Samajik Vigyaan Ki Prakriti सामाजिक विज्ञान की प्रकृति

सामाजिक विज्ञान की प्रकृति

GkExams on 15-02-2023


सामाजिक अध्ययन के बारें में (What is social studies in hindi) : सामाजिक अध्ययन का मतलब हम इस प्रकार से समझे की यह मानवीय संबंधो का अध्ययन है जो कि मनुष्य और समुदायों, संस्थाओं के बीच के संबंध को दिखाता है।




सामाजिक अध्ययन में हम अनेक विधियों से सामग्री लेते है जैसे - इतिहास, भूगोल, समाज शास्त्र, नागरिक शास्त्र, अर्थ शास्त्र तथा राजनीति शास्त्र आदि ताकि हम मानवीय संबंधो को समझ सके।


सामाजिक अध्ययन के जनक :




जब सवाल आता है की सामाजिक अध्ययन (importance of social studies) के जनक कौन है तो दोस्तों इसका सही जवाब है "अगस्टे कॉम्टे"। क्योंकि वह पहले ऐसे व्यक्ति हैं जिन्होंने 'समाजशास्त्र' शब्द का इस्तेमाल किया है। उन्होंने समाज का एक नया विज्ञान बनाने की कोशिश की। जो न केवल मानव जाति के अतीत की व्याख्या कर सकता है, बल्कि इसके भविष्य के पाठ्यक्रम की भी भविष्यवाणी कर सकता है।


आपको बता दे की एक समाजशास्त्री सामाजिक व्यवहार (what is social studies for kids) के सामान्य अध्ययन में रुचि रखता है क्योंकि यह समूहों में होता है, बड़े या छोटे, और समकालीन दुनिया में सामाजिक जीवन को समझने पर विशेष बल देता है। इसी प्रकार अगस्टे कॉम्टे, स्पेंसर, और कई अन्य सामाजिक विचारकों ने अध्ययन के मामले के रूप में समाज के विचार को स्थापित करने की मांग की, जो अपने आप में अद्वितीय है।


सामाजिक अध्ययन का इतिहास :




दोस्तों सामाजिक अध्ययन का इतिहास (Social Studies Standards) सामाजिक अध्ययन क्षेत्र की मूल शुरुआत 19वीं शताब्दी में हुई और बाद में 20वीं शताब्दी में और ज्यादा बढ़ी है। संयुक्त राज्य अमेरिका में एकीकृत होने से पहले उन नींव और बिल्डिंग ब्लॉक्स को 1820 के दशक में ग्रेट ब्रिटेन के देश में रखा गया था।


सामाजिक अध्ययन की शिक्षण विधियाँ :




निरीक्षण विधि :


  • निरीक्षण से तात्पर्य है- किसी वस्तु, घटना या स्थिति का सावधानीपूर्वक अवलोकन करना। अतः इस विधि में बालक किसी वस्तु, स्थानीय स्थिति को देखकर ही उसके बारे में ज्ञान प्राप्त करता है।
  • यह विधि ‘देखकर सीखना’ सिद्धांत पर आधारित है।
  • छोटी कक्षाओं में स्थानीय भूगोल पढ़ाने में इस विधि का प्रयोग किया जा सकता है।
  • विभिन्न प्रकार की फसलें, विभिन्न प्रकार की स्थलाकृतिया, विभिन्न प्रकार की संस्कृतिया आदि प्रकरण पढ़ाने में इस विधि का उपयोग किया जा सकता है।



  • वाद-विवाद विधि :


  • यह एक मनोवैज्ञानिक विधि है, जो क्रियाशीलता के सिद्धांत पर आधारित है।
  • यदि मे शिक्षक तथा छात्र मिलकर किसी समस्या या प्रकरण पर अपने विचारों का आदान-प्रदान करते हैं तथा आपसी सहमति द्वारा किसी निष्कर्ष पर पहुंचने का प्रयास करते हैं।
  • इस विधि के दो रूप होते हैं।



  • इकाई विधि :


  • इस विधि के प्रवर्तक एच.सी मॉरिसन है।
  • यह वर्तमान समय की महत्वपूर्ण विधि मानी जाती है।
  • इस विधि में विषय वस्तु को आवश्यकतानुसार कई इकाइयों में बांट लिया जाता है। और उन इकाइयों के अनुसार ही शिक्षण कार्य किया जाता है।
  • इकाई किसी पाठ्यक्रम,पाठ्यवस्तु, विषय वस्तु, प्रयोगात्मक कक्षाओं तथा विज्ञान और विशेषकर सामाजिक अध्ययन का प्रमुख उप विभाजन है।



  • स्त्रोत संदर्भ विधि :


  • भूतकाल इन घटनाओं द्वारा छोटे एवं शेष चिन्ह (अवशेष) स्त्रोत कहलाते हैं।
  • संदर्भ से तात्पर्य प्रमाणिक ग्रंथों की विषय वस्तु से होता है जिन का निरूपण प्राथमिक एवं सहायक स्त्रोतों के गहन अध्ययन एवं अनुसंधान के बाद किया जाता है।
  • विषय के प्रकांड विद्वानों द्वारा लिखित एवं पीएचडी आदि के स्वीकृत ग्रंथ विषय संदर्भ की श्रेणी में आते हैं।
  • यह विधि निरीक्षण विधि के समान ही है। इस विधि में शिक्षक विभिन्न स्त्रोतों का प्रदर्शन कर शिक्षण कार्य को आगे बढ़ाता है।



  • संकेद्रीय विधि :


  • यहाँ सामाजिक अध्ययन के अंतर्गत भूगोल शिक्षण के लिए यह सर्वाधिक उपयोगी एवं महत्त्वपूर्ण विधि मानी जाती है।
  • इस विधि में छात्रों को पहले अपने गृह प्रदेश का ज्ञान दिया जाता है।
  • यह विधि सरल से कठिन की और सीखने के सिद्धांत पर आधारित है।



  • क्रियात्मक विधि :


  • इस विधि में छात्र अपने आप कार्य करता है, और ज्ञान प्राप्त करता है। शिक्षक की यह जिम्मेदारी होती है कि वह आवश्यक अनुकूल वातावरण तैयार करें एवं छात्रों का उचित मार्गदर्शन करें।
  • यह विधि प्राथमिक से माध्यमिक स्तर तक के लिए उपयुक्त विधि मानी जाती है।
  • यह विधि “करके सीखने” के सिद्धांत पर कार्य करती है।
  • बालक स्वयं करके सीखता है, जिस से प्राप्त ज्ञान स्थाई होता है।



  • कार्य गोष्ठी विधि :


  • सामूहिक विचार-विमर्श हेतु कार्य गोष्ठी का आयोजन किया जाता है। लगभग 30-40 व्यक्ति एक निश्चित स्थान पर एकत्रित होते हैं, तथा 4-5 दिन जमकर किसी विषय या समस्या पर विचार-विमर्श करते हैं।
  • जो कोई व्यक्ति कार्य गोष्ठी में भाग लेता है, उसे कुछ ना कुछ करना नितांत जरूरी होता है। अतः सभी छात्र क्रियाशील रहते हैं।
  • कार्य गोष्ठी में शिक्षण सत्र को दो पारियों में विभाजित किया जाता है।



  • प्रयोगात्मक विधि :


  • इसे वैज्ञानिक विधि भी कहते हैं।
  • इसमें शिक्षक छात्रों को दिशा-निर्देश प्रदान करता है। वह छात्रों का मार्गदर्शक माना जाता है।
  • शिक्षक केवल योजना बनाता है एवं अन्य सहायक सामग्रियों के बारे में छात्रों को निर्देशित करता है।
  • ‘भूगोल’ अध्ययन के लिए यह उपयुक्त विधि मानी जाती है।
  • माध्यमिक व उच्च माध्यमिक स्तर के लिए यह उपयोगी विधि है।



  • सामूहिक विवेचना विधि :


  • इस विधि को समाजिककृत अभिव्यक्ति तथा परिवीक्षित अध्ययन विधि भी कहते हैं।
  • शिक्षक की परिवीक्षण में बालक को के द्वारा किया जाने वाला अध्ययन समाजिकृत परिवीक्षित अध्ययन कहलाता है।
  • इस विधि के अंतर्गत कक्षा में छात्रों के कई समूह बना दिए जाते हैं। तथा छात्र सामूहिक रूप से विषय वस्तु का निर्धारण करते हैं।
  • विद्यार्थी अपनी इच्छा अनुसार कार्य करके सामूहिक रूप से किसी निष्कर्ष पर पहुंचने का प्रयास करते हैं।



  • प्रादेशिक विधि :


  • इस विधि के प्रवर्तक हरबर्टसन है।
  • ‘प्रादेशिक’ शब्द का अर्थ है,’प्रदेश से संबंधित’ अर्थात जब स्थानीय भौगोलिक परिस्थितियों के अनुसार शिक्षण कार्य किया जाता है। वह प्रादेशिक विधि कहलाती है।
  • ‘भूगोल’ के अध्ययन के लिए यह अच्छी विधि मानी जाती है।



  • प्रश्नोत्तर विधि :


  • यूनानी दार्शनिक ‘सुकरात’ को इस विधि का जनक माना जाता है। अतः इसे “सोकरेटिक मेथड” भी कहते हैं।
  • इस विधि में शिक्षक छात्रों से प्रश्न पूछता है। और पाठ का विकास आगे से आगे होता रहता है।
  • पूछे जाने वाले प्रश्न या तो पूर्व ज्ञान से संबंधित होते हैं अथवा विषय वस्तु से संबंधित होते हैं।

  • Advertisements

    Pradeep Chawla on 12-05-2019

    check link below



    https://www2.le.ac.uk/projects/oer/oers/media-and-communication/oers/ms7500/mod1unit2/mod1unit2cg.pdf


    Advertisements


    Comments Ishwer on 14-07-2021

    सामाजिक और राजदरसन की प्रकृति और क्षेत्र की विवेचना

    Ranu on 04-12-2019

    Samajik vigyaan ke bare me bivran

    महात्मा गाधी का जन्म कब हुआ on 12-05-2019

    महातमा गाधी का जन्म कब हुआ

    Advertisements

    महात्मा गाधी का जन्म कब हुआ on 12-05-2019

    महात्मा गाधी का जन्म कब हुआ

    uma on 12-05-2019

    सामाजिक विज्ञानं की परकृत


    Advertisements

    आप यहाँ पर gk, question answers, general knowledge, सामान्य ज्ञान, questions in hindi, notes in hindi, pdf in hindi आदि विषय पर अपने जवाब दे सकते हैं।
    नीचे दिए गए विषय पर सवाल जवाब के लिए टॉपिक के लिंक पर क्लिक करें Culture Current affairs International Relations Security and Defence Social Issues English Antonyms English Language English Related Words English Vocabulary Ethics and Values Geography Geography - india Geography -physical Geography-world River Gk GK in Hindi (Samanya Gyan) Hindi language History History - ancient History - medieval History - modern History-world Age Aptitude- Ratio Aptitude-hindi Aptitude-Number System Aptitude-speed and distance Aptitude-Time and works Area Art and Culture Average Decimal Geometry Interest L.C.M.and H.C.F Mixture Number systems Partnership Percentage Pipe and Tanki Profit and loss Ratio Series Simplification Time and distance Train Trigonometry Volume Work and time Biology Chemistry Science Science and Technology Chattishgarh Delhi Gujarat Haryana Jharkhand Jharkhand GK Madhya Pradesh Maharashtra Rajasthan States Uttar Pradesh Uttarakhand Bihar Computer Knowledge Economy Indian culture Physics Polity


    इस टॉपिक पर कोई भी जवाब प्राप्त नहीं हुए हैं क्योंकि यह हाल ही में जोड़ा गया है। आप इस पर कमेन्ट कर चर्चा की शुरुआत कर सकते हैं।

    Labels: , , , , ,
    अपना सवाल पूछेंं या जवाब दें।

    अपना जवाब या सवाल नीचे दिये गए बॉक्स में लिखें।