । बालक
को चित्र दिखाकर कहानी लिखने को कहाँ जाता हैं यह परीक्षण 3 से
11 वर्षो के बालकों के लिए विशेष उपयोगी हैं ।
0(3). रोर्शा स्याही धब्बा परीक्षण – (I.B.T. )
Ink Blot TesT – —–हरमन रोर्शा – 1921 ई.
0* इस परीक्षण मे 10 कार्डो पर स्याही के धब्बे बने होते हैं । पाँच कार्ड
पर काले व सफेद तथा बाकी पाँच कार्डो पर विभिन्न रंगों के धब्बे बने
होते हैं । बालक को धब्बा दिखाकर आकृति के बारे मे पूछाँ जाता हैं ।
0(4). वाक्य पूर्ति परीक्षण – ( S.C.T.)
SENTENCE Completion Test – निर्माण – 1930 ई.
0* इसका विकास किया हैं पाइन एवं टैण्डलर तथा इस दिशा मे सबसे
सराहनिय कार्य रोटर्स ने किया ।
0* इस परीक्षण मे अधुरे वाक्यों को पूरा करने को कहाँ जाता हैं । जैसे -.
(अ). मेरे माता-पिता मुझे ——————— ।
(ब). मैं बहुत खुश होता हुँ जब —————- ।
Mppi Pariksha ka upyog kiske mapan me Kiya Jaya h
व्यक्तित्व मूल्यांकन की एक प्रक्षेपी विवि ह
Parsnawli vidhi ka prayog kisne kiya h
व्यक्तित्व मापन की प्रक्षेपी विधि के लाभ
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