बिहार में ब्रह्मभट्ट जाति
ब्रह्म भट्ट ब्राह्मण विश्व एवं मानव की उत्पत्ति के सन्दर्भ में ऋग्वेद के पुरुष-सूक्त में सम्पूर्ण विश्व में व्याप्त एक ऐसे विराट पुरुष की कल्पना की गयी जिनसे ही विश्व एवं मानव कीउत्पत्ति हुई है। इसमें कहा गया है कि ब्राह्मण की उत्पत्ति मुख से हुई है। मुख से वाणी प्रदान होती है। ब्राह्मण उन्हें कहा गया है जो वेद विद्या में प्रवीण, मोह, लोभ, क्रोध से दूर एवं पूजा पाठ में लीन रहते हैं। भट्ट कोई जाति नहीं बल्कि एक उपाधि है। जब ब्राह्मण वंश के लोग विद्या के क्षेत्र में ज्ञानार्जन कर अभूतपूर्व सफलता हासिल की तब उन्हें भट्ट की उपाधि प्रदान की गई। यह भी उल्लेखित है कि ब्रह्म को जानने वाला ब्राह्मण एवं जो ब्रह्म को जानकर लोगों को समझाए वह ब्रह्म भट्ट ब्राह्मण है । ब्रह्म भट्ट ब्राह्मण उन्हें कहा गया है जो वेद विद्या में प्रवीण, मोह, लोभ, क्रोध से दूर एवं पूजा पाठ में लीन रहते हैं। ‘’ब्रह्मभट्ट’’ एक कुलनाम है जो पारम्परिक रूप से ब्राह्मण जाति की उपजाति है। ब्रह्मभट्ट शब्द संस्कृत भाषा के ब्रह्म् और भट्ट को जोड़कर बना है, संस्कृत भाषा में ब्रह्म् का शाब्दिक अर्थ बढ़ने और बढाने (to grow, Increase) और भट्ट का शाब्दिक अर्थ पुजारी होता है। अर्थात्, ब्राह्मण जाति की वह वर्ग जो समाज को बढ़ने और बढाने के के लिए हिन्दू धर्म में पारंपरिक प्रशासनिक रूप से उत्तरदायीथा।प्राचीन-काल से भारत-वर्ष में ब्राह्मणों की उपजाति- ब्रह्मभट्ट के लोग प्रचलित रूप से आध्यात्मिक, पुजारी, समाजवादी, सलाहकारों, कवि, ब्राह्मण-योद्धा, इतिहासकार, वैज्ञानिक शासक, कूटनितिज्ञ, चिकित्सक, शिक्षक आदि कई रूपों में सामाजिक विकास के लिए अपनी भूमिका का निर्वहन करते आ रहे हैं, प्राकृतिक आनुवंशिक रूप से भी ब्रह्मभट्ट जाति के लोगो की पहचान भी एेसी ही रही है।इतिहास साक्षी है की विषम परिस्थियों में भी ब्रह्मभट्टों ने धर्म और देश की रक्षा के लिए रण-क्षेत्र में योद्धा के रूप में कर्तव्य निर्वहन कर क्षत्रिय-चरित्र के लक्षणों का परिचय देने का कार्य भी किया हैं। शिव, शक्ति और विद्या की देवी के भक्त ब्रह्मभट्टों ने हमेशासत्य, ज्ञान, न्याय, अनुशासन, त्याग, तपस्या, दूरदृष्टि, साहस आदि से सम्बंधित आचरण का प्रदर्शन किया है। पौराणिक इतिहासों एवं हिन्दू धर्म-ग्रंथो में भी ब्रह्मभट्टों के संदर्भ मेंउक्त चर्चाऐ प्रशंसनीय रही है।आज के वर्तमान समय में भी ब्रह्मभट्टों के द्वारा समाज, देश और मानव जाति के विकास के लिए अपनी उत्कृष्ट भागदारी के साथ प्रयास कायम है, कहीं व्यवस्था का हिस्साबनकर तो कही व्यवस्था के बिरुद्ध अपनी जंग को सकारात्मक विकास के उदेश्य से जोड़कर रखा है। इसी क्रम में मैं बिहार प्रदेश के संदर्भ में कहना चाहूंगा कि इस प्रदेश ने पूरे भारत वर्ष ही नहीं बल्कि समस्त मानव जगत के विकास के लिए अद्भुत कार्य किया है और ब्रह्मभट्ट कुल के लोगों ने भी अपने कदम-ताल के साथ मंजिलों तक पहुचने में राहें असान की है
ब्रह्म भट्ट ब्राह्मण विश्व एवं मानव की उत्पत्ति के सन्दर्भ में ऋग्वेद के पुरुष-सूक्त में सम्पूर्ण विश्व में व्याप्त एक ऐसे विराट पुरुष की कल्पना की गयी जिनसे ही विश्व एवं मानव कीउत्पत्ति हुई है। इसमें कहा गया है कि ब्राह्मण की उत्पत्ति मुख से हुई है। मुख से वाणी प्रदान होती है। ब्राह्मण उन्हें कहा गया है जो वेद विद्या में प्रवीण, मोह, लोभ, क्रोध से दूर एवं पूजा पाठ में लीन रहते हैं। भट्ट कोई जाति नहीं बल्कि एक उपाधि है। जब ब्राह्मण वंश के लोग विद्या के क्षेत्र में ज्ञानार्जन कर अभूतपूर्व सफलता हासिल की तब उन्हें भट्ट की उपाधि प्रदान की गई। यह भी उल्लेखित है कि ब्रह्म को जानने वाला ब्राह्मण एवं जो ब्रह्म को जानकर लोगों को समझाए वह ब्रह्म भट्ट ब्राह्मण है । ब्रह्म भट्ट ब्राह्मण उन्हें कहा गया है जो वेद विद्या में प्रवीण, मोह, लोभ, क्रोध से दूर एवं पूजा पाठ में लीन रहते हैं। ‘’ब्रह्मभट्ट’’ एक कुलनाम है जो पारम्परिक रूप से ब्राह्मण जाति की उपजाति है। ब्रह्मभट्ट शब्द संस्कृत भाषा के ब्रह्म् और भट्ट को जोड़कर बना है, संस्कृत भाषा में ब्रह्म् का शाब्दिक अर्थ बढ़ने और बढाने (to grow, Increase) और भट्ट का शाब्दिक अर्थ पुजारी होता है। अर्थात्, ब्राह्मण जाति की वह वर्ग जो समाज को बढ़ने और बढाने के के लिए हिन्दू धर्म में पारंपरिक प्रशासनिक रूप से उत्तरदायीथा।प्राचीन-काल से भारत-वर्ष में ब्राह्मणों की उपजाति- ब्रह्मभट्ट के लोग प्रचलित रूप से आध्यात्मिक, पुजारी, समाजवादी, सलाहकारों, कवि, ब्राह्मण-योद्धा, इतिहासकार, वैज्ञानिक शासक, कूटनितिज्ञ, चिकित्सक, शिक्षक आदि कई रूपों में सामाजिक विकास के लिए अपनी भूमिका का निर्वहन करते आ रहे हैं, प्राकृतिक आनुवंशिक रूप से भी ब्रह्मभट्ट जाति के लोगो की पहचान भी एेसी ही रही है।इतिहास साक्षी है की विषम परिस्थियों में भी ब्रह्मभट्टों ने धर्म और देश की रक्षा के लिए रण-क्षेत्र में योद्धा के रूप में कर्तव्य निर्वहन कर क्षत्रिय-चरित्र के लक्षणों का परिचय देने का कार्य भी किया हैं। शिव, शक्ति और विद्या की देवी के भक्त ब्रह्मभट्टों ने हमेशासत्य, ज्ञान, न्याय, अनुशासन, त्याग, तपस्या, दूरदृष्टि, साहस आदि से सम्बंधित आचरण का प्रदर्शन किया है। पौराणिक इतिहासों एवं हिन्दू धर्म-ग्रंथो में भी ब्रह्मभट्टों के संदर्भ मेंउक्त चर्चाऐ प्रशंसनीय रही है।आज के वर्तमान समय में भी ब्रह्मभट्टों के द्वारा समाज, देश और मानव जाति के विकास के लिए अपनी उत्कृष्ट भागदारी के साथ प्रयास कायम है, कहीं व्यवस्था का हिस्साबनकर तो कही व्यवस्था के बिरुद्ध अपनी जंग को सकारात्मक विकास के उदेश्य से जोड़कर रखा है। इसी क्रम में मैं बिहार प्रदेश के संदर्भ में कहना चाहूंगा कि इस प्रदेश ने पूरे भारत वर्ष ही नहीं बल्कि समस्त मानव जगत के विकास के लिए अद्भुत कार्य किया है और ब्रह्मभट्ट कुल के लोगों ने भी अपने कदम-ताल के साथ मंजिलों तक पहुचने में राहें असान की है
Brahmbhatt central list me general or obc.
Bihar me ढाढी kab ayega
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ढाढ़ी कहां से आया था
ढाढी जाति का उत्पत्ति कब हुआ और बिहार में इसकी संख्या कितना है ढाढी जाति से कोई भी अब तक सांसद या विधायक बना है या नहीं जवाब दें
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धारी जाती का इतिहास क्या है
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